2024 उत्तराखण्ड के लिए एक मिश्रित अनुभव देकर गया। राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रभाव वाली योजनाएं शुरू कीं जो प्रदेश के विकास को नई दिशा देने की क्षमता रखती हैं। इनमें बुनियादी ढांचे के विकास, स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी गई। इन योजनाओं से जनता को आने वाले वर्षों में लाभ मिलने की उम्मीद है जो प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। हालांकि इस विकास यात्रा में चुनौतियां भी कम नहीं रहीं। अवैध खनन जैसी समस्याओं ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया और संसाधनों का दुरुपयोग किया। वहीं सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि ने परिवहन व्यवस्था और सड़क सुरक्षा पर गम्भीर सवाल खड़े किए। इन समस्याओं ने सरकार और जनता के सामने कठिनाइयों का पहाड़ खड़ा कर दिया। उत्तराखण्ड 2024 में उम्मीदों और आशंकाओं का मिश्रण रहा। जहां एक ओर योजनाओं के जरिए एक उज्जवल भविष्य की नींव रखी जा रही है, वहीं दूसरी तरफ तत्काल सुधार और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता स्पष्ट है। आने वाले वर्षों में इन उम्मीदों और चुनौतियों का सही संतुलन बनाना ही राज्य की प्रगति का असली मानक होगा
निवेश के लिए बेहतर माहौल: प्रदेश में वर्ष 2023 से 2024 के बीच जमकर औद्योगिक निवेश हुआ। जहां वर्ष 2021-22 और 2022-23 के बीच 20,195 हजार करोड़ का निवेश हुआ तो वहीं 2023-24 में यह आंकड़ा 24,137 करोड़ तक पहुंच गया। 2,183 नए उद्योग भी राज्य में स्थापित हुए। वर्ष 2023 के दिसम्बर माह में हुए वैश्विक निवेशक सम्मेलन में साढ़े तीन लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव सरकार को मिले थे। वर्ष 2024 में सरकार ने इनमें से 78 हजार करोड़ के 193 प्रस्तावों को धरातल पर उतारने के लिए काम शुरू कर दिया।
सतत् विकास लक्ष्यों की कसौटी पर प्रथम पायदान पर उत्तराखण्ड: भारत सरकार के नीति आयोग की एसजीडी रैंकिंग इंडेक्स रिपोर्ट में उत्तराखण्ड राज्य टॉप पांच राज्यों, तमिलनाडु, गोवा, सिक्किम, पंजाब, कर्नाटक और हिमाचल में प्रथम स्थान पर आया है।
नीति आयोग ने सतत् विकास लक्ष्यों में 15 बिंदुओं पर उत्तराखण्ड को अंक दिए हैं जिनमें गरीबी उन्मूलन में 83, भय मुक्त समाज में 66, अच्छा स्वास्थ्य और जीवन में 84, गुणवत्तापरख शिक्षा में 73, लिंग समानता में 56, स्वच्छ जल व स्वच्छता में 94, स्वच्छ ऊर्जा में 100, बेहतरीन कार्यों व आर्थिक वृद्धि में 80, उद्योग नवाचार और अवस्थापना में 62, असमानता में कमी में 69, टिकाऊ नगर एवं समुदाय में 89, उत्तरदायित्वपूर्ण उपभोग एवं उत्पादन में 86, जलवायु कार्य में 71, जीवन एवं भूमि में 94 तथा शांति, न्याय और सशक्त संस्थाओं के प्रदर्शन में 81 अंक के साथ कुल 79 अंक दिए गए हैं।
जीईपी सूचकांक तैयार करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखण्ड: जीईपी यानी सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक तैयार वाला देश में पहला राज्य उत्तराखण्ड बन गया है। विगत कई वर्षों से उत्तराखण्ड राज्य, पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन को बनाए रखने में पूरी तरह से सफल रहा है। पिछले तीन वर्षों में राज्य ने पर्यावरण के साथ-साथ जल जंगल और जमीन के साथ वायु गुणवत्ता को भी इसमें शामिल किया था जिसका परिणाम रहा कि अब प्रदेश जीईपी सूचकांक तैयार करने में सफल रहा।
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना में उत्तराखण्ड प्रथम: वर्ष 2018-19 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना यानी रूफ टॉप सोलर योजना आरम्भ की थी। यह योजना 20 से 25 किलोवाट तक की क्षमता वाले सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए हैं। वर्ष 2024 में इसकी गाइडलाइन में कई बदलाव किए गए जिससे उत्तराखण्ड में 174 मेगावाट की योजनाओं पर काम आरम्भ हुआ और 19 प्रोजेक्ट स्वीकृत होने की प्रक्रिया में हैं। राज्य में रूफ टॉप सोलर योजना में 8 हजार आवेदन सरकार को अभी तक प्राप्त हो चुके हैं।
