हरीश रावत
पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड
झूठ-लूट और फूट की सरकार के विरुद्ध न्याय यात्रा के इस चरण का शुभारम्भ मैंने 22 जून को देहरादून के धरमपुर विधानसभा क्षेत्र में श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग लेकर किया। पंचायतों के चुनाव के संदर्भ में 22 जून को शीर्ष स्तर की एक बैठक में भाग लेने के बाद मैं देर रात 9ः30 बजे काशीपुर में सामाजिक न्याय के योद्धा श्री जय सिंह गौतम के आवास पर पहुंचा। काशीपुर के सभी शीर्ष नेताओं व कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत कर अच्छा लगा, उनमें बहुत उत्साह था। पंचायती चुनावों को कांग्रेस जन एक मौका मान रहे हैं, जब वह अपनी क्षमता दिखा कर अपनी पार्टी को फिर से सत्ता का रास्ता दिखा सकते हैं। देर रात काठगोदाम सर्किट हाउस में पहुंचा। 23 जून को प्रातः जल्दी-जल्दी तैयार होकर मैंने स्थानीय ब्राॅडकास्टर काफल से आधे घंटे बातचीत की, उनके प्रश्नों का उत्तर दिया। उसके बाद मैं ओखलकांडा क्षेत्र की तरफ आगे बढ़ा। मेरे साथ उत्साही नवयुवक कार्यकर्ता हरीश पनेरु, श्री राकेश बृजवासी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री दीवान सिंह मटियाली जी आदि कांग्रेस जन काठगोदाम से सारे मार्ग भर निरंतर यात्रा में साथ रहे। दीवान सिंह मटियाली वरिष्ठ नेता हैं, श्री मदन बोरा ने राज्य में कांग्रेस की सरकार लाने के लिए वर्षों पांव में जूता भी नहीं पहना। मदन दिल्ली से ही मेरे साथ रहे हैं। कई ऐसे महत्वपूर्ण हमारे नेता गण मेरे साथ आगे बढ़े। रास्ते में ललित मोहन प्रधान जी के ढाबे पर चाय पीकर स्थानीय लोगों के साथ बातचीत की। रौसिल गांव में भागवत हो रहा था वहां भी भाई-बहनों से भेंट हुई और व्यास जी का आशीर्वाद ग्रहण कर फिर हम लोग भारी वर्षा के बीच हैड़ाखान आश्रम में पहुंचे। वहां अब वह रौनक नहीं रही जो कभी हैड़ाखान बाबा के भव्य सानिध्य में हुआ करती थी। वहां देश-विदेश के सैकड़ों भक्तों का जमवाड़ा लगा करता था। जमरानी मंदिर में शिव अपने शांत स्वरूप में यहां विद्यमान हैं। बड़े हैड़ाखान बाबा और फिर उनके बाद जिनमें हैड़ाखान बाबा अवतरित हुए उन हैड़ाखान बाबा जी की समाधि स्थल पर प्रणाम किया और श्री धर्मानंद जी से प्रसाद ग्रहण किया। वहां बांध बनने से विस्थापित हो रहे लोगों से मिलने व उनका दर्द जानने का मौका मिला। यही तो मेरी न्याय यात्रा का उद्देश्य है। जमरानी के भाई-बहन बोले हमारी आवाज कोई नहीं सुन रहा है, हम अपने गांव में अच्छे थे। हमारे पास दो-चार नाली जमीनें थी तो उससे पूरे परिवार का आजीविका का पालन करते थे, क्योंकि उसके साथ हमारे गोचर पनघट थे, कई छोटी- छोटी आजीविकाएं गांव से जुड़ी थी और उससे पूरे परिवार का पालन- पोषण हो जाता था। अब हमें कुछ धनराशि देकर गांव से उजाड़ा जा रहा है। 1 एकड़ भूमि दी जा रही है। अपने घर, जमीन छूटने का दर्द सह रहे हैं। मगर एक एकड़ भूमि से कल मेरे तीन लड़कों के परिवार का कैसे पालन होगा? मैं इस 1 एकड़ जमीन को उनमें कैसे बांटूंगा? 