श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति का अध्यक्ष बनते ही हेमंत द्विवेदी जमीन बेचने के नाम पर धोखाधड़ी के मामले में फंस गए हैं। हल्द्वानी शहर के नानकपुरा में रहने वाले जगमीत सिंह ने नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को एक तहरीर दी है जिसमें हेमंत द्विवेदी की पत्नी विजया द्विवेदी के नाम पर जमीन बेचने के मामले में धोखाधड़ी कर करीब 3 करोड़ की हेरा-फेरी करने के आरोप हैं। बकौल जगमीत सिंह हेमंत द्विवेदी ने अपने और अपनी पत्नी विजया द्विवेदी के खाते में करोड़ों रुपए जमा कराने के बावजूद भी जमीन को दिल्ली के एक अन्य व्यक्ति को बेच दिया। द्विवेदी ने अपनी जमीन बेचने की किसी को कानों-कान खबर भी नहीं होने दी। पूर्व में पांच मई 2018 को भी हेमंत द्विवेदी के खिलाफ धोखाधड़ी करने और जमीन हड़पने का मामला दर्ज हुआ था। इस जमीन पर वर्तमान में हेमंत द्विवेदी का होटल निर्माणाधीन है। इस मामले में गोविंदपुरा भोटिया पड़ाव निवासी जितेंद्र सिंह पुत्र सरदार सम्पूर्ण सिंह ने भीमताल थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। तराई बीज विकास निगम के अध्यक्ष पद पर उनकी नियम विरुद्ध नियुक्ति भी चर्चा में रही थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के चहेते होने के कारण इस पद पर हेमंत द्विवेदी को नियुक्त करने का उत्तराखण्ड के इतिहास में पहला मामला सामने आया था जब किसी अधिकारी की बजाय एक पार्टी के नेता को इस महत्वपूर्ण संस्थान की कमान दे दी गई थी। तब हेमंत द्विवेदी पर तराई बीज विकास निगम के अध्यक्ष पद पर रहते खूब मलाई खाने के आरोप लगे थे

अंग्रेजों के जमाने में वर्ष 1939 में ही श्री ‘बदरीनाथ अधिनियम’ के तहत गठित की गई श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष पद पर धार्मिक गरिमा के अनुरूप ही अध्यक्ष पदासीन होते रहे हैं। यह पद पिछले पांच महीनों से खाली पड़ा था। 2 मई को केदारनाथ के कपाट खुलने के साथ ही जैसे भाजपा नेता हेमंत द्विवेदी की किस्मत खुल गई। प्रदेश की सबसे बड़ी धार्मिक कमेटी श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति बनते ही लेकिन हेमंत द्विवेदी एक बार फिर वह विवादों में घिर गए हैं।

द्विवेदी का विवादों से पुराना नाता है। तराई बीज विकास निगम के अध्यक्ष पद पर उनकी नियम विरुद्ध नियुक्ति चर्चा में रही थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के चहेते होने के कारण इस पद पर हेमंत द्विवेदी को नियुक्त करने का उत्तराखण्ड के इतिहास में पहला मामला सामने आया था जब किसी अधिकारी की बजाय एक पार्टी के नेता को इस महत्वपूर्ण संस्थान की कमान दे दी गई थी। तब हेमंत द्विवेदी पर तराई बीज विकास निगम के अध्यक्ष पद पर रहते खूब मलाई खाने के आरोप लगे थे।

फिलहाल द्विवेदी की नियुक्ति पर कहा भी जा रहा है कि धामी सरकार भ्रष्टाचार के दागदार दामन पर धर्म का आवरण चढ़ाना चाहती है। श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति का अध्यक्ष बनते ही हेमंत द्विवेदी जमीन बेचने के नाम पर धोखाधड़ी के मामले में फंस गए हैं। हल्द्वानी शहर के नानकपुरा में रहने वाले जगमीत सिंह ने नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को एक तहरीर दी है जिसमें हेमंत द्विवेदी की पत्नी विजया द्विवेदी के नाम पर जमीन बेचने के मामले में धोखाधड़ी कर करीब 3 करोड़ की हेरा-फेरी करने के आरोप हैं। हेमंत द्विवेदी ने अपने और अपनी पत्नी विजया द्विवेदी के खाते में करोड़ों रुपए जमा कराने के बावजूद भी जमीन को दिल्ली के एक अन्य व्यक्ति को बेच दिया। द्विवेदी ने अपनी जमीन बेचने की किसी को कानों-कान खबर भी नहीं होने दी।

