उत्तराखण्ड की कृषि व्यवस्था और मंडी तंत्र प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ माने जाते हैं। इस व्यवस्था को सशक्त, पारदर्शी और किसानों के अनुकूल बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं उत्तराखण्ड मंडी परिषद के अध्यक्ष डाॅ. अनिल कपूर, जिन्हें ‘डब्बू’ के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में उत्तराखण्ड मंडी परिषद के अध्यक्ष डाॅ. अनिल कपूर डब्बू न सिर्फ एक अनुभवी प्रशासक हैं, बल्कि वे एक संवेदनशील जनप्रतिनिधि के रूप में भी पहचाने जाते हैं। उन्होंने 28 सितम्बर 2023 को रुद्रपुर में इस पद का कार्यभार ग्रहण किया था। बकौल डब्बू अध्यक्ष पद सम्भालने के बाद उन्होंने मंडी परिषद की आय बढ़ाने और किसानों को अधिक लाभ पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि मंडियों का राजस्व नहीं बढ़ाया गया तो उन्हें निजी हाथों में देने पर विचार किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने मंडी परिषद की अनुपयोगी सम्पत्तियों का उपयोग आय बढ़ाने के लिए करने की योजना बनाई हैं। डाॅ. अनिल डब्बू कहते हैं कि उनका उद्देश्य मंडी परिषद को पारदर्शी और लाभकारी बनाना है, ताकि किसानों को अधिकतम लाभ मिल सके और मंडियों का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके। डाॅ. अनिल डब्बू से उनके राजनीतिक जीवन, बतौर मंडी परिषद अध्यक्ष उनकी प्राथमिकताओं और भविष्य की योजनाओं पर ‘दि संडे पोस्ट’ संवाददाता दिव्या भारती की बातचीत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों की आय दोगुनी करने और कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने का जो संकल्प लिया गया, उत्तराखण्ड मंडी परिषद उसकी दिशा में किस प्रकार कार्य कर रही है?
देखिए, मुझे तो वैसे सवा साल हो रहा है लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी पुष्कर सिंह धामी ने जब से सरकार सम्भाली है मंडी परिषद ने किसानों की फसल ठीक प्रकार से मंडियों तक पहुंचे इस दिशा में लगभग 620 सड़के छोटी-छोटी बनाई है और दूसरा हमने कहा है किसानों को उपज का ठीक मूल्य मिले इस दिशा में हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। जगह-जगह हम जैसे उगलवाल में विकासनगर मंडी है वहां हम कोल्ड स्टोर बढ़ा रहे हैं ताकि लोग वहां माल लाए कोल्ड स्टोर में रखें और उन्हें उपज का ठीक मूल्य मिले। इसी प्रकार हम ड्रोन खरीदने की बात कर रहे हैं कि किसान के घर से रोड तक 50 किलो का एक ड्रोन हो जाए 50 किलो तक माल उठ जाए। घर से हम चार पांच चक्कर लगाए तो उसको सुविधा मिल जाएगी। जब सुविधा मिलेगी तो निश्चित रूप से उसको फसल का उपज का दाम भी मिलेगा। इस दिशा में मैं लगातार काम कर रहा हूं।
‘वन नेशन, वन मार्केट’ की संकल्पना के तहत देशभर की मंडियों को ई-नाम प्लेटफाॅर्म से जोड़ने का प्रयास हुआ है। उत्तराखण्ड में इस दिशा में अब तक क्या प्रगति हुई है?