1 एकड़ तो उनके घर बनाने में निकल जाएगी, कैसे उनके आगे आजीविका चलेगी? मैं इसको लेकर बहुत चिंतित हूं। मुझे भी लगा कि कम से कम तीन एकड़ भूमि जमरानी बांध के विस्थापितों को दी जानी चाहिए, टिहरी के तर्ज पर दी जानी चाहिए। जमरानी बांध के साथ तराई की बहुत सारी आशाएं जुड़ी हुई हैं। तराई-भाबर का एक बड़ा क्षेत्र जल अभाव से जूझ रहा है जिसमें हल्द्वानी शहर से लेकर उससे जुड़ी हुई सारी बसासतें सम्मिलित हैं।
जमरानी बांध के निर्माण के आज तक के इतिहास में कई सोपान आए हैं। स्व. श्री कृष्ण चंद्र पंत जी नैनीताल संसदीय क्षेत्र के सांसद थे। उन्होंने सर्वप्रथम जमरानी बांध की बात कही। हो सकता है उससे पहले का भी कुछ इतिहास हो। उत्तर प्रदेश में श्री नारायण दत्त तिवारी जी और श्री के सी पंत जी की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण लोगों का मानना है कि जमरानी बांध का निर्माण केवल औपचारिकताओं में फंस कर रह गया। रुपए बहुत खर्च हुए, मगर जमरानी यथार्थ नहीं बन पाया। एक-दो बार जमरानी निर्माण के लिए हमने भी संघर्ष यात्राएं निकाली और बहुत सपोर्ट भी मिला हमारी यात्रा को। बहुत बड़ी संख्या में लोग सम्मिलित हुए जिनमें स्थानीय सांसद श्री के सी सिंह बाबा जी से लेकर हमारे कई नैनीताल व ऊधमसिंह नगर के नेतागण सम्मिलित हुए। कांग्रेस से इतर भी लोग सम्मिलित हुए। संयोग ऐसा बना कि मैं, भारत सरकार में जल संसाधन मंत्री बन गया। बहुत लम्बे समय तक तो मैं जल संसाधन मंत्री नहीं रहा, लेकिन जितने समय भी मैं रहा मैंने राज्य सरकार से बातचीत कर जमरानी आदि बांधों को लेकर उनके प्रस्तावों को फिर से आगे बढ़ाया और जमरानी-लखवाड़, व्यासी, किसाऊ, इन तीनों प्रोजेक्ट्स को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स का दर्जा देने के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल के सम्मुख रखा और स्वीकृति प्राप्त की। मैंने, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी व सिंचाई मंत्री श्री शिवपाल यादव जी से बातचीत की। जल संसाधन मंत्रालय में उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री व सिंचाई मंत्रियों की बैठक बुलाकर बांध के निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर दोनों पक्षों को सहमत करवाया। थोड़े बहुत एडजस्टमेंट के साथ उत्तर प्रदेश की तरफ से जमरानी के निर्माण में सहमति व्यक्त की गई। इस दौर में मैंने, हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से भी बातचीत की। उन्हें भी किसाऊ व लकवाड़ के निर्माण पर सहमत करवाया। आज यह तीनों प्रोजेक्ट्स को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स का दर्जा है, जिसके तहत 90 प्रतिशत केंद्रीय अनुदान मिलता है और 10ः राज्य सरकार को अनुदान देना पड़ता है, इनके निर्माण कार्यों को केंद्र सरकार की सैद्धांतिक व प्रशासनिक स्वीकृति के बाद इन प्रोजेक्ट्स के निर्माण का रास्ता प्रशस्त हो गया। मुझे आज इस बात की संतुष्टि है कि जमरानी बांध का निर्माण होगा। मगर विस्थापन से जुड़े मानवीय समस्या का समाधान आवश्यक है।
