बीते दिल्ली विधानसभा चुनाव में झुग्गी-झोपड़ियों का मुद्दा राजनीतिक दलों के बीच तीखी बहस का कारण बना था। अब एक बार फिर से इस मुद्दे को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया है। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने भाजपा सरकार पर गम्भीर आरोप लगाए हैं कि दिल्ली में मेट्रो लाइनों, फ्लाईओवर और गगनचुम्बी इमारतों के आस-पास झुग्गी-झोपड़ी के निवासियों को हटाया जा रहा है। पुराना सीलमपुर, तैमूर नगर और शास्त्री पार्क के मछली बाजार जैसे क्षेत्रों में ध्वस्तीकरण अभियान चलाए गए हैं। इन अभियानों ने हजारों परिवारों को प्रभावित किया, जो कठिन मौसम की स्थिति में बेघर होने की कगार पर हैं। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी ने अपने चुनावी वादे ‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ को धोखा दिया है। जबकि बीजेपी ने कांग्रेस के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। ऐसे में सवाल है कि क्या वाकई दिल्ली की रेखा सरकार अपने वादे से मुकर गई है? राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 2019 में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था जिसमें कहा गया था कि बिना परामर्श या पुनर्वास योजना के झुग्गी निवासियों को हटाना अवैध है। यह फैसला झुग्गी निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है जिसमें आवास, आजीविका, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छ पानी जैसे अधिकार शामिल हैं। लेकिन हाल की ध्वस्तीकरण कार्रवाइयां इस फैसले का उल्लंघन करती प्रतीत होती हैं, जिसने सरकार की कार्रवाइयों पर सवाल उठाए हैं। झुग्गी निवासी दिल्ली के मतदाताओं का लगभग 15 फीसदी हिस्सा हैं, जो उन्हें चुनावी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाता है। सभी प्रमुख दल बीजेपी, आप और कांग्रेस इन मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। आप ने भी पहले झुग्गी निवासियों के लिए योजनाएं शुरू की थीं, लेकिन उनकी भी आलोचना हुई थी। अब बीजेपी पर अपने वादों को पूरा करने का दबाव है, जबकि कांग्रेस इस मुद्दे को उठाकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि बीजेपी ने अपने 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव घोषणापत्र में झुग्गी निवासियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं का वादा किया था। इनमें ‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ योजना, गरीब महिलाओं के लिए 2,500 रुपए मासिक सहायता, रियायती रसोई गैस सिलेंडर और 10 लाख रुपए तक की मुफ्त चिकित्सा सुविधा का वायदा जनता से किया था। लेकिन अब उस पर अपने वादे से मुकरने का आरोप विपक्ष लगा रहा है।

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