पहली बार सोलर कौथिग का आयोजन: दिसम्बर माह में सोलर
कौथिग का भी आयोजन किया गया। राज्य सरकार द्वारा नई सौर ऊर्जा नीति बनाकर राज्य में सोलर एनेर्जी को बेहतर ढंग से बढ़ावा देने के लिए राज्य में 2027 तक आवासों में लगने वाले सोलर संयंत्रों द्वारा 250 मेगावाट तथा अन्य सोलर सिस्टमों से 2500 मेगावाट सोलर बिजली प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। नई नीति में नेट मिटरिंग व्यवस्था को अपनाए जाने तथा 10 मेगावाट सोलर सिस्टम को तकनीकी आकलन से हटा दिया गया है जिससे कम लगात वाले सोलर संयंत्रों की आसानी से स्थापना हो सकेगी और राज्य के बेरोजगार युवा इससे ज्यादा से ज्यादा जुड़ेंगे।
विश्व आयुर्वेद कांग्रेस का सफल आयोजन: देहरदून में चार दिवसीय विश्व आयुर्वेद कांग्रेस का आयोजन किया गया जिसमें पहली बार देश -विदेश से 10 हजार विशेषज्ञों ने शिरकत की साथ ही इन चार दिवसों में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग इस आयोजन में पहुंचे। सम्मेलन में विश्व के 30 देशों के 142 खरीदार भी बिजनेस टू बिजनेस बैठक में शामिल हुए और 1275 करोड़ के व्यापारिक सौदे भी हुए। आयुर्वेद को वैश्विक वापसी और नई गति देने के लिए विश्व आयुर्वेद संघ बनाए जाने का भी निर्णय लिया गया।
यमुना घाटी बनी दुनिया की पहली हर्बल घाटी: प्रदेश की यमुना नदी घाटी को विश्व की पहली हर्बल घाटी होने का तमगा मिलने से प्रदेश में आयुर्वेद और हर्बल के क्षेत्र में नई उंचाइयों को छूने लगा है। यमुना नदी के दोनों ओर 29 गांव और तीन कृषि जलवायु क्षेत्रों में 1 हजार महिलाओं द्वारा 62 प्रकार के औषधीय पौधों की बेहतर खेती कर रही है।
तिमूर के इत्र की मार्केटिंग: राज्य सरकार के संगध पौध केंद्र सेलाकुई के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। तिमूर जिसे सामान्य भाषा में टेमरू, तिमूर तेजबल और नेपाली धनिया भी कहा जाता है, केे बीजों से इत्र बनाने में सफलता हासिल हुई है। जिसकी मार्केेटिंग भी आरम्भ हो चुकी है। वर्तमान समय में तिमूर का इत्र करीब पांच हजार प्रति किलो तक की कीमत में बिक रहा है। संगध पौध केंद्र सेलाकुई द्वारा इसका पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया है और जल्द ही इसका पेंटेंट मिलने की उम्मीद है।
खेल विश्वविद्यालय का गठन: सरकार द्वारा खेल विश्वविद्यालय का विधेयक सदन से पास करवा कर लम्बे समय से चली आ रही मांग को पूरा करके राज्य के खेल प्रेमियों की उम्मीदे भी पूरी कर दी हैं। विश्वविद्यालय राज्य में खेल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शैक्षिक प्रशिक्षण और अनुंसधान, खेल और खेल विज्ञान और राज्य की खेल नीति में शामिल खेलों पर विशेष तौर पर फोकस करने और इन खेलों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और ओलम्पिक में उच्च प्रदर्शन युक्त खेल प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
राज्य में नई टाउनशिप की स्थापना: 2024 प्रदेश में नई टाउनशिप की स्थापना की घोषणा के लिए जाना जा सकता है। राज्य में नई टाउनशिप की स्थापना के लिए सरकार ने कदम बढ़ा दिया है। जल्द ही चमोली जिले के गौचर और पौड़ी जिले के श्रीनगर में एक-एक नई टाउनशिप बनाने के लिए सरकार द्वारा यूआईआईडीबी को कंसलटेंट बनाया जा चुका है। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा भी उत्तरखण्ड में औद्योगिक क्षेत्रों में नए शहर बसाए जाने की घोषणा से प्रदेश में ऊधमसिंह नगर जिले के खुरपरिया में नया शहर बसाया जाएगा।
