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देवभूमि का नशा विरोधी प्रहरी

उत्तराखण्ड की दिव्यता केवल उसकी हिमालयी भव्यता में नहीं, बल्कि उन साधना-समर्पण से भरे व्यक्तित्वों में भी निहित है जो इसे ‘देवभूमि’ के गौरव से ओत-प्रोत बनाए हुए हैं। सीमांत जनपद पिथौरागढ़ से ताल्लुक रखने वाले डाॅ. पीताम्बर पंत ऐसे ही एक कर्मयोगी हैं, जिन्होंने बीते दो दशकों से नशामुक्त उत्तराखण्ड की संकल्पना को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। डाॅ. पीताम्बर पंत का यह अभियान न तो किसी राजनीतिक मंच का मोहताज है, न ही किसी विचारधारा का अनुचरण करता है। उनका विश्वास है कि सामाजिक बुराइयों का नाश केवल जागरूकता, संवेदना और जनसम्पर्क से ही सम्भव है, न कि आरोप-प्रत्यारोप या सत्तात्मक हस्तक्षेप से। यही कारण है कि उन्होंने अपने अभियान को पूरी तरह से गैर-राजनीतिक रखा है, जिससे उनकी विश्वसनीयता और प्रभावशीलता बनी रही है

आज जब प्रदेश में शराब की दुकानों को खोलने को लेकर जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं तो इससे समझा जा सकता है कि देवभूमि किस तरह नशे से त्रस्त हो चुकी है। लेकिन इन सबके बीच पिछले दो दशकों से अधिक समय से ‘नशामुक्त समाज’ की परिकल्पना को अपने अभियानों के जरिए जिंदा रखने वाले डाॅ. पीताम्बर अवस्थी के नशामुक्ति सबंधी कार्याे को उत्तराखण्ड के साथ ही नेपाल में भी सराहना मिल रही है। पिथौरागढ़ के साथ ही नेपाल के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में ‘नशामुक्ति’, ‘बेटी-बचाओ-बेटी पढ़ाओ’, ‘महिला सशक्तीकरण’’ के साथ ही सामाजिक कुरीतियों व अंधविश्वासों के खिलाफ जंग लड़ने वाले डाॅ. अवस्थी के कार्यों को नेपाल में भी व्यापक स्तर पर समर्थन मिल रहा है। नेपाल के तमाम सामाजिक व साहित्यिक संगठनों के साथ ही साधु संतों ने भी उनके कार्यों को सराहा है।

डॉ. पीताम्बर अवस्थी की पुस्तक लोकार्पण करती प्रसिद्ध कथावाचिका राधिका देवी

नेपाल के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में चलाए जा रहे इन तमाम अभियानों को भारत-नेपाल मैत्रीय सम्बंधों की प्रगाड़ता की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है। उनकी रचनाधर्मिता भी इसमें बड़ी सहायक बन रही है। उन्होंने इन तमाम मुद्दों को केन्द्र में रखकर जिन्दगी जरूरी है, बेटियां, मासिक धर्म अपवित्र क्यों, महिलाएंः भ्रांतियां एवं समाधान, जैसी पुस्तकें लिखकर ‘पुस्तक भेंट’ कार्यक्रम के जरिए लोगों को निःशुल्क वितरित की जा रही हैं, जो जनजागरूकता की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो रही हैं। उनके इन तमाम अभियानों व रचनाधर्मिता को देखते हुए उनको नेपाल का प्रसिद्ध ‘जयराज पंत लोक साहित्य पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। सुदूर पश्चिमांचल साहित्य समाज धनगढ़ी द्वारा यह पुरस्कार उन्हें प्रदान किया गया। इधर उत्तराखण्ड में भी साधु संतों द्वारा उनके कार्यों को सराहा जा रहा है। प्रदेश के तमाम महंतों को कहना है कि उत्तराखण्ड को भी एक षडयंत्र के तहत ‘उड़ता पंजाब’ बनाने की कोशिश हो रही है। ऐसे में डाॅ. अवस्थी की पहल सराहनीय है।

नारी : भ्रांति व समाधान का लोकार्पण करते लेखक डॉ. पीताम्बर अवस्थी (बाएं) संग नारी शक्ति

