Uttarakhand

कालनेमियों पर कसता शिकंजा

उत्तराखण्ड सरकार के ‘ऑपरेशन कालनेमी’ में कांवड़ यात्रा के दौरान फर्जी साधु-संतों, ज्योतिषों और अपराधियों की पहचान कर अब तक सैकड़ों रफ्तारियां की गई हैं। इस सख्त कार्रवाई ने आस्था की आड़ में हो रहे फरेब पर नकेल कस दी है जिससे श्रद्धालुओं में सुरक्षा का भरोसा बढ़ा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह पहल पूरे देश में एक मिसाल बन रही है

उत्तराखण्ड में सावन महीने की कावड़ यात्रा हर साल लाखों शिव भक्तों का आकर्षण बनती है। इस धार्मिक यात्रा में श्रद्धालु देश के कोने-कोने से हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री और गौमुख जैसे तीर्थस्थलों पर पहुंचते हैं और गंगाजल लेकर अपने-अपने शिवालयों में अभिषेक करने जाते हैं। इस बार की कावड़ यात्रा में उत्तराखण्ड सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा है। सरकार ने इस बार ‘ऑपरेशन कालनेमी’ नामक एक विशेष पुलिस अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य उन फर्जी साधु-संतों, ज्योतिषों और आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों की पहचान करना है, जो कावड़ यात्रियों के भेष में यात्रा में शामिल होकर अपराध को अंजाम देते या लोगों को ठगते हैं।

‘कालनेमी’ नाम चुनना ही अपने आप में प्रतीकात्मक है। पौराणिक मान्यताओं में कालनेमी एक ऐसा असुर था जो साधु-संत का वेष धरकर छल करता था। उसी प्रेरणा से उत्तराखण्ड पुलिस ने इस अभियान का नाम रखा ताकि जनता को यह संदेश दिया जा सके कि धर्म के नाम पर धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पहल को स्वयं हरी झंडी दी और साफ निर्देश दिए कि चाहे कोई भी हो, उसकी धार्मिक पहचान या राजनीतिक पहुंच देखे बिना कार्रवाई की जाए।

इस बार के ऑपरेशन में देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और आसपास के जिलों में पुलिस ने विशेष निगरानी तंत्र स्थापित किया है। हरिद्वार में कमांड कंट्रोल रूम से 350 से अधिक सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन से निगरानी की जा रही है, जबकि करीब 7,000 पुलिसकर्मी और होमगार्ड्स की तैनाती की गई है। इसके अलावा स्थानीय इंटेलिजेंस यूनिट, आईबी और क्राइम ब्रांच की विशेष टीमों को लगाया गया है ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत पकड़ा जा सके।

अब तक की कार्रवाई में देहरादून से सौ से अधिक संदिग्ध पकड़े गए हैं, जिनमें एक बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल था। उसके पास भारतीय नागरिकता के कोई वैध दस्तावेज नहीं मिले। इसी प्रकार हरिद्वार से 13 अन्य संदिग्ध गिरफ्तार हुए हैं, जिनमें से अधिकतर खुद को ज्योतिषाचार्य, तांत्रिक या चमत्कारी बाबा बताकर भोले-भाले श्रद्धालुओं को ठग रहे थे। इन सभी पर आपराधिक मामला दर्ज किया गया है और संबंधित धाराओं में पूछताछ जारी है।

यह पहली बार है कि उत्तराखण्ड में भाजपा शासन के दौरान कावड़ यात्रा को लेकर इतनी सघन और व्यवस्थित पुलिस निगरानी हो रही है। इससे पहले अक्सर यह आरोप लगता था कि धर्म और आस्था के नाम पर प्रशासन आंख मूंद लेता है, लेकिन इस बार सरकार ने साफ संदेश दिया है कि धार्मिक आयोजनों की गरिमा बनाए रखने के लिए जरूरी है कि अपराधियों पर कार्रवाई हो।

धार्मिक संगठनों ने भी इस पहल का समर्थन किया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, निरंजनी अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा जैसे बड़े संत संगठनों ने कहा है कि इस तरह की कार्रवाई से असली साधु-संतों की गरिमा बचेगी और जनता का धर्म में विश्वास बढ़ेगा। खुद हरिद्वार के वरिष्ठ संतों ने बयान जारी कर कहा है कि असली संतों को इस तरह की जांच से कोई आपत्ति नहीं, बल्कि यह उनके लिए सम्मानजनक है कि छद्म साधुओं की पहचान हो।

सामाजिक दृष्टि से देखा जाए तो ‘आॅपरेशन कालनेमी’ सिर्फ एक पुलिसिया एक्शन नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है। यह उन करोड़ों श्रद्धालुओं को सुरक्षा का भरोसा देता है जो अपने परिवार और समाज के साथ कावड़ यात्रा करते हैं। साथ ही यह संकेत भी देता है कि उत्तराखण्ड धार्मिक पर्यटन को केवल अर्थव्यवस्था का साधन नहीं, बल्कि मर्यादा का प्रश्न मानता है।

 

ये ढोंग, पाखंड की जननी कौन है? कौन-सी ऐसी शख्सियतें राजनीतिक है जो इस तरह के ढोंगी और पाखंडियों को बढ़ावा देता है। इन्होंने आम जनता को धर्म परायण नहीं बनाया है, इनको धर्मभीरू बनकर ऐसे पाखंडियों को बढ़ावा दे रही है। इसके कारण जगह-जगह ऐसे ढोंगी और पाखंडी लोग हमारे देवभूमि उत्तराखण्ड में आ रहे हैं। ऑपरेशन कालनेमी’ एक अच्छी बात है, मगर यह कालनेमी भविष्य में पैदा न हो इसके लिए भाजपा को अपने आप को सुधारना होगा। कालनेमी और रावण दोनों ही भाजपा में हैं। उनको अपने आप को बदलने की जरूरत है।

हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड

राजनीतिक स्तर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए यह अभियान एक बड़ी सकारात्मक छवि लेकर आया है। उन्हें एक युवा और कड़े निर्णय लेने वाले प्रशासक के रूप में देखा जा रहा है, जो धर्म की आड़ में अपराध को बर्दाश्त नहीं करता। भाजपा नेतृत्व, संघ परिवार और संत समाज ने भी सार्वजनिक मंचों से मुख्यमंत्री के इस निर्णय की सराहना की है। कानूनी प्रक्रिया की दृष्टि से भी यह कार्रवाई महत्वपूर्ण है। जिन संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया, उनसे आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और उनके ज्योतिष या धार्मिक प्रमाण पत्र मांगे गए और न पेश कर पाने पर उन पर आपराधिक प्रावधानों में कार्रवाई की गई। पुलिस का दावा है कि जिन पर संदेह था, उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) और विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत भी जांच चल रही है।

कावड़ यात्रा, जो पहले केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक मानी जाती थी, अब धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर भीड़, ट्रैफिक जाम, दुर्घटनाओं और अपराधों की खबरों से भी जुड़ने लगी थी। ऐसे में ‘आॅपरेशन कालनेमी’ की शुरुआत को एक अनुशासन लाने वाले कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह भविष्य के लिए भी एक मिसाल बन सकता है, खासकर ऐसे धार्मिक आयोजनों के लिए जहां लाखों लोग एकत्र होते हैं। फिलहाल, इस अभियान के शुरुआती परिणाम सकारात्मक बताए जा रहे हैं, लेकिन असली चुनौती तब आएगी जब इसे पूरी यात्रा अवधि में बनाए रखा जाएगा और हर स्तर पर ईमानदारी से लागू किया जाएगा। यदि यह माॅडल सफल रहता है तो अन्य राज्यों में भी धार्मिक आयोजनों के दौरान इसी तरह की निगरानी की मांग उठ सकती है।

‘ऑपरेशन कालनेमी’ का हम ही नहीं पूरा संत समाज समर्थन करता है, धामी सरकार ने यह अच्छा काम किया है, इससे सनातन धर्म और अन्य सभी धर्मों का हित होगा, कांवड़ मेले में जो उपद्रव हो रहा है वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। कांवड़ की आड़ में उपद्रव मचाने वाले छद्म कांवड़िए ही हैं। ऐसे लोगों को चिन्हित करके कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

महंत दिलीप रावत, विधायक, लैंसडाॅन

पूर्व में भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें हत्या जैसे गम्भीर अपराध करके अपराधी साधु वेश में छुपा रहा। करीब दस वर्ष पूर्व मुिन की रेती थाना क्षेत्र में गंगा किनारे आश्रम बनाकर रामसेवक दास नामक एक संत वर्षों से आश्रम बनाकर रह रहा था। जबकि यह बाबा बिहार से फरार अपराधी था। चर्चा है कि इस पर हत्या करने का आरोप लगा था लेकिन यह पुलिस से बचने के लिए ऋषिकेश मुनि की रेती में आ गया और गंगा किनारे आश्रम बनाकर रहने लगा। हैरत की बात यह है कि बाबा का विवाद संत आसाराम के साथ भी हुआ। बावजूद इसका अपराधिक इतिहास स्थानीय पुलिस नहीं लगा सकी। हालांकि कुछ वर्ष बाद इसकी असल सच्चाई सामने आई तो यह रातांेरात अपना आश्रम छोड़कार फरार हो गया।

इसी तरह से हरिद्वार के प्रसिद्ध चंडी मंदिर के महंत रोहित गिरी पर एक महिला के साथ छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है। महंत रोहित गिरी के कारनामे भी कम नहीं हैं। पंजाब के लुधियाना जिले की रहने वाली एक महिला के संग हवन करवाने के नाम पर रोहित गिरी ने छेड़छाड़ की जबकि महंत की पत्नी भी है और एक अन्य महिला के साथ उसके लिव इन रिलेशनशिप में रहने के भी आरोप लग चुके हैं। एक विख्यात मंदिर के मंहत जो कि फर्जी बाबा तो नहीं था लेकिन उसके कारनामे एक संत के विपरीत ही थे।

प्रदेश में फर्जी बाबाओं का राजनीतिक रसूख होने और उच्च पदांे तक पहुंच होने का बड़ा मामला स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पहले कार्यकाल में ही सामने आ चुका है जिसमें आपराधिक प्रवृत्ति के एक फर्जी बाबा प्रियव्रत अनिमेश ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपनी पुस्तक का विमोचन तक करवाने में सफल हो गया। जबकि उक्त प्रियव्रत अनिमेश बाबा के खिलाफ एक सर्राफा कारोबारी द्वारा ऋषिकेश कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया गया था। आरोप था कि प्रियव्रत अनिमेश बाबा ने कारोबारी की धर्मपत्नी जिनकी मानसिक अवस्था ठीक नहीं है, को सम्मोहन के जरिए लाखों का सोना-चांदी आदि का सामान ठग लिया। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके प्रियव्रत अनिमेश बाबा को हिरासत में ले लिया और सर्राफा कारोबारी की पत्नी से ठगी करके लूटा हुआ सामान भी बरामद कर लिया था।

देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर शुरू किए गए इस अभियान के जरिए प्रदेश सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आस्था का सम्मान करते हुए भी कानून के शासन को कायम रखना ही असली धर्म है। यह पहल न केवल कावड़ यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी एक सशक्त संदेश देगी कि अपराध, चाहे वह किसी भी वेश में हो, बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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