जमरानी से फिर हम लोग आगे बढ़े, खनस्यू में बहुत भारी वर्षा के बीच में पहुंचे। लोगों ने बहुत उत्साह पूर्ण तरीके से हमारा स्वागत किया। वर्षा के कारण एक कक्ष में हमको बैठक करनी पड़ी और वहां एक नौजवान की हत्या का प्रसंग आया। रास्ते भर कई लोगों ने बताया कि राजनीतिक दबाव के कारण उसकी हत्या को स्थानीय पुलिस हत्या नहीं मान रही है। कुछ लोग उसे आत्महत्या सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं। मैंने इस सम्बंध में पुलिस महानिदेशक श्री दीपम सेठ जी से बातचीत की और पीड़ित पक्ष को 27-28 जून को मैं देहरादून बुलाया ताकि श्री दीपम सेठ जी से उनकी आगे की बातचीत करवा सकूं। यह वही खनस्यू है जहां मुझे मुख्यमंत्री के रूप में तहसील खोलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। यहां से हम आगे पतलोट के लिए बढ़े। हमें पतलोट जाने में देर हो गई थी, वह ऊंचा स्थान है, बारिश ज्यादा हो रही थी। हमें लगा कि पतलोट जाने में देर के कारण लोगों से भेंट करना मुश्किल हो जाएगा। मुझे बेहद खुशी हुई कि पतलोट में बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष हमारा इंतजार कर रहे थे। यहां मुझे मुख्यमंत्री के रूप में डिग्री काॅलेज खोलने का सौभाग्य मिला था और हमारी सरकार ने यहां की सड़क का पुनर्निर्माण कर एक अच्छा काम किया था। ओखलकांडा क्षेत्र लम्बे समय से संचार सुविधा के अत्याचार ग्रसित था, यहां फल, सब्जी आदि बड़ी मात्रा में उत्पादित होती हैं, यहां के उत्पाद समय पर हल्द्वानी मंडी में नहीं पहुंच पाते थे, बहुत घूम करके उनको मंडी जाना पड़ता था। वर्षा काल में तो स्थिति और कठिन हो जाती थी, अब यह मार्ग आॅल वेदर रोड के रूप में प्रचलन में है। इस सड़क के निर्माण वहां वालों को बहुत संतुष्टि है। जब मैं वहां पहुंचा तो लोगों ने इस बात का भी उल्लेख किया। डिग्री काॅलेज का भी उल्लेख किया। एक छात्रा ने माला डाली उसने कहा कि मैं इस डिग्री काॅलेज में पढ़ाई करती हूं, आपने इस काॅलेज को खोला इसलिए मुझ जैसी गरीब घर की बेटी के लिए शिक्षा लेना सम्भव हो पाया। पतलोट में उत्सव जैसा दृश्य था। हमने वहां दर्जनों गौरवशाली भूतपूर्व सैनिकों का सम्मान किया, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवारों का सम्मान किया और कुछ ऐसे अति वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस से जुड़े कार्यकर्ताओं को भी सम्मानित करने का सौभाग्य मिला जो हमेशा कांग्रेस और समाज सेवा में जुड़े रहे हैं।