पर्यटन क्षेत्र के लिए विशेष योजनाएं: इस वर्ष राज्य में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ा देने के लिए राज्स सरकार द्वारा अनेक योजनाओं पर काम करने का निर्णय लिया गया है। इन योजनाओं के धरातल पर उतरने से प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में पंख लगना निश्चित माना जा रहा है। इनमें 29 नए रोपवे का निर्माण की परियोजना पर सरकार काम करने जा रही है। जबकि पूर्व में मानसखंड मंदिर माला मिशन में पहले ही 16 रोपवे स्वीकृत हो चुके हैं। इसके अलावा राज्य में पहली बार शीतकालीन चारधाम यात्रा को अधिसूचित करके सरकार ने शीतकाल में चारधाम यात्रा आरम्भ करवाने का सफल प्रयास कर चुकी है। इस यात्रा में गढ़वाल मंडल विकास निगम के आवासों में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को 25 फीसदी छूट देने का भी निर्णय लिया गया है।
साहसिक खेलों को बढ़ावा: प्रदेश में राफ्टिंग जैसे साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकर द्वारा ऋषिकेश में 100 करोड़ की लागत से राफ्टिंग बेस का निर्माण करने की घोषण की है। इस योजना से करीब 15 सौ लोगों को रोजगार मिलने की सम्भावना जताई जा रही है। साथ ही पौड़ी जिले की नयार नदी पर 172 करोड़ की लागत से झील सहित अनेक पर्यटन की योजनाओं का शिलान्यास मुख्यमंत्री धामी द्वारा किया गया है।
राजनीति
2024 को प्रदेश की राजनीति में उतार चढ़ाव के तौर पर भी याद रखा जाएगा। सत्ताधारी भाजपा और विपक्ष, दोनों ही के लिए, यह साल चुनावी रणनीति के साथ ही भीतरी राजनीतिक समीकरणों को
साधने के नाम रहा।
लोकसभा चुनाव में भाजपा की भारी जीतः लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार भाजपा प्रदेश की पांचों सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही तो कांग्रेस की हार का सिलसिला बरकरार रहा। कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज नेता जिनका प्रदेश की राजनीति में दखल रहा है। वे लोकसभा चुनाव लड़ने से भागते नजर आए। मजबूर होकर कांग्रेस को नए चेहरों पर ही दांव खेलना पड़ा।
विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस को मिली संजीवनी: बदरीनाथ और मंगलौर सीट पर हुए उपचुनाओ में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली। मंगलौर सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार काजी निजामुद्दीन 550 मतों से ही जीत पाए लेकिन बदरीनाथ सीट पर कांग्रेस के लखपत बुटोला 5 हजार से भी ज्यादा मतों से चुनाव जीते। भाजपा के लिए बदरीनाथ सीट का उपचुनाव हारना पार्टी संगठन और सरकार के लिए खतरे की घंटी माना गया।
केदारनाथ सीट पर भाजपा का फिर से परचम: केदारनाथ सीट पर भाजपा ने बड़ी जीत हासिल करके इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा। भाजपा की आशा नौटियाल का राजनीतिक वनवास
भी केदारनाथ उपचुनाव में खत्म हुआ और वे फिर से विधायक बनीं।
महेंद्र भट्ट गए राज्यसभा: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट को भाजपा ने राज्यसभा भेज कर सांसद बनाया। भट्ट के कार्यकाल में लोकसभा की पांचों सीटों पर भारी जीत मिलने के बाद पुरस्कार स्वरूप उन्हें राज्य सभा भेजा गया है।
अजय टम्टा केंद्र में राज्य मंत्री: प्रदेश में लोकसभा चुनाव में पांचों सीट जितने के बावजूद मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में उत्तराखण्ड से टम्टा को ही राज्य मंत्री बनाया गया है। माना जाता है कि भाजपा ने दलित वोटों के समीकरणों को साधने के लिए ही अजय टम्टा को फिर से केंद्र सरकार में राज्य मंत्री बनाया है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी टम्टा राज्य मंत्री बनाए गए थे। लेकिन तीन साल के बाद मंत्रिमंडल के विस्तार के समय उनको मंत्री से हटा दिया गया था।
