Uttarakhand

आपने फर्जी लोगों से मेरा फीडबैक लिया है

Mohan Singh Bisht
कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भारी मतों से हराने वाले डाॅ. मोहन सिंह बिष्ट जनअपेक्षाओं में दूर-दूर तक खरे नहीं उतरे हैं। जनता की नाराजगी को लेकिन डाॅ. बिष्ट सिरे से नकार देते हैं। दिव्या भारती की डाॅ. मोहन सिंह बिष्ट से हुई बातचीत में वे अपने ही वोटरों को फर्जी तक कहने से नहीं चूकते

वर्ष 2022 के चुनाव में आपने राजस्व गांव बनाने का जो वादा किया था अब तक वो पूरा नहीं हुआ इसमें आप क्या कहेंगे?
देखिए, वादा तो किया था। इसमें पहली बार जमीनी कार्यवाही चल रही है। आप ये समझिए ये मैंने ही जमीनी स्तर पर पहली बार कार्यवाही शुरू की है। लेकिन इसमें दिक्कत ये आ रही है कि वन विभाग वालों का 75 साल का रिकाॅर्ड न होने की वजह से काम नहीं बन पा रहा है। मैं लगातार मुख्य सचिव और वन सचिव के सम्पर्क में हूं, इस बीच मैंने इस मामले में लगातार बैठकें की है। कार्यवाही गतिमान है।

राजस्व गांव बनाने को 4 साल कैसे लग गए और अभी भी कार्य हो ही रहा है?
साल होने में अभी 6 महीने बाकी है मार्च में 4 साल होंगे और पहले भी जो गांव हुए हैं न, चाहे हरिद्वार के गांव हो, नैनीताल, रामनगर के गांव हो, चाहे दमुआढूंआ जो अभी हुआ है। वर्षों लग गए इनको, ये ऐसे हवा में होने वाली चीज नहीं है इसमें लम्बी प्रक्रिया है। इनको भी 8, 10 साल लगे हंै। दमुआढूंआ को 20 साल हो गए अब जाकर उसका नोटिफिकेशन हुआ है। यहां तो ये है केवल लोगों ने धरना देने तक, भाषण देने तक, रैली निकालने तक सीमित रखा है। जमीनी आज तक कोई कार्यवाही इसमें हुई ही नहीं इसको रेवेन्यू विलेज बनाने के लिए। ये पहली बार मैंने ही शुरू की है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह कार्य अब हो जाएगा।

बिंदुखत्ता खुरिया खाल से ऊपर के गांव को गौला नदी से जो कटान हो रहे हैं जिसमें काफी लोगों के घर भी कट चुके हैं। आप वहां कभी गए नहीं? लोगों की वहां काफी शिकायत रही है कि विधायक जी एक बार भी हमको देखने नहीं आए। उनका कहना है कि आप उनसे ये कह देते हैं कि मशीनें आप लगा दो बाकी काम मैं करा दूंगा इसमें आप क्या कहेंगे?
देखिए, पहली बात तो यह है कि मैं आपको फोटो भेजता हूं वहां की कि मैं कितने बार गया हूं। आप कह रही हैं यह वहां के लोगों का कहना है। मैं आपको बता दूं कि मैं वहां काफी बार गया हूं। यह जो घर कटान हुआ है, बीच में जब 14, 15 जुलाई को बहुत बारिश हुई उसके बाद 18, 19 तारीख में कुछ लोग मेरे पास आए थे। हालांकि मैं उससे पहले वहां जाकर हो आया था। तो जब वो लोग आए तो उन्होंने कहा कि आप गौला में मशीन लगवा दीजिए तो मैंने उनसे यह कहा कि वहां पर पानी इतना ज्यादा है कि कोई भी मशीन वाला मशीन लगाने को राजी नहीं है। वो बहुत जिद करने लगे कि नहीं आप मशीन लगा दीजिए तो मैंने उनसे कहा कि मेरे कहने से तो कोई मशीन वाला गौला में जा नहीं रहा, क्योंकि मशीनें 50, 60 लाख की है मशीन मालिक कह रहे हैं कि हमारी मशीन बह जाएगी। जब गांव वाले बहुत जिद करने लगे तो मैंने उनसे यह कहा कि अगर आपको कोई मशीन मिलती है तो आप लगा लीजिए, पेमेंट मैं कर दूंगा। जिसने भी आपको बताई है, आधी बात बताई है पूरी नहीं बताई।

