Uttarakhand

अब धामी का ‘नाम जिहाद’

लैंड जिहाद, थूक जिहाद, यूसीसी के बाद अब उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘नाम जिहाद’ शुरू किया है। जिसमें मुगल शासकों और एक धर्म संप्रदाय के नाम पर रखे गए 15 शहरों और गांव के नाम परिवर्तित किए गए हैं। ऐसे समय में जब उत्तराखण्ड में पहाड़वाद और मैदानवाद के साथ ही मंत्रिमंडल में विस्तार और अवैध खनन को लेकर बहस छिड़ी हुई है मुख्यमंत्री धामी ने उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखण्ड में भी हिंदुत्व का नया एजेंडा लागू कर दिया है। सरकार के समर्थकों द्वारा इसे धामी का हिंदुत्व की पिच पर सिक्सर कहा जा रहा है। हालांकि इसके विरोध में उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखण्ड तक विपक्ष मुखर हो उठा है

‘नाम में क्या रखा है’। कहने को तो यह सही लगता है लेकिन नाम का ही सारा ‘खेला’ इन दिनों देशभर मेंचल रहा है। उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखण्ड तक भाजपा की सरकार फिलहाल नाम की महिमा को महिमा मंडित कर रही है। अब से पहले इसके लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार चर्चा में रहती थी। लेकिन फिलहाल ईद के दिन एक दर्जन से अधिक गांवों, शहरों और कस्बों के नाम परिवर्तित कर धामी सरकार सुर्खियों में है। विपक्ष भी इस मुद्दे को लेकर अपना आक्रोश जता रही है। आश्चर्यचकित बात यह है कि इस बार आक्रोश उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ है। जहां के दो पूर्व मुख्यमंत्री धामी के नाम जिहाद के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो यहां तक कह दिया है कि ‘उत्तराखण्ड का नाम उत्तर प्रदेश-2 रख देना चाहिए।’ धामी सरकार पर किया गया उनका यह तंज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसी तरह बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को निशाने पर लिया है।

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक्स पर पोस्ट किया कि ‘यूपी की सपा सरकार की तरह ही महाराष्ट्र, उत्तराखण्ड और यूपी की भाजपा सरकार ने जिला, शहरों व संस्थानों के नाम को बदलने की प्रवृत्ति कानून के राज का गवर्नेंस नहीं, बल्कि द्वेष व भेदभाव के आधार पर अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने की अति चिंतनीय संकीर्ण राजनीति है।’ उन्होंने लिखा कि सन 1995 के अविभाजित उत्तर प्रदेश से लेकर वर्ष 2012 तक बीएसपी की चार बार रही सरकारों में गुड गवर्नेंस को ध्यान में रखकर अनेकों नई कल्याणकारी योजनाएं व जिले, तहसील, अस्पताल, यूनिवर्सिटी आदि नए नामों से बनाए गए। किसी का नाम नहीं बदल गया। सरकारों को इससे जरूर सीख लेनी चाहिए।

योगी सरकार के कार्यकाल में शहरों के नाम बदलने को लेकर सबसे ज्यादा विवाद उठते हैं। लेकिन जगहों के नाम बदलने में उतर प्रदेश सबसे आगे नहीं है। सबसे ज्यादा 76 जगहों के नाम आंध्र प्रदेश में बदले गए हैं। तमिलनाडु ने 31 और केरल ने 26 जगहों का नाम बदला है। महाराष्ट्र ने भी 18 जगहों का नाम बदला है। उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद से अब तक 8 शहरों का नाम ही बदला गया है। आजादी के बाद से अब तक देश के 9 राज्यों और 2 संघशासित प्रदेशों का भी नाम बदला गया है।