भ्रष्टाचार
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी पर भ्रष्टाचार के आरोप: 2024 में धामी सरकार के कृषि, उद्यान और औद्योगिक विकास मंत्री गणेश जोशी पर भ्रष्टाचार करने और आय से अधिक सम्पत्ति के आरोप लगे। इस मामले में सरकार को खासी फजीहत झेलना पड़ी। सरकार ने विजिलेंस को मंत्री के खिलाफ जांच की अनुमति तक नहीं दी। जिस पर आरटीआई कार्यकर्ता विकेश नेगी द्वारा हाईकोर्ट नैनीताल में एक याचिका दाखिल की गई। वर्तमान में मामला कोर्ट में लम्बित है।
उत्तराखण्ड वन विकास निगम में करोड़ों का घोटाला: निगम में आंतरिक ऑडिट में करोड़ों का घोटाला सामने आया। वर्ष 2023 के सितम्बर में वन विकास निगम के लालकुआं डिपो में अनियमितता बरतने पर आंतरिक ऑडिट करवाया गया था। मई 2024 को ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा प्रभागीय प्रबंधक को कार्यवाही के आदेश जारी किए गए। इस आदेश का अनुपालन न होने पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने पूरे मामले की एसआईटी से जांच करवाने का आदेश जारी कर दिया। अभी इसकी जांच चल रही है।
नगर निगम देहरादून में मोहल्ला स्वच्छता समिति में फर्जीवाड़ा: निगम के 100 वार्डों में हर वार्ड में समिति का गठन किया गया था जिसमें 8 से लेकर 12 सफाई कर्मियों की नियुक्तियां की गई थीं। जिनको 15 हजार रुपए मासिक मानदेय दिया गया। लेकिन इसमें ई-सफाई कर्मियों की कागजों में ही नियुक्तियां की गई और उनका नियमित वेतन निकाला जाता रहा। निगम हर माह इन स्वच्छता समितियों को डेढ करोड़ रुपए वेतन आदि के लिए देता है। निगम बोर्ड खत्म होने के बाद इस मामले में कार्यवाही में तेजी दिखाई दी और अब इस मामले की कई बिदुओं पर भी जांच चल रही है।
जीएसटी आयुक्त पर विजिलेंस का छापा: जीएसटी के सहायक आयुक्त शशिकांत दुबे पर एक रेस्टोरेंट संचालक द्वारा रिश्वत लेने की विजिलेंस में शिकायत की गई थी। जिस पर विजिलेंस ने शशिकांत दुबे को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया साथ ही देहरादून स्थित कैनाल रोड उनके आवास पर छापा मारकर 50 लाख का सोना बरामद किया।
विवाद
केदारनाथ धाम विवाद: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा दिल्ली में बनने वाले केदारनाथ धाम ट्रस्ट के शिलान्यास मामले में राज्य में बड़ा विवाद सामने आया। इसको लेकर समूचे केदारघाटी में
धरना-प्रदर्शन हुए। कांग्रेस ने इसे उत्तराखण्ड की धार्मिक स्वरूप और संस्कृति के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगा कर सरकार के खिलाफ आंदोलन किया।
सरकार गिराने की सुपारी: खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा द्वारा गैरसैंण में आहूत मानसून सत्र में विख्यात कारोबारी गुप्ता बंधुओं पर धामी सरकार को गिराए जाने की सुपारी दिए जाने के बयान से प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया था। विधायक उमेश शर्मा ने इसके लिए गुप्ता बंधुओं द्वारा 500 करोड़ की सुपारी तक दिए जाने की बात कहकर समूचे सदन में सनसनी मचा दी। हालांकि उमेश कुमार द्वारा इस सनसनी खेज बयान की सत्यता में सदन में कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया लेकिन दावा किया कि उनके पास इसके सभी पुख्ता प्रमाण है।
हादसे
वर्ष 2024 उत्तराखण्ड में बड़े सड़क हादसों के लिए जाना जाएगा। इस वर्ष हुई सड़क दुर्घटनाओं में 643 से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई और 954 लोग घायल हुए। आंकड़ों की बात करें तो कुल 1,311 से ज्यादा सड़क दुर्घनाओं में 1,114 दुर्घटनाएं तो तेज रफ्तार और रैंश ड्राइविंग के कारण हुई हैं। जनवरी 2024 से दिसम्बर माह तक राज्य में 1,075 सड़क हादसे हुए जिसमें 578 हादसे बेहद खतरनाक की श्रेणी में हैं।