वहां के स्थानीयों का कहना है कि विधायक जी के लोग बार-बार शिकायत करने पर हमें गाली-गलौच करते हैं। कर्मचारियों का नाम पूछने पर स्थानीय ने बताने से मनाकर दिया यह कहकर कि हमें खतरा हो सकता है?
फिर तो आप बिल्कुल ही फर्जी लोगों से मिली हैं, आप जो फ्राॅड लोग होते हैं उनसे मिली हैं। एक बात बताइए ऐसे कोई गाली-गालौच कर सकता है किसी को? हम तो नहीं सोच सकते ऐसी बात। हम पढ़े-लिखे लोग हैं, हम जनता की सेवा करने के लिए हैं गाली- ग्लौच करने के लिए नहीं। हमारे घर में लोग गाली- ग्लौच करके जाते हैं तो हम उसके बाद भी हाथ जोड़ते हैं लोगों को।

लोगों का यह भी कहना है कि जब वह आपके घर आते हैं अपनी समस्या लेकर तब आपकी पत्नी का कहना होता है कि मेरे पति यहां से नहीं चोरगलिया से जीते हैं, इसमें आप क्या कहेंगे?

मैं कह तो रहा हूं न कि आप बिल्कुल फर्जी लोगों से मिली हैं, आप कभी वास्तविक लोगों से मिलिए, चोरगलिया में केवल ढाई-तीन हजार वोट है, ज्यादा से ज्यादा चार होंगे अधिकतम। तो यह कोई सोच भी नहीं सकता, ये बेवकूफों वाली कोई बात कहेगा। मेरी पत्नी भी पढ़ी-लिखी है, उसको भी जानकारी है डेमोक्रेसी का पता है, वो क्षेत्र में जाती है। वो लगातार आठ-दस सालों से समाज सेवा में लगी है। उन्हें पता है कि कहां पर कितने वोट हैं। मुझे तो 56,000 वोट मिले हैं तो ऐसे फर्जी लोगों से मिलकर आप अपना भी समय खराब कर रही हैं और मेरा भी। वो फर्जी इंसान होगा जो इस तरीके का आपको बोलेगा, ये बिल्कुल झूठ है। ऐसे झूठ बोलने वाले का कभी भला भी नहीं होगा। हम तो बिल्कुल सच्चाई के साथ काम करते हैं। पूरी ईमानदारी से करते हैं और पूरा 100 प्रतिशत देते हैं अपना जनता को, जो यहां पर 30, 40 सालों में काम नहीं हुए मैंने यहां वो भी कर रखे हैं।

बिंदुखत्ता में जो पीएचसी है, वहां न स्टाफ है, सिर्फ एक डाॅ. है, वहां रूम नहीं है, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, न डिलिवरी रूम, न माइनर ऑपरेशन थिएटर और यहां तक कि ग्लूकोज की भी सुविधा वहां नहीं है। रोजाना के वहां 100 से अधिक मरीज आते हैं। 80,000 की आबादी का क्षेत्र है, सिर्फ बिंदुखत्ता और लालकुआं में भी सिर्फ एक पीएचसी सेंटर है अस्पताल, स्टाफ सिर्फ दो लोग का है, डाॅ. चार अप्वाइंट है, जिनमें से दो होम्योपैथिक है इसमें आप क्या कहेंगे?
जितने भी प्राथमिक स्वास्थ केंद्र होते हैं उनमें 2 बजे तक ही समय होता है डाॅ. का मिलने का, पूरे देश में व्यवस्था यही है। और कहीं भी पीएचसी सेंटर में मशीनें नहीं होती है, ग्लूकोज की व्यवस्था नहीं होती है और डिलीवरी के लिए हमारे पास मोटा हल्दू में एक सेंटर है। अभी हल्दूचैड़ में एक सेंटर चालू करा दिया है। 30 बेड का एक सेंटर मंने ही अपने कार्यकाल में बनाया है, वो चालू हो गया है। बिंदुखत्ता से हल्दूचैड़ की दूरी केवल चार किलोमीटर और बिंदुखत्ता से हल्दूचैड़ के रास्ते में कोई रेलवे फाटक नहीं है। बीच में से ही सीधा रास्ता है और हमने यह व्यवस्था इसलिए ही की है क्योंकि किच्छा से लेकर हल्द्वानी तक 20 किलोमीटर तक के एरिया में मेरे विधायक बनने से पहले कोई भी इमरजेंसी की सुविधा नहीं थी। तो बिंदुखत्ता से लोग समस्या होने पर हल्दूचैड़ जा सकते हैं।