पतलोट में बहुत समय बिताया, वहां झोड़ा भी गाया, जीत सिंह जी बहुत बड़े गायक हैं उनके गीत और झोड़े सुनकर मन बहुत प्रफुल्लित हुआ। समय कब आगे खिसक गया कुछ मालूम नहीं पड़ा। हरीश पनेरू जी अपने गांव हमें अल्पाहार के लिए लेकर गये। मां के हाथ के स्वादिष्ट भोजन ने मन को प्रसन्न कर दिया। वहां से सीधे निकल कर मोरनौला, लमगड़ा के लिए प्रस्थान किया। बहुत विकट सड़क है, मझोला-मोरनौला मोटर मार्ग के रूप में निर्मित हुई है। रास्ते में केवल एक स्थान पर लोगों से भेंट हो पाई। बहुत बारिश हो रही थी, अंधेरा भी हो गया था। हम सीधे मोरनौला पहुंचे और वहां से लमगड़ा की ओर प्रस्थान किया, रास्ते में चायखान में हमारे लमगड़ा क्षेत्र के बहुत सारे कांग्रेस कार्यकर्ता श्री गोविंद सिंह कुंजवाल जी के नेतृत्व में हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे। थोड़ी देर के जिंदाबाद, माल्यार्पण के बाद हम सब लोग उस गांव की ओर चल पड़े जहां हमने सायं 6 बजे पहुंचने का समय दिया था। पहुंचे रात के 10 बजे। यह गांव अच्छा छोटा सा गांव सड़क से सटा पहाड़ी गांव गौलीमहर है। मुझे विश्वास नहीं था इतनी देर रात गांव व आस-पास के लोग हमारी प्रतीक्षा कर रहे होंगे। गांव में रात देर अच्छी खासी विचार गोष्ठी हो गई। हमारे उत्साही साथियों व नेताओं ने इस मध्य रात्रि के स्वागत व गौलीमहर गांव की सभा को यादगार बना दिया। ब्लाॅक अध्यक्ष मनोज रावत, पूर्व अध्यक्ष दीवान सतवाल, पूर्व जिला अध्यक्ष पीताम्बर पांडे, पूर्व प्रमुख महेंद्र मेर सहित सूरज सिंह नगरकोटी ब्रदर्स ने अपनी सतत् भागीदारी द्वारा मध्य रात्रि को भी हमारी यात्रा को जीवंत बनाए रखा। रात 12 बजे, गुड़ की कटक के साथ हमने चाय पी और लमगड़ा के रात्रि विश्राम स्थल की ओर प्रस्थान कर गये। उत्तराखण्ड में आपको अधिकांश स्थानों व घरों में लम्बे समय से गुड़ की डली के साथ चाय मिलेगी। गुड़ की उत्तराखण्ड में निरंतर खपत बढ़ रही है। अच्छा हो रहा है। गुड़ बनाना हमारे राज्य में इंडस्ट्री के रूप में आगे बढ़ रहा है। इसे नियोजित रूप से आगे बढ़ाना राज्यहित में है।
प्रातः आवास स्थल से हिमालय तो नहीं दिखा, हां लमगड़ा-कपकोट गांव के गाड़ की हरियाली देखकर मन खुश हुआ। थोड़ी शीघ्रता बरतने के बाद भी हम निर्धारित समय से 15 मिनट विलम्ब से लमगड़ा से भनोली की तरफ चल पड़े। जागेश्वर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस जनों में बहुत उत्साह दिखाई दिया। लगभग एक दर्जन कारों के जत्थे के साथ हम लोग भनोली की तरफ अग्रसर हुए। रास्ते में देश की आजादी की लड़ाई के कई महानायकों के गांव आए, उन्हें प्रणाम कर हम आगे बढ़ते गए। इनमें से जय हिंद के उद्घोषक स्वर्गीय श्री राम सिंह धोनी और मिस्टर कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी का भी गांव तल्ला बिनौला है, दुर्गा दत्त शास्त्री जी का गांव नया संगरौली, शिवदत्त गुरुरानी जी का गांव पुघाऊं भी आया, मैंने प्रणाम किया। भनोली में उत्साह व उमंग का आनंद दायक मंजर देख सारी थकान मिट गई। भाजपा के एक स्तम्भ जिन्होंने 2022 के चुनाव में गोविंद सिंह कुंजवाल जी को हराने में बड़ी भूमिका अदा की थी श्री गोपाल