देखिए, ई-नाम पर काम चल रहा है। पहले के अध्यक्ष व्यस्त रहते होंगे, समय न दे पाते होंगे, लेकिन मैं पूरी तरह लगातार डेडिकेटेड होकर काम कर रहा हूं। मैंने जगह-जगह ई-नाम के माध्यम से जो किसानों को पूरे मूल्यों का पता चलता है, पूरी चीजों का पता चलता है, इसके लिए मैंने मंडी के अधिकारियों को निर्देश किया है कि इसमें कोई कोताही नहीं बरती जाए। मंडी के जुड़े हुए अन्य वर्ग भी है लेकिन किसानों का जितना मैक्सिमम फायदा हो सके उस दिशा में मैंने कहा है कि सख्ती से काम करना जरूरी है।
प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि क्षेत्र को आर्थिक गति देने के लिए जो विशेष कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) शुरू किया गया, उसमें मंडी परिषद की क्या भूमिका रही है?
देखिए मुझे इसके बारे में कोई बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। यह कृषि मंत्रालय का काम है। हमारा काम है कि मूल रूप से हमको जो टैक्स मिलता है, ढाई पर्सेंट टैक्स मिलता है उसे हम मंडी में किसानों को ठीक प्रकार से सुविधा उपलब्ध हो, उनके रूकने का यहां इंतजाम हो उनकी ग्रेडिंग ठीक हो जाए और जो दुकानदार है अधिकतम जिन्होंने लाइसेंस का काम ले रखा है वो उस दिशा में आगे बढ़े। जैसे हल्द्वानी मंडी में नौ दुकानें बनाई हैं किसानों के लिए। मेरी योजना है मंडी में चाय की दुकान खोलेंगे यह नहीं चलेगा। हम उसमें एक जैविक मंडी खोलेंगे ,एक फूल मंडी खोलेंगे,हमारा प्रयास है कि जो मंडी में थोक में 80 रुपए किलो सेब है मार्केट आते-आते 150 में मिल रहा है। हम चाहते हैं कि मंडी के बाहर दो दुकानों में सस्ता 80 का माल है तो 90 के मिल जाए हैं जिससे आम उपभोक्ताओं को भी फायदा हो मैं इस दिशा में काम कर रहा हूं। मैंने पूरे प्रदेश की दो मंडी को छोड़ के साल भर में प्रदेश की सभी मंडियों का दौरा कर लिया है। योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मंडी अध्यक्ष हैं, उन्होंने 612 करोड़ की मंडी साल भर में 1300 करोड़ की कर दी, तो मैंने भी लक्ष्य दिया है कि दोगुना आय बढ़ानी होगी। तभी हम किसानों को अधिकतम लाभ पहुंचा सकते हैं। इस दिशा में मैं लगातार काम कर रहा हूं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पर्वतीय कृषि उत्पादों को राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने का विजन प्रस्तुत किया है। मंडी परिषद इस लक्ष्य को कैसे साकार कर रही है?
देखिए, जो विदेश का कार्यक्रम है जिसको देश भर में मान्यता मिली है तो मैं उस दिशा में भी कार्य कर रहा हूं। अपने उत्तराखण्ड में हम कृषि उत्पादों को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा हमारे पास एक फैक्ट्री है रुद्रपुर में। मैंने लोगों से आवाह्न किया है, मैं भी गया था स्टार्टप में। मैंने देखा कि लोग पहाड़ी जूट बेचकर 1.5 करोड़ का कारोबार कर रहे हैं। मैंने उन लोगों से कहा है कि हमारे यहां आइए। यहां के लोग समूह के रूप में आए मिलेट्स के काम को बढाया जाए तो लगातार मण्डी इस दिशा में काम कर रही है। निश्चित रूप से तीन-चार महीने में इसके रिजल्ट सामने आ जाएंगे।
मुख्यमंत्री धामी सरकार द्वारा लागू की गई ‘समान नागरिक संहिता’ और ‘सत्य भू-कानून’ जैसे बड़े नीतिगत फैसलों का राज्य के ग्रामीण अंचलों पर क्या प्रभाव देखने को मिल रहा है?