विवादों से द्विवेदी का पुराना नाता है

जगमीत सिंह का आरोप है कि जमीन देने के नाम पर हेमंत द्विवेदी और उनकी पत्नी विजया द्विवेदी तथा एक व्यक्ति जिसने बिचैलिया की भूमिका अदा की, ने 5 साल तक अंधेरे में रखकर पैसे अपने खाते में डलवाते रहे। इसके अलावा नगद धनराशि भी लेते रहे, साथ ही यह भी कहते रहे की जमीन वह उसको ही देंगे। लेकिन 5 साल के बाद जगमीत सिंह को उस समय धोखा मिला जब वह तयशुदा समय पर तहसील में रजिस्ट्री कराने पहुंचे। लेकिन वहां पर हेमंत द्विवेदी तथा उनकी पत्नी आदि कोई भी मौजूद नहीं मिला। पीड़ित को बाद में पता चला कि वह जमीन हेमंत द्विवेदी ने शकरपुर दिल्ली के एक व्यक्ति कौसतुभानंद कांडपाल पुत्र लक्ष्मी दत्त कांडपाल को बेच दी है।

चैंकाने वाली बात यह है कि हेमंत द्विवेदी द्वारा यह जमीन पिछले साल जुलाई के महीने में ही दिल्ली के व्यक्ति को बेच दी थी लेकिन उसके बाद भी हेमंत द्विवेदी जगमीत सिंह से जमीन बेचने के नाम पर पैसे लेते रहे। पिछले दिनों जगमीत सिंह को इस बात का पता चल गया कि हेमंत द्विवेदी ने यह जमीन बेच डाली है। आश्चर्यजनक यह है कि हेमंत द्विवेदी ने जगमीत सिंह के साथ हुआ रजिस्ट्री एग्रीमेंट भी रद्द नहीं किया है। जगमीत सिंह तब से लगातार अपने पैसे लेने के लिए हेमंत द्विवेदी के घर जाते रहे। बार-बार उसे पैसे वापस करने का आश्वासन दिया जाता रहा। इस बाबत ‘दि संडे पोस्ट’ के पास वह साक्ष्य भी मौजूद है जिसमें हेमंत द्विवेदी जगमीत सिंह को पैसा वापस करने के आश्वासन देते रहे हैं। जगमीत सिंह का आरोप है कि हेमंत द्विवेदी ने उसे धामी सरकार की धौंस देते हुए पैसे न देने की धमकी भी दे डाली और कहा कि उससे जो होता है वह कर ले। फिलहाल भुक्तभोगी जगमीत सिंह नैनीताल पुलिस की शरण में जा पहुंचे हैं। जहां उन्होंने गत 2 मई को एक तहरीर देते हुए अपने साथ न्याय के गुहार लगाई है जिसमें उन्होंने अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पूरा विवरण पेश किया है।

हल्द्वानी के गुरुनानकपुरा में रहने वाले जगमीत सिंह पुत्र कृपाल सिंह बताते हैं कि ‘मैंने 16 दिसम्बर 2020 को हल्द्वानी की निलियम काॅलोनी निवासी हेमंत द्विवेदी की पत्नी विजया द्विवेदी से ग्राम मुखानी से एक रजिस्टर्ड एग्रीमेंट किया था। यह एग्रीमेंट कुल 6 करोड़ का था। जिसकी स्टाम्प ड्यूटी बारह लाख एक सौ रुपए भी मेरे द्वारा अदा की गई थी। इस एग्रीमेंट के जरिए हम दोनों द्वारा 665.03 वर्ग मीटर भूमि जो कि काठगोदाम में स्थित है, का सौदा हुआ था। जिसके लिए एग्रीमेंट से पूर्व मेरे द्वारा विजया द्विवेदी के खाते में दिनांक 11 दिसम्बर 2020 को बकायदा दस-दस लाख और पांच लाख (कुल पच्चीस लाख) रुपए आरटीजीएस किए गए। यही नहीं बल्कि 16 दिसम्बर 2020 को विजया द्विवेद्वी को मेरे द्वारा एग्रीमेंट में खर्चे के लिए पचास हजार रुपए भी दिए गए थे। इस तरह मेरे द्वारा विजया द्विवेदी के पति हेमंत द्विवेदी को पचास लाख रुपए दिए गए। एग्रीमेंट के खत्म होने के बाद विजया द्विवेदी के पति हेमंत द्विवेदी के कहने पर 29 अप्रैल 2022 को पच्चीस लाख रुपए धनंजय गिरी के खाते में आरटीजीएस के माध्यम से डाले गए। इसके अगले दिन हेमंत द्विवेदी के कहने पर ही धनंजय गिरी को दस लाख पचास हजार रुपए फिर से आरटीजीएस किए गए। इस तरह उक्त एग्रीमेंट के बाद अब धनंजय गिरी के माध्यम से तथा हेमंत द्विवेदी और विजया द्विवेदी को नगद के रूप में मिलाकर कुल 3 करोड़ रुपए दिए गए।’

