नवम्बर में सम्भावित बिहार विधानसभा चुनाव होने तय हैं। ऐेस में प्रदेश की तपती सियासत का तापमान भी अब धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। इस बार माहौल गरमाने की शुरुआत खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के राजधानी पटना की सड़कों पर भ्रमण कर की है। यही नहीं मुख्यमंत्री का यह बिन बताए मंत्री और अधिकारियों के घर दौरा न सिर्फ राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि इसके कई राजनीतिक संकेत भी निकाले जाने लगे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में कुछ बड़ा होने वाला है। राजनीतिक विश्लेषक इसे नीतीश कुमार की एक सोची-समझी रणनीति मान रहे हैं। विश्लेषक कहते हैं कि नीतीश जब भी इस तरह अचानक एक्टिव होते हैं, उसका कोई न कोई गहरा अर्थ होता है जो कुछ दिनों बाद सामने आता है। यह दौर ठीक वैसे ही दिख रहा है जैसे उन्होंने कई बार गठबंधन की राजनीति में अचानक बड़े फैसले लिए थे। नीतीश कुमार बीते कुछ दिनों से सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए थे। लेकिन अब वह एक बार फिर एक्शन में आ गए हैं और उनकी हर गतिविधि पर लोगों की नजरें टिकी हुई हैं। चाहे वह उनके सहयोगी मंत्री हों या विपक्षी दल हर कोई इस कदम को लेकर अपनी-अपनी टिप्पणी कर रहा है। माना जा रहा है कि कुछ अहम फैसले या फेरबदल भी जल्द हो सकते हैं। नीतीश की पहचान एक चुपचाप रणनीति बनाने वाले नेता के रूप में रही है और उनकी यह चुप्पी अक्सर बड़े बदलाव की संकेत होती है। गौरतलब है कि बीते दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने काफिले को तैयार करने का निर्देश दिया और गाड़ी में बैठकर निकल पड़े। किसी को भनक तक नहीं थी कि मुख्यमंत्री अचानक इस तरह सड़कों पर उतर जाएंगे। वे सबसे पहले पहुंचे मंत्री विजय चैधरी के आवास पर जहां उन्होंने थोड़ी देर बातचीत की और फिर आगे बढ़ गए। इसके बाद वह वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र यादव के घर पहुंचे और मंत्री से हालचाल लिया फिर वहां से रवाना हो गए। इसके बाद नीतीश कुमार का अगला ठिकाना बना मंत्री अशोक चैधरी का आवास जहां उन्होंने कुछ मिनटों तक बातचीत की। उसके बाद मुख्यमंत्री अपने प्रधान सचिव दीपक कुमार के आवास भी पहुंच गए। इस तरह एक ही दिन में मुख्यमंत्री ने चार अहम लोगों से मुलाकात कर न सिर्फ प्रशासनिक सक्रियता दिखाई, बल्कि एक बार फिर अपने पुराने अंदाज में राजनीतिक संकेत भी दे दिए।

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