देखिए, लोग प्रसन्न हैं सशक्त भू-कानून के बाद। ऐसा सशक्त भू-कानून बना है कि जो लोगों को लग रहा था कि डेमोग्राफी में बदलाव आ जाएगा, बाहरी लोग जमीन खरीद रहे थे उसमें रोक लगी है। हम लोग भी चाहते हैं कि पलायन कम हो। लोग यहां ज्यादा से ज्यादा उद्योग खोलें। यूसीसी के बाद बहुत चीजों में सुधार आया है। ये कानून बनने के बाद भी लोग आलोचना करेंगे लेकिन क्या है कि ये कानून बनने के बाद कहीं ना कहीं उत्तराखण्ड की जनता सभी वर्ग, सभी सम्प्रदाय, सभी धर्म के लोग मानेंगे और निश्चित रूप से प्रदेश की तरक्की भी होगी और इस यूसीसी को पूरे देश के अंदर जो मान्यता मिली है। वास्तव में मुख्यमंत्री जी का जो विजन है और उस विजन के आधार पर जो उन्होंने कार्य किए हैं, नगर अध्यादेश हो, यूसीसी हो और इसके अलावा जितने भी कानून उन्होंने बनाए हैं। बदलती डेमोग्राफी को रोकने के लिए प्रयास कर रहे हैं। मैं समझता हूं कि 10 साल बाद या 5 साल बाद के जो रिजल्ट दिखाई देंगे, उत्तराखण्ड जिन उद्देश्यों के लिए बना था, हमने जो लड़ाई लड़ी वह सपना साकार हो उठेगा। मैं भी जगह-जगह देखता हूं कि उत्तराखण्ड की आर्थिकी में महिलाओं की भूमिका ज्यादा है। महिलाओं के पिछले बार अभी जो कार्यक्रम हुए यहां ‘ईजा’ बेंणी का जगह-जगह महिलाओं की जो भागीदारी रही, 50-50 हजार, 70-70 हजार अब जहां-जहां हम देख पाते हैं महिला समूह बहुत जगह से काम कर रहे हैं।
किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए हमने जगह-जगह व्यापारियों को कसा है और जब हमारे पास कोई भी शिकायत आती है, हम इम्मीडिएट एक्शन लेते हैं, कई बार हमारे पास किसान शिकायत करते हैं कि व्यापारी ने उनका पैसा रोक दिया, क्योंकि किसान पूरा माल लाता हैं और मंडी उसमें टैक्स लेती है तो कहीं पर भी अगर ऐसी शिकायत आती है तो हम तुरंत उस व्यापारी के खिलाफ कार्यवाही करते हैं, उसका लाइसेंस कैंसिल करते हैं। किसान का एक भी पैसा न डूब पाए इसकी चिंता मंडी परिषद करती है। किसानों की समस्या जानने के लिए उनसे निजीगत तौर पर हम उनसे मिलते हैं और कई बार हम किसानों को सम्मानित भी करते हैं। पिछली बार हमने किसान सम्मान समारोह भी कराया और अब भविष्य के लिए मेरी योजना है कि चार पांच हजार किसानों का एक सम्मेलन हो जिसमें माननीय मुख्यमंत्री जी उपलब्ध रहे हम बहुत जल्द ही उसकी पूरी योजना बना रहे हैं
किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए मंडी परिषद ने पारदर्शिता और समयबद्ध भुगतान को लेकर क्या व्यवस्थाएं लागू की हैं?
देखिए, हमने जगह-जगह व्यापारियों को कसा है और जब हमारे पास कोई भी शिकायत आती है, हम इम्मीडिएट एक्शन लेते हैं, कई बार हमारे पास किसान शिकायत करते हैं कि व्यापारी ने उनका पैसा रोक दिया, क्योंकि किसान पूरा माल लाता हैं और मंडी उसमें टैक्स लेती है तो कहीं पर भी अगर ऐसी शिकायत आती है तो हम तुरंत उस व्यापारी के खिलाफ कार्यवाही करते हैं, उसका लाइसेंस कैंसिल करते हैं। किसान का एक भी पैसा न डूब पाए इसकी चिंता मंडी परिषद करती है।
क्या आप किसानों की समस्या जानने के लिए उनसे निजीगत तौर पर रूबरू होते हैं?
