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अफगानी शरणार्थियों पर बंद होते दरवाजे

पाकिस्तान ने अक्टूबर 2023 में अवैध विदेशी नागरिकों, विशेष रूप से अफगानों, के निष्कासन की योजना शुरू की थी। पाकिस्तान सरकार ने घोषणा की कि सभी ‘अवैध प्रवासियों’ को देश छोड़ना होगा, विशेष रूप से वे जो राष्ट्रीय पंजीकरण प्रणाली में शामिल नहीं हैं। अक्टूबर 2023 से अब तक लगभग 979,486 अफगान नागरिकों को पाकिस्तान से निष्कासित किया जा चुका है। बिना तैयारी और सहारे के हजारों परिवारों का पलायन एक विकट मानवीय त्रासदी बन गया है। महिलाएं और छोटे बच्चे खुले में रहने को मजबूर हैं। चिकित्सा, भोजन और शरण की व्यवस्थाएं अपर्याप्त हैं

पाकिस्तान इन दिनों एक नई और कठोर नीति के तहत लाखों अफगानी शरणार्थियों को देश से बाहर निकालने की प्रक्रिया में जुटा है। दशकों तक शरण देने के बाद अचानक बदली यह रणनीति केवल मानवीय संकट नहीं, बल्कि एक बड़ा भू-राजनीतिक संकेत भी है।

1979 में जब सोवियत सेना ने अफगानिस्तान पर चढ़ाई की तो बड़ी संख्या में अफगान नागरिकों ने पाकिस्तान में शरण ली। उस समय की जिया-उल-हक सरकार ने अमेरिका और सऊदी अरब के सहयोग से इन शरणार्थियों को ‘मुजाहिदीन’ के रूप में हथियारबंद किया। यहीं से पाकिस्तान में एक स्थायी अफगान आप्रवासी आबादी की नींव पड़ी।

पाकिस्तान ने अक्टूबर 2023 में अवैध विदेशी नागरिकों, विशेष रूप से अफगानों, के निष्कासन की योजना शुरू की। पाकिस्तान सरकार ने घोषणा की कि सभी ‘अवैध प्रवासियों’ को देश छोड़ना होगा, विशेष रूप से वे जो राष्ट्रीय पंजीकरण प्रणाली में शामिल नहीं हैं। इसके तहत पुलिस द्वारा बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किए गए, अस्थायी हिरासत केंद्र बनाए गए और हजारों परिवारों को अफगान सीमा की ओर भेजा गया।

इसके तहतः जनवरी से दिसम्बर 2024 के बीच, लगभग 9,000 अफगान नागरिकों को पाकिस्तान से निष्कासित किया गया।1 अप्रैल 2025 से अब तक (21 अप्रैल 2025 तक), पाकिस्तान ने 80,000 से अधिक अफगान नागरिकों को निष्कासित किया है। कुल मिलाकर, अक्टूबर 2023 से अब तक लगभग 979,486 अफगान नागरिकों को पाकिस्तान से निष्कासित किया जा चुका है।

पाकिस्तान से निकाले गए अफगानी शरणार्थी

बिना तैयारी और सहारे के हजारों परिवारों का पलायन एक विकट मानवीय त्रासदी बन गया है। महिलाएं और छोटे बच्चे खुले में रहने को मजबूर हैं। चिकित्सा, भोजन और शरण की व्यवस्थाएं अपर्याप्त हैं। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान की इस नीति की कड़ी आलोचना की है।

पाकिस्तानी सरकार का कहना है कि अफगानी शरणार्थियों के बीच आतंकवादी तत्व छुपे हो सकते हैं जो देश की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। इसके अतिरिक्त, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता के चलते देश के भीतर अफगान समुदाय के प्रति असंतोष बढ़ा है। तालिबान सरकार ने पाकिस्तान की इस कार्रवाई को ‘इस्लामी बंधुत्व के खिलाफ’ बताया है। काबुल और इस्लामाबाद के सम्बंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं, और यह मुद्दा उन्हें और गहरा कर रहा है। पाकिस्तान को डर है कि अफगान सीमा पर संघर्ष बढ़ सकता है।

भारत और वैश्विक दृष्टिकोण

भारत सहित कई देश पाकिस्तान की इस नीति पर निगाहें रखे हुए हैं। एक ओर मानवाधिकार उल्लंघन का मुद्दा है, दूसरी ओर यह भारत के लिए एक कूटनीतिक अवसर भी हो सकता है, विशेषकर अफगान जनता में समर्थन की भावना बनाने का। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने पाकिस्तान पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का दबाव डाला है, लेकिन सुरक्षा तर्क के आगे फिलहाल यह प्रभावी नहीं दिखता।

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