लालकुआं और बिंदुखत्ता के बीच में जो रेलवे फाटक हैं उसके लिए भी जनता की फ्लाईओवर की मांग थी उसमें कार्य कहा तक पहुंचा है?
उसमें नक्शा सब बन कर मैंने वो पास भी करा दिया था उसका कार्य शुरू होने वाला था लेकिन व्यापारियों ने विरोध कर दिया, व्यापारियों ने कहा कि इससे नीचे की बाजार उजड़ जाएगी उसकी वजह से नक्शे को रीडिजाइन करवाया, रुड़की भेजा अब उसको ऐसे बना रहे हैं कि खंभों पर खड़े होने वाला जिससे नीचे का बाजार भी चलता रहे और फ्लाइओवर भी बन जाए, अब तक वो काम शुरू होकर खत्म होने को होता अगर विरोध नहीं हुआ होता। अब रीडिजाइन होकर जल्द ही नक्शे को पास मिल जाएगा, वैसे ही काम शुरू हो जाएगा।

सेंचुरी पेपर मिल की वजह से हो रहे पाॅल्यूशन की वजह से लालकुआं के लोग खास कर घोड़ानाला के लोग कैंसर, श्वास सम्बंधी, हृदयरोग, टीवी, जैसी जानलेवा बीमारी से संक्रमित हो रहे हैं वहां की हवा और पानी दूषित हो गए है, इसके लिए आपने क्या कदम उठाए हैं?
इसमें विधान सभा की पाॅल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की कमेटी होती है। उस कमेटी का मैं मेम्बर हूं, विधायक बनने से पहले से 1999 से ही मैं इसके पाॅल्यूशन को कम करने के लिए मैं काम कर रहा हूं और आज थोड़ा-बहुत भी जो पाॅल्यूशन कम हुआ है वो हमारी वजह से हुआ है क्योंकि हम लगातार उन्हें पेपर मिल वालों को दबाव में लाते रहे हैं। लेकिन फिर भी लोगों की शिकायत है, जब यहां मनीष कुमार सिंह एसडीएम थे, उस समय मैंने यहां दो बार छापा पढ़वाया। मैं खुद स्वयं 2023 में पूरी कमेटी को ले गया वहां पर तो उनका कहना है कि हमारा जो सिस्टम है आॅनलाइन लगा हुआ है और हमारे यह मिल पाॅल्यूशन में रेड कैटिगिरी में आती है तो इतना पाॅल्यूशन तो ये करेगी ही, बोलते हैं। अभी पिछले महीने भी मैंने इसके लिए लेटर लिखा है। मैं इस समस्या से अवेयर हूं। मैं लगातार इसके लिए कार्यरत हूं। आप चाहे तो इसके सारे डाॅक्यूमेंट्स मेरे आॅफिस आकर देख सकते हैं। मैं कुछ भी ऐसे ही हवा में नहीं कह रहा।