लगातार, कई बार हम किसानों को सम्मानित भी करते हैं। पिछली बार हमने किसान सम्मान समारोह भी कराया और अब भविष्य के लिए मेरी योजना है कि चार पांच हजार किसानों का एक सम्मेलन हो जिसमें माननीय मुख्यमंत्री जी उपलब्ध रहे हम बहुत जल्द ही उसकी पूरी योजना बना रहे हैं।
पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि लागत अधिक होती है, वहां की उपज को मुख्य मंडियों तक पहुंचाने के लिए लाॅजिस्टिक्स और भंडारण की बड़ी चुनौती रहती है। इस पर परिषद की क्या दीर्घकालिक योजना है?
देखिए, जगह-जगह हमारे भंडारण केंद्र हैं। पहली बार मैं कई जगह कोल्ड स्टोर बना रहा हूं। यातायात के लिए हमने 3 साल में 620 सड़कें बनाई हंै। किसान के घर से रोड तक माल आ जाएगा। अब रोड से आगे कैसे
पहुंचेगा इसके लिए जगह-जगह भंडारण केंद्र भी बनाए हैं। मुझे कष्ट है कि पूर्व में हम लोगों ने ध्यान नहीं दिया वह भंडारण केंद्र डम्प हो गए। हमने थल में एक मंडी बनाई, अब आपको बताऊं कि अभी तक वह चल नहीं रही है, चार साल हो गए। अगस्त में हमने मंडी बनाई इन्होंने कब्जा कर दिया तो लगातार पहाड़ों में ऐसी उप मंडियों का भी मैंने निरीक्षण किया और मैं अधिकारियों से भी सम्पर्क में हूं। कमिश्नर से भी मैं सम्पर्क में हूं कि कैसे वो मंडी हमको मिल जाए। उसका उपयोग हो, इस दिशा में लगातार कार्य हो रहा है और हम इस योजना में सफल हो जाएंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।
क्या मंडी परिषद जैविक उत्पादों और बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए कोई विशेष नीति लेकर आई हैं जो स्थानीय युवाओं और महिला समूहों को भी उद्यमिता की ओर प्रेरित करे?
जी हां, निश्चित रूप से जैविक फसलों के लिए हमने कहा है कि कोई स्टार्टअप लगाएगा तो मंडी परिषद 30 लाख रुपए देगी। जैसा मैंने आपको अभी बताया कि जो हम अपनी दुकानें बना रहे हैं, किसान बाजार की, पहले हम ऑक्शन कर देते थे ऑक्शन में जैसे मैंने दुकान ली तो मैं अपनी चाय की दुकान खोल देता था, लेकिन अब यह नहीं चलेगा। मैंने कहा मंडी की दुकानें मंडी के सामान के ही उपयोग में आएगी। इसी प्रकार हम रुद्रपुर के अंदर 12 फैक्ट्रियां लगा रहे हैं, 150 दुकानें बना रहे हैं। आज तक हम दुकानें किराए पर दे देते थे अब जो फैक्ट्रियां हैं उनमें किसानों का एक ग्रेड, बी ग्रेड, सी ग्रेड माल की फैक्ट्रियां बनेगी जिससे कि किसानों की उपज का मूल्य मिलेगा, लोगों को रोजगार भी प्राप्त होगा और हमारा जो ब्रांड है वह देश-विदेश में बिकेगा भी।
मंडी परिसरों का आधुनिकीकरण, व्यापारी लाइसेंस प्रणाली में सुधार और किसानों की सीधी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आप किन नीतिगत सुधारों की योजना बना रहे हैं?