सिंह बिष्ट, आज अपने सैकड़ों साथियों के साथ कांग्रेस पार्टी में सम्मिलित हो रहे थे। रास्ते में ऐतिहासिक व सबसे बड़ा गांव डूंगरा पड़ता है, श्री गोपाल यहीं से अपने जत्थे के साथ हमारे कारवां में सम्मिलित हो गए। ढोल- नगाड़ों, रणसिंघे और छलिया नृत्यकों के सानिध्य में सारा माहौल आनंद दायक बन गया था। यद्यपि सभा स्थल 2 किलोमीटर दूर था, हमने पैदल चलने का निर्णय लिया। जो जहां पर मिला वह कारवां में सम्मिलित हो गया। ऐसा लगा कि सारा भनोली क्षेत्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री विशन सिंह जी के नाम पर स्थापित इंटर काॅलेज के प्रांगण की ओर चल पड़ा है। नौजवान श्री गोपाल सिंह का कांग्रेस पार्टी में सम्मिलित होना अल्मोड़ा जनपद की एक बड़ी घटना है। इंटर काॅलेज का बड़ा सा मैदान खचाखच भरा हुआ था, बहनें भी दूर-दूर से आई थीं, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवारों के आश्रित एवं गौरवशाली पूर्व सैनिकों के सम्मान की रस्म पूरी करने के बाद श्री गोपाल सिंह और उनके साथियों को माला पहनाकर कांग्रेस में सम्मिलित करने की हमारे साथियों में होड़ सी लग गई। लोगों ने श्री गोपाल को मालाओं से लाद दिया। फिर सम्बोधन का कुछ लम्बा उबाऊ सा सिलसिला प्रारम्भ हुआ। लम्बे सम्बोधन के कार्यक्रम के मध्य कई साथियों के भाषणों जिनमें श्री आनंद रावत, दीवान सत्याल, पीताम्बर दत्त पांडे व प्रशांत भैसोड़ा आदि सम्मिलित हैं, ने अपनी भाषण कला से ढेरों तालियां बटोरी। सामान्यतः ऐसे कार्यक्रम एक-डेढ़ घंटे में समाप्त हो जाते हैं। दूर-दूर से आए हुए भाई बहन लगभग 5 बजे तक सभा स्थल पर डठे रहे। श्री गोविंद सिंह कुंजवाल जी की हार के प्रति यह लोगों का मौन प्रायश्चित है। श्री गोपाल जी भी बहुत अच्छा बोले। वयोवृद्ध साथी शेर राम, आनंद, प्रकाश आदि अद्भुत जोश में दिखाई दिए। श्री गोविंद सिंह कुंजवाल जी, उत्तराखण्ड कांग्रेस के अध्यक्ष श्री करण महरा जी, श्री मनोज तिवारी, जिला अध्यक्ष श्री गुड्डू भोज व मेरे संबोधन के बाद सभा का समापन हुआ। मगर कार्यकर्ता साथियों का जोश लगातार अंत तक बना हुआ था। यहां से हम सीधे खेती रोड में धरम घर नाम के सुंदर स्थान पर पहुंचे। यहां भाजपा के एक दूसरे स्तंभ श्री सुरेश भट्ट बहुत बड़ी संख्या में अपने साथियों के साथ हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे। श्री भट्ट, मूर्धन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. श्री गंगाराम भट्ट के पौत्र हैं। इनके पिता आदरणीय पीतांबर भट्ट, माताजी श्रीमती बसंती भट्ट सहित भारतीय जनता पार्टी से 2-2, 3-3 दशक से जुड़े हुए कई प्रभावशाली ग्राम प्रधानों, पूर्व प्रधानों, भाजपा के मंडल कार्यकर्ताओं ने मेरे हाथ से माला पहनकर कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। मैंने बहुत प्रफुल्लित भाव से सबका आलिंगन किया और देर में पहुंचने के कारण जो साथी दूर-दूर अपने गांवों में चले गए थे उनको