गुजरात के एक मंत्री कुमार कनाणी के बेटे को लाॅकडाउन के नियमों का अहसास कराने वाली महिला कांस्टेबल सुनीता सोशल मीडिया की सुर्खियों में छाई हुई हैं। लोग कह रहे हैं कि सुनीता ने हिम्मत का परिचय देकर वर्ष 1982 की घटना याद दिला दी। 1982 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गाड़ी का चालान किरण बेदी ने काट दिया था। किरण बेदी तब दिल्ली की डीसीपी (ट्रैफिक पुलिस) थीं। सुनीता यादव की लोग बेशक सराहना कर रहे हैं, लेकिन लगता है कि पुलिस -प्रशासन इसे पचा नहीं पा रहा है। नतीजा यह है कि महिला पुलिस काॅन्स्टेबल सुनीता यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनके खिलाफ दो और जांचों का आदेश दिया गया है।
वर्ष 1982 की घटना याद दिला दी। 1982 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गाड़ी का चालान किरण बेदी ने काट दिया था। किरण बेदी तब दिल्ली की डीसीपी (ट्रैफिक पुलिस) थीं।
सुनीता यादव के खिलाफ एक जांच पहले से चल रही थी। सुनीता के खिलाफ एक नहीं, बज्कि तहल-तीन जांचें शुरू कर दी गई हैं। सुनीता पर पहला आरोप लगा है कि वह लोगों को सड़क पर उठक-बैठक कराती थी। उसके खिलाफ जांच पहले से शुरू की गई हैं। दूसरा आरोप उन पर बीते 9 जुलाई से अपनी ड्यूूटी से गायब होने का है। इसके अलावा उसके खिलाफ मंत्री के बेटे को फटकार लगाने की जांच पहले से चल रही है। सुनीता के खिलाफ जांच के आदेश सूरत पुलिस कमिश्नर आर ़बी ़ ब्रह्मदत्त ने दिए हैं। कहा जा रहा है कि 8 जुलाई को मंत्री के बेटे के साथ हुए विवाद के अगले दिन 9 जुलाई से सुनीता ड्यूूटी पर नहीं जा रही हैं।
सुनीता यादव के खिलाफ तीनों आरोपों की जांच असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर जे ़के ़पांड्या कर रहे हैं। वहीं सुनीता ने अपनी जान को खतरा बताया था, इसलिए उसे सुरक्षा के लिए दो सशस्त्र गार्ड दिए गए हैं। मास्क के लिए टोकने पर महिला काॅन्स्टेबल से बदसलूकी, मंत्री का बेटा गिरफ्तार किया । प्रकाश को जमानत मिल गई। सुनीता ने कहा है कि मुझे मेरे वरिष्ठ अधिकारियों से सहयोग नहीं मिला, फिर मैंने इस्तीफा दे दिया। मैं एक सिपाही के तौर पर अपना काम कर रही थी। यह हमारी व्यवस्था का दोष है कि ऐसे लोग (मंत्री के बेटे जैसे) सोचते हैं कि वे वीवीआईपी (अति विशिष्ट लोग) हैं। वहीं पुलिस कमिश्नर ने कहा कि सुनीता से पूछताछ अभी भी जारी है। तकनीकी रूप से फिलहाल वह इस्तीफा नहीं दे सकतीं।