मंडियों में ठीक प्रकार सड़के हो, मंडियों में किसानों के लिए ठीक प्रकार ठहरने की व्यवस्था हो, मंडियों में ठीक प्रकार उनकी ग्रीडिंग हो जाए, उनकी उपज का मूल्य मिल जाए और जो मंडी के व्यापारी हैं उनको सुविधाजनक स्थिति मिले। किसान जब माल लाता है तो उसको सुविधा मिलनी चाहिए कि वहां चबूतरे हों, चबूतरे में वह सामान रखे, वहां ग्रेडिंग करें और जो वहां पुरानी व्यवस्था थी कि उनका शोषण हो जाए। कई बार क्या होता है, मैंने देखा है कई जगह व्यापारी क्या करते हैं शुरू में किसानों को बीज वगैरा दे देते हैं और बहुत कम पैसे में माल ले लेते हैं। मैंने कहा यह व्यवस्था बंद करो। किसानों को सरकार लोन दे रही है, कृषि योजना दे रही है, इसके अलावा अगर किसान बात करेंगे तो निजी उपज का मूल्य भी ठीक मिलेगा। हम इस दिशा में भी काम कर रहे हैं।
क्या मंडी परिषद राज्य सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कार्यक्रमों के साथ समन्वय कर किसानों को अतिरिक्त लाभ दिलाने की दिशा में कार्य कर रही है?
निश्चित रूप से जो किसानों का न्यूनतम समर्थन मूल्य है मंडी में, कोई भी उससे नीचे काम नहीं करता। हमको जैसे ही पता लगता है तो हमारे अधिकारी तुरंत छापा मारते हैं। जो सरकार ने न्यूनतम मूल्य कर रखा है हम चाहते हैं उससे भी अधिक किसानों को पैसा मिले। कई बार कोई शिकायत आती है, कहीं कोई गड़बड़ी होती है तो हमारे अधिकारी जाते हैं। जो भी किसानों का बिचैलिया है, शोषण कर रहा है, उसके खिलाफ कानूनी
कार्रवाई होगी।
आपने वर्षों तक सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय भूमिका निभाई है। क्या आप 2027 के विधानसभा चुनाव में हल्द्वानी सीट से अपनी दावेदारी प्रस्तुत करेंगे?
देखिए, हमारी पार्टी फैसला करती है लेकिन मैंने लगातार कोशिश की है जैसे पिछली बार माननीय मुख्यमंत्री से मैंने कहा आप औचक निरीक्षण कीजिए। सिडकुल की सड़क का एस्टीमेट अधिक था लेकिन मैंने एक करोड़ 90 लाख में बना दी क्योंकि कम पैसे में भी काम हो सकता है। हल्द्वानी में नहर बहुत समय से अटकी पड़ी थी स्टेट बैंक के पास, मैंने एक दिन माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया आप आइए। मुख्यमंत्री के आदेश से अधिकारी घबराते भी हैं और आज वह नहर बन गई। मैं छोटी-छोटी चीजों को माननीय मुख्यमंत्री जी के सहयोगी के रूप में पूरे कुमाऊं क्षेत्र में, गढ़वाल में मेरा कम जाना होता है, लेकिन कुमाऊं में मंडी के अलावा भी मैं चाहता हूं कि गुड गवर्नेंस की दिशा में मुख्यमंत्री जी की मदद हो सके और मुझे अच्छा लगता है कि मुख्यमंत्री को मेरे जैसे लगातार जो कार्यकर्ता बात बताते हैं, वे तुरंत निर्णय करते हैं। आज इसका नतीजा यह है पूरे देश भर के लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों की गिनती में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी की गिनती की जा रही है।
उत्तराखण्ड के मंडी परिषद अध्यक्ष पद पर कार्य करते हुए सबसे बड़ी प्रशासनिक चुनौती क्या लगी?
