इसी साल पांच फरवरी को हुए दिल्ली विधानसभा की सभी 70 के चुनाव नतीजे आठ फरवरी को आए जिसमें आम आदमी पार्टी को 22 और भाजपा को बम्पर 48 सीटों पर जीत मिली। इस चुनाव में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल सहित पार्टी के कई बड़े चेहरों को हार मिली। इस हार के बाद पार्टी ने समीक्षा की और अब आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कई बड़े फैसले लिए हैं। उन्होंने मनीष सिसोदिया को पंजाब प्रभारी नियुक्त किया है तो दिल्ली की जिम्मेदारी सौरभ भारद्वाज को दे दी है। गोपाल राय को गुजरात भेज दिया है वे वहां के प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। इसी तरह सत्येंद्र जैन को पंजाब का ही सह प्रभारी बनाया गया है। वहीं दुर्गेश पाठक को गुजरात का सह प्रभारी बनाया गया है। गोवा की बात करें तो पंकज गुप्ता प्रभारी नियुक्त किए गए हैं और अंकुश नारंग, आभास चंदेला, दीपक सिंगला को सह प्रभारी बनाया गया है। छत्तीसगढ़ के लिए संदीप पाठक को प्रभारी बनाया गया है।

बड़ी बात यह है कि राघव चड्डा जो पहले पंजाब प्रभारी थे उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। काफी समय से राजनीति में उनकी सक्रियता भी कुछ कम दिखाई दी है। इस बीच अब पंजाब से भी उनका आउट हो जाने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। वर्तमान में राघव सिर्फ एक राज्यसभा सांसद हैं। इन नई नियुक्तियों के बाद से ही रिएक्शन भी आने लगे हैं।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि पार्टी की तरफ से अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के प्रभारी के रूप में काम करने का आदेश दिया है। मैं पिछले कुछ दिनों के अनुभव से कह सकता हूं कि पंजाब के लोगों ने 3 साल पहले जिस तरह हमारी पार्टी को मौका दिया था उसके बाद से ही पंजाब में बहुत काम हुए हैं। पंजाब के इतिहास में इतने काम पहले कभी नहीं हुए थे। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बहुत अच्छे काम किए हैं। पंजाब में प्रभारी के रूप में मेरी कोशिश रहेगी कि पंजाब के लोग एक बदलता हुआ पंजाब देख सकें।

इसी तरह गोपाल राय ने गुजरात की जिम्मेदारी मिलने पर बोला कि आज पार्टी ने निर्णय लिया है कि पूरे देश में संगठन विस्तार का काम तेज किया जाएगा। पार्टी उन राज्यों में काम करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है जहां चुनाव होने वाले हैं और पार्टी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि आम आदमी पार्टी का पंजाब को लेकर इतना फोकस इसलिए है क्योंकि दिल्ली में उसे अप्रत्याशित हार मिली। जहां तक राघव चड्डा को साइडलाइन करने का सवाल है तो जिस समय राघव से उम्मीद की जा रही थी कि वे आम आदमी पार्टी की हार पर कुछ बोलेंगे, शायद केजरीवाल के बचाव में आएंगे, मगर वे अपनी पन्नी परिनीति के साथ शादी एन्जाॅय करते देखे गए। ऐसा अगर एक बार होता तो शायद कोई भी नजरअंदाज कर सकता था लेकिन पिछले डेढ़ साल से कई मौकों पर ऐसा देखा गया है कि जब पार्टी को राघव की जरूरत थी वे सियासत से पूरी तरह बाहर दिखे।

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय राघव चड्डा ने सोशल मीडिया पर अपने दो ट्वीट शेयर किए, बाद में कुछ दिनों तक सुनीता केजरीवाल की प्रेस काॅन्फ्रेंस शेयर करते रहे लेकिन इससे ज्यादा कुछ भी उन्होंने नहीं किया। दूसरी तरफ उसी मुश्किल समय में आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने जिस तरह से पार्टी को सम्भाला था, उससे उनकी पार्टी में उपस्थिति और कद दोनों बढ़ा।

समझने वाली बात है कि राघव आंखों की सर्जरी के लिए लंदन गए थे आप नेताओं ने खुद इस बारे में कहा था। लेकिन वहां से ठीक होने के बाद भी उनकी पार्टी गतिविधियों में दिलचस्पी ज्यादा दिखाई नहीं दी। फिर दिल्ली चुनाव में उनका ओल्ड राजेंद्र नगर में हुआ रोड शो जरूर चर्चा में आया लेकिन इससे ज्यादा कुछ वे नहीं करते दिखे। वहीं नतीजों के तुरंत बाद फिर वे गायब हो गए। ऐसे में जब-जब पार्टी मुश्किल में पड़ी है राघव चड्डा सियासी पिक्चर से ही दूर दिखाई पड़े। इस समय पंजाब अकेला राज्य बचा है जहां केजरीवाल माॅडल अभी भी चल रहा है यहां से भी अब उन्हें साइडलाइन कर दिया गया है।

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