नशे के खिलाफ वर्ष 2003 में उन्होंने अपना अभियान शुरू किया था जिसमें अब तक नशा न करने के दो लाख संकल्प पत्र वह भरवा चुके हैं। वर्ष 2006 में उत्तराखण्ड के तत्तकालीन मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी को वह एक लाख संकल्प पत्र सौंप चुके हैं। गांवों, शहरों के साथ ही स्कूलों में भी उनका यह अभियान निरन्तर जारी है। अब पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में भी उनके इस अभियान में लोग भागीदार बन रहे हैं। उनके चलाए जा रहे अभियानों के केंद्र में युवा व महिलाएं रही हैं। नेपाल के तमाम जनसंगठनों से जुड़े लोगों का कहना है कि नशे के चलते ही आज दोनों देशों की युवा पीढ़ी बरबादी के कगार पर पहुंच रही है। इसके लिए इस तरह के अभियान बड़े सहायक सिद्ध हो सकते हैं। नेपाली समाज में महिलाएं आज भी पिछड़ेपन व कई तरह की कुरीतियों का शिकार हैं। इसी को केंद्र में रखकर उनके द्वारा लिखी पुस्तक ‘नारी: भ्रांति व समाधान’ का नेपाली भाषा में अनुवाद हुआ है। इस पुस्तक का लोकार्पण प्रसिद्ध अंतराष्ट्रीय कथावाचक भागवत मंजरी राधिका दासी द्वारा किया गया। उन्होंने डाॅ. अवस्थी के प्रयासों की सराहना करते हुए इस पुस्तक को आज के संदर्भ में प्रासंगिक बताया है। डाॅ. अवस्थी का कहना है कि जब युवा नशे के चुंगल से बचेंगे तभी हमारा राज्य/देश तरक्की करेगा। हमारी चिंता का विषय यह भी है कि नशे के कारण लोगों में पाशविक प्रवृत्ति बढ़ रही है। इस विषय पर जागरूकता पैदा करने के लिए मैंने ‘जिंदगी जरूरी है’ के साथ ही नशामुक्ति से सबंधित पोस्टर भी जारी किए हैं।

जगह-जगह बैठकों का आयोजन कर नशा न करने का संकल्प पत्र भरवाता हूं। नशे से होने वाली गंभीर बीमारियों की जानकारी देता हूं। इसके लिए अभिभावकों को अपने पाल्यों पर विशेष ध्यान देने की गुजारिश भी जाती है।
फिलहाल वह नेपाल के साथ ही उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रदेश को वर्ष 2025 तक नशामुक्त बनाने के संकल्प को आगे बढ़ाने में जुटे हैं। वह जनहित से जुड़े तमाम मुद्दों को जनांदोलन का रूप देने में लगे हैं ताकि प्रत्येक परिवार और व्यक्ति को जागरूक कर नशे की प्रवृत्ति को जड़ से समाप्त किया जा सके।

बात अपनी-अपनी

राधिका देवी को पुस्तक भेंट करते डाॅ. अवस्थी

डाॅ. पीताम्बर अवस्थी द्वारा नेपाल में चलाए जा रहे अभियानों से जहां महिला सशक्तीकरण को बल मिलेगा वहीं नशे व कुरीतियों को तोड़ने में भी यह मददगार साबित होगा। नेपाली भाषा में अनुवादित उनकी पुस्तक भारत व नेपाल को एक सूत्र में पिरोने का भी काम करेगी। जिससे दोनों देशों के बीच मैत्री सम्बंध और अधिक सुदष्ढ़ होंगे।

भागवत मंजरी राधिका देवी, प्रसिद्ध कथा वाचिका, नेपाल

डाॅ. पीताम्बर अवस्थी के तमाम अभियानों व उनकी नेपाली में अनुदित पुस्तक नेपाली महिलाओं में जागरूकता लाने में काफी मददगार साबित होगी। भारत व नेपाल की महिलाओं की स्थिति एक समान है। इसके लिए काम किए जाने की जरूरत है। इस तरह के अभियान दोनों देशों के मैत्रीय प्रगाढ़ता को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं।

शेर सिंह देऊबा, पूर्व प्रधानमंत्री, नेपाल

इस तरह के अभियानों से दोनों देशों में सामाजिक बुराइयों को दूर करने में मदद मिलेगी। दोनों देशों की सांस्कृतिक पहचान एक जैसी है। यह मैत्रीय भावना को विकसित करने के साथ ही एक स्वस्थ समाज के निर्माण में सहायक सिद्ध होगी।

विक्रम सिंह धामी, प्रमुख सचेतक, सुदूर पश्चिम प्रदेश सभा, नेपाल

उत्तराखण्ड में नशे का बढ़ता उपयोग गहरी चिंता का विषय है। यहां युवाओं को नशे के गर्त में धकेला जा रहा है। नशे से निपटने में पुलिस अपना काम कर रही है लेकिन जब तक समाज खुद नहीं जाएगा तब तक इस पर प्रभावी अंकुश नहीं लग सकता। ऐसे में डाॅ. अवस्थी के अभियान आशा जगाते हैं।

महंत शिवानंद गिरी महाराज, उत्तराखण्ड

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