सबसे बड़ी चुनौती यह लगी कि जैसे ही मैं बैठा तो मुझे महसूस हुआ की उत्तराखण्ड मंडी परिषद के पास सम्पत्तियां बहुत ज्यादा है और उपयोग नहीं हो रहा है। सफाई नहीं है, कहीं झाड़ियां हो गई, कहीं कुछ हो गया तो मैंने कहा कि मैं पूरी सम्पत्तियों का उपयोग करूंगा, मंडी परिषद की आय बढ़ाने के लिए। खाली मैदान छोड़ने से कोई फायदा नहीं है, जहां हमको पेड़ लगाने हैं वहां हम पेड़ भी लगा रहे हैं जहां दुकान बनानी है वहां दुकानें बना रहे हैं। कई जगह हाईवे पर मंडी की जमीन खाली पड़ी है वहां पेट्रोल पम्प लगाने की हमारी योजना है जिससे मंडियों की आय बढ़ेगी। अब रुद्रपुर की मंडी है जहां हमारे पास एक जमीन खाली थी वहां 10 लाख रुपए साल भर में इनकम होती थी। आज हमने योजना बनाई 6 से 7 करोड़ रुपए इनकम होती है। रामनगर में एंक्रोचमेंट हटाया, मैंने मंडी चलाई, इम्प्रूवमेंट आई है। चीजों का सदुपयोग कीजिए रामनगर में हम दुकाने बना रहे हैं। किसान बाजार बना रहे हैं तो कहीं न कहीं उससे आय बढ़ेगी मंडी की। ऐसा ही देहरादून में हम यही काम कर रहे हैं। कई बार लोग विरोध भी करते हैं लेकिन उसके बाद भी लगातार मेरी कोशिश है सड़कें बने, किसानों को लाभ प्राप्त हो और मंडियों की जगह का उपयोग हो जिससे कि साल भर में आय को दुगना करने का लक्ष्य ले जा सके।
उत्तराखण्ड के मंडी परिषद अध्यक्ष पद पर कार्य करते हुए सबसे बड़ी चुनौती यह लगी कि जैसे ही मैं बैठा तो मुझे महसूस हुआ की उत्तराखण्ड मंडी परिषद के पास सम्पत्तियां बहुत ज्यादा है और उपयोग नहीं हो रहा है। सफाई नहीं है, कहीं झाड़ियां हो गई, कहीं कुछ हो गया तो मैंने कहा कि मैं पूरी सम्पत्तियों का उपयोग करूंगा, मंडी परिषद की आय बढ़ाने के लिए। खाली मैदान छोड़ने से कोई फायदा नहीं है, जहां हमको पेड़ लगाने हैं वहां हम पेड़ भी लगा रहे हैं जहां दुकान बनानी है वहां दुकानें बना रहे हैं। कई जगह हाईवे पर मंडी की जमीन खाली पड़ी है वहां पेट्रोल पंप लगाने की हमारी योजना है जिससे मंडियों की आय बढ़ेगी। अब रुद्रपुर की मंडी है जहां हमारे पास एक जमीन खाली थी वहां 10 लाख रुपए साल भर में इनकम होती थी। आज हमने योजना बनाई 6 से 7 करोड़ रुपए इनकम होती है। रामनगर में एंक्रोचमेंट हटाया, मैंने मंडी चलाई, इम्प्रूवमेंट आई है। रामनगर में हम दुकानें बना रहे हैं। किसान बाजार बना रहे हैं तो कहीं न कहीं उससे आय बढ़ेगी मंडी की। ऐसा ही देहरादून में हम यही काम कर रहे हैं। कई बार लोग विरोध भी करते हैं लेकिन उसके बाद भी लगातार मेरी कोशिश है सड़कें बने, किसानों को लाभ प्राप्त हो और मंडियों की जगह का उपयोग हो जिससे कि साल भर में आय को दुगना करने का लक्ष्य पा सके
मंडी परिषद और राज्य सरकार के बीच समन्वय कैसा है?