देखा जाए तो नाम परिवर्तन की शुरुआत उत्तराखण्ड में सबसे पहले तत्कालीन नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में हुई थी तब उन्होंने उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखण्ड रख दिया था। इसके बाद 3 मार्च 2021 तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पौड़ी जिले के सबसे महत्वपूर्ण शहर और गढ़द्वार के नाम से जाना जाने वाला कोटद्वार का नाम बदल दिया था। कोटद्वार का निवासी यहां का नाम लम्बे समय से कण्व ऋषि के नाम से करने की मांग कर रहे थे।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नगर निगम कोटद्वार का नाम परिवर्तित कर कण्व ऋषि के नाम पर कण्व नगरी कोटद्वार रखने पर स्वीकृति प्रदान की थी। इसके बाद से नगर निगम कोटद्वार कण्व नगरी कोटद्वार के नाम से जाना जाता है। कोटद्वार में कण्व ऋषि ने तपस्या की थी। इस नाम परिवर्तन के पीछे जो तथ्य दिया गया उसमें बताया गया कि कोटद्वार एक पौराणिक शहर है। इसका जिक्र कई धर्मग्रन्थों और महाभारत कालीन साहित्य में मिलता है। इसके पश्चात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उत्तराखण्ड में कुछ स्थानों के नाम बदले। इनमें घाट नगर पंचायत का नाम बदलकर नंदानगर किया गया तो जोशीमठ को ज्योतिर्मठ नाम दिया गया। तब इसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का ट्रेलर बताया गया था। हालांकि यह दोनों नाम एक धर्म विशेष संप्रदाय से जुड़े लोगों के नाम पर होने के कारण परिवर्तित नहीं किए गए थे। लेकिन इस बार जो नाम परिवर्तित किए गए हैं उन पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं।

मियांवाला का नाम बदलने पर विरोध

सबसे ज्यादा नाम परिवर्तन हरिद्वार जिले में हुए हैं। जिसके चलते भगवानपुर ब्लाॅक के औरंगजेबपुर का नया नाम अब शिवाजी नगर होगा। बहादराबाद ब्लाॅक के गाजीवाली का नाम अब आर्य नगर और चांदपुर का नाम ज्योतिबा फुले नगर होगा। नारसन ब्लाॅक के मोहम्मदपुर जट का नया नाम मोहनपुर जट और खानपुर कुर्सली का नाम बदलकर अंबेडकर नगर रखा गया है। खानपुर ब्लाॅक के इदरीशपुर का नाम नंदपुर और खानपुर का नाम श्रीकृष्णपुर रखा गया है। इसी तरह रुड़की ब्लाॅक के अकबरपुर फाजलपुर का नया नाम विजयनगर किया गया है। रुड़की नगर निगम के अंतर्गत आने वाले आसफनगर का नाम देवनारायण नगर और सलेमपुर राजपूतना का नाम शूरसेन नगर रखा गया है।

इसी तरह देहरादून जिले में चार स्थानों के नाम बदले गए हैं। इनमें देहरादून नगर निगम क्षेत्र में आने वाले मियांवाला का नाम रामजीवाला रखा गया है। विकासनगर ब्लाॅक के पीरवाला का नाम केसरी नगर और चांदपुर खुर्द का नाम पृथ्वीराज नगर तथा सहसपुर ब्लाॅक के अब्दुलपुर का नाम दक्षनगर रखा गया है।

लोगों को लम्बे समय से प्रतीक्षा थी कि उन जगहों के नाम लोगों की जनभावनाओं तथा वहां की संस्कृति के अनुरूप होना चाहिए। उन क्षेत्रों के जो महापुरुष रहे हैं, जिनका उस क्षेत्र की संस्कृति में योगदान रहा है उन पर होना चाहिए। जो हमारे राज्य का स्वरूप है देवभूमि, उसके अनुरूप होना चाहिए। लोगों की जनभावनाओं के अनुरूप सभी के जो सुझाव आए थे, उसके अनुरूप इन जगहों के नामों की घोषणा की गई है, जिसका लोगों ने स्वागत किया है।

पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड

नैनीताल जिले में दो नाम परिवर्तित हुए हैं। यह दोनों ही नाम हल्द्वानी शहर से सम्बंधित है। इसके तहत नवाबी रोड का नया नाम अब अटल मार्ग होगा। इसी तरह पनचक्की से आईटीआई मार्ग का नाम गुरु गोवलकर मार्ग रखा गया है। ऊधमसिंह नगर जिले में भी एक स्थान का नाम बदला गया है। यहां नगर पंचायत सुलतानपुर पट्टी का नाम बदलकर कौशल्या पुरी रखा गया है। इस पर सबसे पहले प्रतिक्रिया पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की आई। रावत ने कहा कि ‘नाम बदलना भाजपा का एजेंडा बन गया है। क्योंकि उनके पास दिखाने के लिए कोई असली काम नहीं है। पिछले साढ़े आठ साल वह पूरी तरह से विफल रहे हैं और जनता उनसे सवाल पूछ रही है। जनता का ध्यान भटकाने के लिए वे नाम बदलने का यह तमाशा कर रहे हैं।’

हरीश रावत

सरकार का पक्ष लेते हुए भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि भाजपा इस निर्णय का स्वागत करती है। यह निर्णय एक ओर जहां भारतीय संस्कृति के संरक्षण में योगदान देने वाली हस्तियों को सम्मानित करके लोगों को प्रेरित करेगा, वहीं दूसरी ओर उन्हें विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा किए गए अत्याचारों से भी अवगत कराएगा।

मनवीर चौहान

देहरादून के प्रसिद्ध टपकेश्वर महादेव मंदिर के आचार्य डाॅ. विपिन जोशी कहते हैं कि यह ऐतिहासिक है और इसकी सराहना की जानी चाहिए। हरिद्वार हमारी देवभूमि के मुख्य द्वारों में से एक है और वहां के स्थानों के नाम हमारी सनातन संस्कृति के अनुसार होने चाहिए। मैं मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए कदम का स्वागत करता हूं।

मुगल शासकों के नाम हैं देश में 700 स्थान

ऐसा नहीं है कि उत्तराखण्ड के ही इन क्षेत्रों में मुगल शासकों के नाम पर गांव और शहरों के नाम अंकित है, बल्कि पूरे देश में 704 ऐसे स्थान हैं जिनके नाम 6 मुगल शासकों के नाम पर हैं। इनमें बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब जैसे शासकों के नाम शामिल हैं। एक जानकारी के अनुसार अकबर के नाम पर देश में 251 गांवों और कस्बों के नाम हैं। औरंगजेब के नाम 177, जहांगीर के नाम 141, शाहजहां के नाम 63, बाबर के नाम पर 61 और हुमायूं के नाम पर 11 जगहों के नाम हैं। देश में लगभग 70 अकबरपुर और 63 और औरंगाबाद हैं। इसी तरह मुगल शासकों के नाम पर यूपी में 392 स्थानों के नाम हैं। जबकि 97 बिहार, 50 महाराष्ट्र , 38 हरियाणा, 9 आंध्र प्रदेश, 3 छतीसगढ़, 12 गुजरात, 4 जम्मू-कश्मीर, 3 दिल्ली, 22 मध्य प्रदेश, 27 पंजाब, 4 उड़ीसा, 9 पश्चिम बंगल में है जबकि उत्तराखण्ड में 13 और राजस्थान में 20 हैं।

2011 की जनगणना के मुताबिक देश में कुल गांवों की संख्या 6,77,459 है। इनमें से 3,626 गांवों का नाम भगवान राम के नाम पर है। जबकि 3,309 गांवों का नाम भगवान कृष्ण के नाम से जुड़ा हुआ है।

तय हैं नाम परिवर्तन की गाइडलाइन

केंद्रीय गृह मंत्रालय में उप सचिव रहे सरदार फतेह सिंह ने 1953 में सभी राज्यों को इस बाबत पत्र लिखा था। यह पत्र शहरों के नाम परिवर्तन को लेकर गाइडलाइन माना जाता है। पत्र में स्पष्ट था कि बहुत जरूरी होने पर ही नाम बदला जाए। नाम परिवर्तन से पहले स्थानीय जनता से राय जरूर ली जाए। पत्र में कहा गया था कि ऐतिहासिक महत्व के नामों को न बदलें। हालांकि 2005 में इस गाइडलाइन में संशोधन किया गया। संशोधन में कहा गया कि यदि नाम में किसी राष्ट्रीय महत्व की हस्ती का नाम जोड़ा जा रहा है तो परिवर्तन किया जा सकता है।

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