गौलापार में जो बीते कई दशकों से बसे लोग हैं उन्हें पिछले साल दिवाली में नोटिस मिले हैं घर टूटने के, वहां के लोगों का कहना है कि  विधायक ने आश्वासन दिया, हमें गैरसैंण भी बुलाया मुख्यमंत्री से मिलने को लेकिन अब भी यही कहा जा रहा है कि घर टूटेंगे। इस मामले में क्या हुआ?
यह वन विभाग का मामला है। मैंने तो वहां जन-जीवन मिशन के अन्तर्गत काम शुरू करवाया, मैंने वहां सड़कें बनवाई लेकिन वहां के जो रहने वाले मुसलमान थे उन्होंने वहां नई जगह में अतिक्रमण शुरू कर दिया। जैसे मान लो अगर मैं हजार स्क्वायर फुट में रह रहा था तो मैंने पांच सौ स्क्वायर फुट और कैप्चर कर लिया। ऐसी कुछ लोगों ने वहां पर किया  तो उस वजह से वन विभाग सख्त हो गया और। उन्हें नोटिस जारी कर दिए। जो नया अतिक्रमण था वो तोड़ दिया। साथ में जो नई योजना हम वहां शुरू करना चाह रहे हैं। वो नहीं कर सकते, जैसे कोई स्कूल है उसका रिपेयर भी नहीं करा सकते, क्योंकि वन विभाग ने बहुत सख्ती कर दी, इस वजह से उन्हें बहुत दिक्कत आ रही है। लेकिन जब नोटिस आया तब भी मैं वहां गया था। वो लोग भी मेरे पास आए थे। मैं बीच में अभी वहां गया था। हम वन अधिनियम के तहत जो कार्यवाही बिंदुखत्ता में कर रहे हैं राजस्व गांव के लिए वो वहां पर भी कर रखी है। मैंने वहां पर भी वन ग्राम समिति बना रखी है। वो समिति अपना काम कर रही है और मैंने वहां के लोगों को कह रखा है मेरे होते हुए वहां के लोगों की एक ईंट तक किसी की नहीं जाएगी बस आप लोग नए अतिक्रमण न करें।

आपने अब तक जनता की हर समस्या के मामलों में अपने जमीनी काम बताए है कि सब में या तो आपने काम कर लिए हैं या अभी भी कार्य चल रहा है, बावजूद इसके जनता का कहना है कि  विधायक ने हमारे लिए कुछ नहीं किया, हमारी समस्याओं के लिए कुछ नहीं किया। हां, एक पानी के लिए उनका कहना है कि आपने पानी की समस्या दूर की है। लेकिन इसके अलावा, जनता की नजरों में आप खरे नहीं उतरे क्यों?
मैं यही नहीं समझ पा रहा हूं, आप उनसे यह पूछिए न जितनी बातें मैंने आपको बताई है। ये किसने किया, गौला नदी से कटान वाले में देखिए पानी आया न, पूरा हिमाचल बह गया, पूरा पंजाब भर गया। मेरा कहना है जब प्रकृति का कहर होता है उसके आगे कुछ नहीं रुकता है। हम बिंदुखत्ता में ढाई सालों में लगातार वहां पर तटबंध बनाने का कार्य कर रहे हैं। मैं पहला ऐसा विधायक हूं जो गौला नदी में मशीन लेकर खुद कूद गया था, मैं तीन बार बहते-बहते बचा। और आज भी गौला नदी के जिन लोगों से मैंने काम करवाया उनके लगभग साढ़े पांच लाख रुपए अपने जेब से खर्च किए हैं। तो ऐसा नहीं है कि काम नहीं हुए। जब बहुत ज्यादा पानी आता है, ज्यादा फोर्स से तो उसके सामने कुछ नहीं टिकता है उसके लिए कोई कुछ नहीं कर सकता है। अभी हमने दूसरी योजना बनाई है उसमें अब सुरक्षा दीवार बनाएंगे, काम पिछले बार हुआ था लेकिन ज्यादा पानी आने की वजह से बह गया था। हम लगातार ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं।

वहां के लोगों का ये भी कहना है कि आपने सारे काम इसलिए लाइनअप पर रखे हुए हैं और जमीनी स्तर पर तेजी से नहीं किए क्योंकि 2027 के चुनाव के लिए ये आपकी रणनीति है जिससे आप आगामी चुनाव से ठीक पहले काम करें जिसका लाभ आपको तब मिल सके?
मैडम जो काम जब होना होगा वो तभी होगा, हर काम का एक समय होता है। वो कोई 27 में कर लूं, 28 में कर लूं किसी के हाथ की बात नहीं है। हम बस प्रयास कर सकते है, जो हम कर ही रहे हैं लगातार।

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