बहुत अच्छा है। सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त है वैसे मंडी परिषद खुद कमाती है। एक तरह से मंडी परिषद अर्ध सहायक संस्था है। हम सरकार से एक पैसे की मदद नहीं लेते हैं। हम वेतन भी अपने पास से देते हैं और मंडी परिषद के अधिकारी और कर्मचारी के सहयोग से हमको टैक्स मिलने पर भी दिक्कत नहीं होती है। लेकिन सरकार का पूरा समर्थन है जैसे कभी भी हमें कोई जरूरत पड़ती है तो पुष्कर सिंह धामी जी की सरकार तुरंत सहायता देती है। बहुत ज्यादा सुविधा है, किसी भी क्षेत्र में हो मुख्यमंत्री जी से कोई बात करता है मुख्यमंत्री जी की समझ में अगर आ गया कि किस विषय से लाभ पहुंचेगा तो वह तुरंत पूरा कर देते हैं।
बदलते मौसम, अतिवृष्टि और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने कृषि को नुकसान पहुंचाया है। मंडी परिषद इस दिशा में किसानों की मदद कैसे कर रही है?
इस दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है। कई बार क्या होता है कि मौसम के कारण, प्राकृतिक आपदाओं के कारण और ओलावृष्टि के चलते फसलें बर्बाद हो जाती हैं। अब प्रकृति में तो हमारा नियंत्रण है नहीं लेकिन उसके बावजूद सरकार का प्रयास रहता है कि किसी को नुकसान न हो। किसानों को नुकसान पहुंचता है तो सरकार पैसा भी देती है। यह जो भू-कानून है, यह कृषि उत्पादों को बढ़ाने की दिशा में बहुत बड़ा मील का पत्थर साबित होगा। क्योंकि क्या है कि किसान की जमीन बचेगी तो कीवी से लेकर, सेब से लेकर तमाम चीजों को लेकर उत्पादन अभी मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है कि हम सब्सिडी दे रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि लोग पलायन न करें। कई लोग उदाहरण भी बना रहे हैं। आप देखिए, गढ़वाल में पदम शर्मा हैं जो वहां इतना सेब बढ़िया उत्पाद कर रहे हैं। यहां दिल्ली के गोपाल उप्रेती आए वो इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, बागेश्वर और कपकोट की वैली में कीवी का काम हो रहा है। सरकार उनको सब्सिडी दे रही हैै। मैं समझता हूं कि क्योंकि खेती हमारी शान भी है हमारी आर्थिकी के लिए मजबूत साधन भी है इसीलिए जो भू-कानून जैसी चीज है उससे हमारी पहाड़ की खेती, पहाड़ की जो परंपरागत चीज हैं अब जैसे मिलेट्स के बारे में है मुख्यमंत्री जी ने प्रयास किया देशभर में मिलेटस की चर्चा हुई तो इस दिशा में हम काम कर रहे हैं।
उत्तराखण्ड के सेब, आलू और मंडुवा जैसे उत्पादों को राष्ट्रीय बाजार में पहुंचाने के लिए क्या योजनाएं हैं?