मेरी ओर से कांग्रेस में सम्मिलित करवाने का दायित्व मैंने, श्री गोविंद सिंह कुंजवाल जी, श्री पीताम्बर पांडे जी और श्री सुरेश भट्ट जी, पूर्व ब्लाॅक अध्यक्ष श्री पूरन सिंह बिष्ट को सौंपा। सच मानिए इस आयोजन ने मुझे अत्यधिक उत्साहित किया। यहां से हम कांग्रेस के स्तंभ रहे स्वर्गीय श्री रामचंद्र भट्ट जी के आवास रिजाॅर्ट की तरफ चल पड़े, वहां रामचंद्र जी के एक परपौत्र का पहला जन्मोत्सव था, उस खुशनुमा पारिवारिक माहौल में सम्मिलित होना बहुत अच्छा लगा। फिर हम तोली गांव में रुके। पाण्डेय लोगों का यह गांव कभी कांग्रेस का मायका हुआ करता था, वहां के एक होनहार पुत्र राजीव पांडे का चयन सेंट्रल आम्र्ड पुलिस फोर्सेज के असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर हुआ है, उन्हें और उनके माता-पिता श्री मोहन चंद्र पांडे व श्रीमती जानकी पांडे जी को शाॅल और माला पहनाकर बधाई दी। यहां से यात्रा के मेजबान बदल गए। रात लगभग 9ः30 बजे हम, विधायक श्री मनोज तिवारी जी की अगुवाई में बाड़ेछीना में कांग्रेस के स्तम्भ रहे, श्री धरम सिंह महरा जी के आवास पर पहुंचे, वहां उनकी पत्नी और कुटुंबी जनों से भेंट कर उन्हें शाॅल और माला पहनाई। आत्मियता की इस क्रम में मैं स्वर्गीय श्री प्रेम सिंह सुयाल जी के आवास पर पहुंचा, उनके पुत्र, पत्नी, बहु आदि सबसे भेंट की। कैप्टन पूरन सिंह सुयाल लम्बे समय तक हमारे ब्लाॅक अध्यक्ष रहे। इधर छह महीने पहले उनका देहांत हुआ, मैं उनके कुटुम्बीजनों को सांत्वना देने और अपनी संवेदना प्रकट करने के लिए उनके आवास पर पहुंचा। कैप्टन साहब के कामों की लम्बी समय तक चर्चा होती रही। कैप्टन साहब एक अच्छे संगठन व शानदार सामाजिक कार्यकर्ता थे। क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में मेरे इस कदम से बड़ा उत्साह भर गया। ब्लाॅक अध्यक्ष पूरन सिंह, हरीश सिंह, राकेश कुमार, श्री सुरेश भट्ट और श्री गोपाल सिंह बिष्ट सहित दर्जनों ऐसे लोग भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में सम्मिलित हुए। जिन्हें भाजपा का उनके क्षेत्रों में स्तंभ माना जाता था। अल्मोड़ा कांग्रेस के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। हमारे जिलाध्यक्ष एक उत्साही नौजवान हैं, निश्चय ही आज की इस पहल को वह आगे लेकर चलेंगे।
लगभग 10ः30 बजे अल्मोड़ा पहुंचे। जल्दी-जल्दी खाना खाकर सोने का प्रयास किया। दिन भर की घटनाक्रम मन-मस्तिष्क में उमड़-घुमड़ कर आने लगे। मैं मूलतः अल्मोड़ा कांग्रेस का कार्यकर्ता हूं। बहुत सारे उतार- चढ़ाव इसी अल्मोड़ा ने दिखाए। कांग्रेस के साथ जुड़ाव के 57 वर्ष कम नहीं होते हैं। एक लंबा अंतराल, इतिहास के कई पन्ने मेरे स्मृति पटल पर फड़ फड़ाने लगे। मैं जब तक एक पन्ने को पढ़ने का प्रयास करता था, तब तक दूसरा पन्ना फड़फड़ा कर सामने आ जाता, इसी उधेड़ बुन में मैं निंद्रा के आगोश में समा गया।
क्रमशः
(यह लेखक के अपने विचार हैं।)


हरीश रावत