कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लागू है। यातायात के सभी साधन भी बंद हैं। फिर भी मजदूर किसी भी तरह से घर लौटना चाहते हैं। क्योंकि लॉकडाउन के कारण सारे काम ठप्प पड़ गए हैं। उनके सामने परिवार का पेट पालना मुश्किल होता चला जा रहा है। वो हर हाल में अपने गांव लौटना चाहते हैं। ताकि उनके परिवार को कम-से-कम दो वक्त का खाना नसीब हो सके।
घर से 14 किलोमीटर दूर मौत
इसी उम्मीद में 12 साल की बच्ची भी पैदल निकल पड़ी। तेलंगाना के पेरूर गांव से अपने गांव आदेड़ (छत्तीसगढ़) के लिए। 150 किलोमीटर का लंबा रास्ता तय करना था। बच्ची बीजापुर के मोदकपाल गांव पहुंच चुकी थी। लेकिन 18 अप्रैल को मोदकपाल गांव तक पहुंचते-पहुंंचते बच्ची ने दम तोड़ दिया। जहां उसकी मौत हुई वहां से उसका घर बस 14 किलोमीटर की दूरी पर था।
उसके साथ गांव के 11 लोग और भी थे। साथ आ रहे लोगों का कहना है कि बच्ची का रास्ते में उसकी तबीयत खराब हो गई थी। उसके पेट में दर्द था। फिर भी उसने तीन दिन में लगभग घर का सफर पैदल तय कर ही लिया था। बच्ची के पेट में दर्द बढ़ता गया पर जंगल वाला रास्ता आने के कारण हम उसका इलाज नहीं करवा सके।
बच्ची का नाम जमलो मड़कम था। अपने पिता एंडोरम (32) और माता सुकामाती मडकम (30) की इकलौती संतान थी। जमलो बीजापुर के आदेड़ गांव की रहने थी। यह पहली बार था जब वह काम करने के लिए बाहर गई थी। बच्ची गांव की कुछ महिलाओं के साथ तेलंगाना गई थी। बताया जा रहा है कि वो रोजगार की तलाश में दो महीने पहले ही तेलंगाना के पेरूर गांव गई थी। वहां वो मिर्ची तोड़ने का काम करती थी। लेकिन लॉकडाउन में काम बंद हो गया।
A 12-year-old girl Jamlo Makdam who work in chilli fields in Telangana, started walking on April 15 and she died near Bhandarpal village in Bijapur because of dehydration! @ndtvindia @ndtv #lockdownindia #COVID #ServeNeedyInLockdown #COVIDー19 pic.twitter.com/W9azC4jhUd
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) April 21, 2020
15 अप्रैल को घर के लिए निकली
बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के बाद उसने किसी तरह से वहां खाने-पीने का इंतजाम किया था। लेकिन लॉकडाउन जब बढ़ाया गया तो खाने के समस्या सामने आई। तब 15 अप्रैल को बच्ची और गांव के 11 दूसरे लोग तेलंगाना से वापस बीजापुर के लिए पैदल ही निकल पड़े। 18 अप्रैल को मोदकपाल इलाके के भंडारपाल गांव के पास उसने दम तोड़ दिया। उसकी मौत की खबर के बाद प्रशासन की टीम गांव पहुंची।
कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया
एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि बच्ची का कोविड-19 टेस्ट भी किया गया, जो नेगेटिव आया। अधिकारी ने अंदाजा लगाते हुए बताया कि इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के कारण उसकी मौत हुई होगी। बच्ची के साथ आने वाले बाकी 11 मजदूरों को क्वारेंटाइन किया गया है।
बीजापुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बीआर पुजारी ने बताया कि तेलंगाना से पैदल लौट रहे मजदूरों की टोली में से एक बच्ची के मौत की खबर लगते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम हरकत में आई। बच्ची के शव को बीजापुर लाया गया। साथ ही सफर कर रहे सभी मजदूरों को क्वारेंटाइन कर लिया गया। एहतियात के तौर पर शव का कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल भी भेजा गया, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई।
डॉ पुजारी ने आगे कहा कि गर्मी कि वजह से शरीर में इलेक्ट्रॉल इम्बेलेंस या पानी की कमी होने की से बच्ची की मौत हुई होगी। हालांकि, पोस्टमार्टम का रिपोर्ट आने के बाद ही बच्ची के मौत का असल वजह का पता लगेगा।
एक लाख मुआवजे की घोषणा
खबरों के मुताबिक, बच्ची की मौत के दो दिनों बाद यानी 20 तारीख को उसका शव उसके माता-पिता को सौंपा गया। घटना की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बच्ची जमलो मड़कम के परिवार को 1 लाख रुपये देने की घोषणा की है।