देखिए, मैं लगातार प्रयास कर रहा हूं बीच में एक बार हरियाणा के अध्यक्ष आए थे मैंने कहा आपके पास 110 मंडियां है हर जगह एक एक दुकान दे दीजिए, हम अपना मिलेट्स उन तक पहुंचाएंगे उनका जो समान है हम यहां लाएंगे। लेकिन उस वक्त मुझे जानकारी मिली कि कोऑपरेटिव में केंद्र सरकार ने पैसा दिया और कोऑपरेटिव ने उस माल को खरीदना शुरू कर दिया। अब फिर मैंने कोऑपरेटिव मंत्री से कहा है कि पहाड़ का माल इकट्ठा होता है आप उसका ठीक से विवरण की व्यवस्था नहीं कर पाते। देखिए, हमारे पास सम्पर्क है, हमारे पूरे देश में हमें मंडी अध्यक्ष हैं। अभी मैं बीच में सेमिनार में गया था। मेरी गोवा के मंडी अध्यक्ष से बात हुई। मैंने कहा गोवा में सस्ता काजू मिलता है, हमारी मंडी में भेजिए। हम यहां से अपना जो पर्वतीय उत्पाद है और जो स्वास्थ के लाभ से बढ़िया है। आप देखिए, यहां का मंडवा, झिंगुड़ा जो शुगर में बहुत फायदा करता है तो हम उस दिशा में काम कर रहे हैं। अभी हम जल्द ही एक सेमिनार आयोजित करने वाले हैं। पूरे प्रदेश के मंडी अध्यक्षों का हम उनके साथ एक एमओयू साइन करेंगे।
मंडी परिषद के कार्यों को लेकर कभी कोई आलोचना या विवाद सामने आया हो, तो आपने उसका कैसे समाधान किया?
देखिए, आलोचना आती है तो मैं तो स्टेट फाॅरवार्ड व्यक्ति हूं कोई आलोचना करता है तो मैं सीधे उसका जवाब देता हूं क्योंकि जब मैं किसी चीज में इंवाॅल्व नहीं हूं, आज भी मैं अपनी सरकारी गाड़ी खड़ी कर देता हूं, सड़कों पर चलता हूं। मैंने लोगों के साथ काम किया है यह तो सरकार ने मुझे एक सम्मान दिया और इस सम्मान की दिशा में काम कर रहा हूं कि मेरे काम से कुछ विकास हो। तो आलोचना तो ऐसा है कि भगवान की भी आलोचना होती है।
नैनीताल में जो लोगों द्वारा एक प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है अराजकता की जा रही हैं, इसमें जो धर्म को लेकर एक विशेष वर्ग को टारगेट किया जा रहा है इसमें आपका क्या कहना है?
देखिए, मैं परसों भी नैनीताल गया माननीय मुख्यमंत्री जी के कहने पर। कोई व्यक्ति खराब होता है पूरा समाज खराब नहीं होता। अब जो लोग इस तरह की बात कर रहे हैं मेरा उनसे निवेदन है कि इस तरह की बातों से कोई फायदा नहीं है हिंदुस्तान सबका है सबके लिए है। हां, अगर कोई व्यक्ति गलत काम करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अब उसको तुरंत जेल भेज दिया गया क्योंकि यहां सऊदी अरब कानून तो चलता नहीं कि हाथ काट दिया जाएं लेकिन क्या है कि न्याय व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि सीधे-सीधे, बहुत जल्दी ऐसे लोगों को कहीं न कहीं फांसी में चढ़ने जैसी स्थिति होनी चाहिए। क्योंकि समाज के लिए यह जरूरी है। परसों जब मैं गया नैनीताल तो मैंने लोगों से चर्चा की जो घटना हुई वह वास्तव में इतनी दुर्भाग्य पूर्ण है। हर घर में, हर व्यक्ति के अंदर यह गुस्सा था कि किस तरह का व्यवहार उस वृद्ध 75 साल के उस्मान द्वारा किया गया, लेकिन हम सब एक समाज में जीते हैं। कुछ लोग ऐसा करते है तो मैं उनसे भी निवेदन करता हूं कि इस तरह की बातें समाज में नहीं होनी चाहिए। कानून का राज्य है। देश सबका है और यह देश सबके कारण आगे बढ़ा है। माननीय मुख्य मंत्री जी ने भी बोला कानून तोड़ने वालों के खिलाफ करवाई की जाएगी चाहे वो कोई भी व्यक्ति हो इसलिए सरकार सब चीजों को समझते हुए एक अच्छा प्रदेश बनाने की दिशा में, उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में काम कर रही है और मेरे भी एक सहयोगी के रूप में भूमिका है।