जगमीत सिंह का यह भी कहना है कि ‘मेरे द्वारा कई बार हेमंत द्विवेदी, विजया द्विवेदी और धनंजय गिरी से रजिस्ट्री कराने के लिए कहा गया लेकिन वे अकसर टाल दिया करते थे। साथ ही मुझसे यह भी कहते थे कि तुम फिक्र मत करो हम जमीन तुम्हारे नाम पर ही करेंगे। 19 अप्रैल 2025 को धनंजय गिरी द्वारा मुझसे कहा गया कि तुम पच्चीस हजार रुपए विजया द्विवेदी के खाते में डाल दो, जिससे वह आगामी 22 अप्रैल 2025 को रजिस्ट्री कराने रजिस्ट्रार ऑफिस हल्द्वानी आ जाएंगे। धनंजय गिरी के कहने पर ही 19 अप्रैल 2025 को मेरे द्वारा विजया द्विवेदी के खाते में पच्चीस हजार रुपए डाले गए। गिरी के कहने पर ही 22 अप्रैल 2025 को वह हल्द्वानी तहसील गया था जहां से हेमंत द्विवेदी, धनंजय गिरी व अजय श्रीवास्तव को कई बार सम्पर्क करने की कोशिश की। लेकिन किसी व्यक्ति द्वारा मेरा फोन नहीं उठाया गया। मैंने बताया था इस बाबत अपनी उपस्थिति तहसीलदार के समक्ष दर्ज कराई और लिख कर दिया कि मैं तय समय पर जमीन की रजिस्ट्री कराने यहां पहुंच गया था लेकिन वे लोग नहीं आए।’ जगमीत सिंह यह भी बताते हैं कि हेमंत द्विवेदी ने दिल्ली के व्यक्ति को यह जमीन बेचने से पहले अपने पत्नी के नाम की पावर आॅफ अटाॅर्नी अपने नाम करा ली थी।

2018 में भी हुआ धोखाधड़ी और जमीन हड़पने का मामला दर्ज

पांच मई 2018 को भी हेमंत द्विवेदी के खिलाफ धोखाधड़ी करने और जमीन हड़पने का मामला दर्ज हो चुका है। इस जमीन पर वर्तमान में हेमंत द्विवेदी का होटल निर्माणाधीन है। इस मामले में गोविंदपुरा भोटिया पड़ाव निवासी जितेंद्र सिंह पुत्र सरदार सम्पूर्ण सिंह ने भीमताल थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया गया था कि अशोक कुमार रावत की पांच नाली जमीन जान स्टेट एस्टेट भीमताल में है। जिसके एक-एक नाली गुरजीत सिंह पुत्र सम्पूर्ण सिंह को पावर आॅफ अटार्नी के माध्यम से बेच दी थी। जिस पर दोनों के मकान बने हुए थे। जब भूमि की पैमाइश की गई तो जमीन कम निकली।

यह मेरे खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र है। मैं इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया करूंगा और मानहानि का केस करुंगा।

हेमंत द्विवेदी, अध्यक्ष, बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति

बाद में पटवारी और अमीन से जमीन नपाई गई तो जमीन कम निकलने की बात सामने आई। जितेंद्र सिंह ने तब हेमंत द्विवेदी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि इस सम्बंध में हेमंत द्विवेदी से वार्ता की गई तो उन्होंने जमीन कम होने की बात को सिरे से नकार दिया और भला-बुरा कहा। इस पर पट्टी पटवारी से सरकारी नक्शा दिखाने को कहा तो हेमंत द्विवेदी की जमीन टीआरएस गेस्ट हाउस के पीछे निकली, जबकि हेमंत द्विवेदी द्वारा उनकी जमीन पर होटल बना दिया गया है। हालांकि बाद में यह मामला न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया था।

 

यह मामला 2020 का है, जब जगमीत को हेमंत द्विवेदी की धर्मपत्नी विजया द्विवेदी के नाम दर्ज एक प्लाॅट दिखाया गया। डील 6 करोड़ में तय हुई जिसका रजिस्टर्ड एग्रीमेंट भी हुआ। अलग-अलग तारीखों में जगमीत ने हेमंत द्विवेदी के बताए गए अकाउंट में करोड़ों रुपए जमा भी किया, परंतु ऐन रजिस्ट्री के दिन हेमंत द्विवेदी नहीं आए और उसके बाद से लगातार सॅपर्क करने की कोशिशों के बावजूद जगमीत हेमंत द्विवेदी से सम्पर्क नहीं कर पाए। हताश और निराश होकर जगमीत ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल को सारा मामला और कागजात सौंपे लेकिन हेमंत द्विवेदी की ऊंची पहुंच के चलते आज 5 साल बाद भी जगमीत को न्याय नहीं मिल पाया है। यह उत्तराखण्ड राज्य का दुर्भाग्य ही है कि हमारे धामों की गरिमा, परम्परा और मान्यता के अनुसार मंदिर समिति को अध्यक्ष नहीं मिल पाता। जितना ऊंचा हमारे केदारनाथ और बद्रीनाथ का नाम और महात्म्य है उसकी समिति के अध्यक्ष का भी उतना ही ऊंचा चाल, चरित्र और चेहरा होना चाहिए था, परंतु इतने महीने विलम्ब के बाद समिति का अध्यक्ष चुना भी गया तो ऐसा व्यक्ति जिसका अतीत और वर्तमान सब स्याह है।

गरिमा मेहरा दसौनी, मुख्य प्रवक्ता, उत्तराखण्ड कांग्रेस

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