ओनजीसी चौक हादसा: देहरादून में ही अब तक का सबसे भयानक सड़क हादसा ओएनजीसी चौक पर हुआ जिसमें 6 छात्रों की मौत हो गई और एक छात्र गम्भीर रूप से घायल हो गया। दुर्घटना का कारण तेज रफ्तार ड्राइविंग रही।
रूद्रप्रयाग सड़क हादसा: इस वर्ष 15 जून को रूद्रप्रयाग जिले में रौंतेली के निकट टैम्पो ट्रेवल गहरी खाई में गिर गया जिसमें 14 लोग मारे गए और 12 घायल हुए। सभी यात्री दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र के थे जो चोपता तुंगनाथ ट्रैकिंग पर निकले थे।
मार्चूला बस दुर्घटना: प्रदेश का सबसे बड़ा सडक हादसा 4 नवम्बर को मार्चूला में हुआ जिसमें 38 लोग मारे गए और 25 लोग बुरी तरह से घायल हुए। हादसे का कारण क्षतिग्रस्त सड़क और ओवरलोड बताया गया।
भीमताल रोडवेज बस दुर्घटना: अल्मोड़ा से हल्द्वानी जा रही रोडवेज बस 25 दिसम्बर की शाम भीमताल आमडाली के पास गहरी खाई में जा गिरी जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई और 25 लोग बुरी तरह से घायल हो गए। इसी तरह प्रदेश में से कई छोटी बड़ी सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं जिसमें विकास नगर में दो मजदूरों को जिसमें एक महिला भी शामिल थी, को अज्ञात तेज रफ्तार कार ने रौंद दिया। इसमें दोनों ही की मौत घटनास्थल पर हो गई। पर्यटन नगरी मसूरी में कार बैक करने के दौरान खाई में जा गिरी और दो लोगों की मौत हो गई। पौड़ी के द्वारीखाल में कार के खाई में गिरने से घटना स्थल पर ही दम्पति और उनके पुत्र की मौत हो गई। बाजपुर और काशीपुर में हुए दो सड़क हादसों में चार लोग मारे गए तो हल्द्वानी में ट्रक और कार की भिडंत में दो कारोबारियों की मृत्यु हो गई। इसी तरह से जौली ग्रांट एयरपोर्ट के समीप सैर कर रहे दो बुजुर्गों को अज्ञात वाहन ने रौंद दिया जिससे दोनों बुजुर्गों ही घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई।
अपराध
2024 में उत्तराखण्ड में कुछ ऐसे बड़े अपराध और आपराधिक घटनाएं सामने आईं जिससे पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर हंगामा मचा रहा। इन मामलों के चलते सरकार को भी खासी फजीहत झेलना पड़ी।
डोभाल चौक हत्याकांड: देहरादून के डोभाल चौक में 17 जून की रात को बाहरी भू माफिया द्वारा स्थानीय निवासी दीपक बडोला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड से पूरा शहर दहल गया और सड़कों पर उतर आया। बाहरी प्रदेशों से आपराधिक तत्वों के आने और आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने को लेकर भारी जनाक्रोश देखा गया।
आईएबीटी परिसर में दुष्कर्म: अगस्त माह में देहरादून स्थित आईएसबीटी परिसर में ही पांच लोगों द्वारा मुरादाबाद उत्तर प्रदेश की एक बालिका के साथ बलात्कार किए जाने का मामला सबसे ज्यादा चर्चित रहा। इस मामले में पुलिस ने कार्यवाही कर पांच लोगों को जेल भेजा गया।
दून में तिहरा हत्याकांड: जून माह में ही पटेलनगर कोतवाली क्षेत्र के बडोवाला में एक महिला और उसकी दो मासूम बच्चियों की हत्या पर पूरा नगर दहल गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार महिला के प्रेमी द्वारा ही हत्याएं की गई और हत्यारा बिजनैर भाग गया। आरोपी हसीन को बिजनौर से हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।
रिटायर्ड अधिकारी की घर में हत्या: ओनजीसी के अकेले रहने वाले रिटायर्ड इंजिनियर अशोक कुमार गर्ग की निर्ममता से उनके ही घर में अज्ञात लोगों द्वारा हत्या कर दी गई। इस घटना से सेवानिबृत बुजुर्गों की सुरक्षा पर गम्भीर सवाल खड़ा हो गया। देहरादून कभी रिटायर्ड लोगों का सबसे पंसदीदा शहर माना जाता था लेकिन अब आपराधिक वारदातों से इसकी फिजा बदल रही है।
हत्यारे पुत्रों से दहली केदारघाटी: दिसम्बर माह में रूद्रप्रयाग जिले के गुप्तकाशी विकास खंड के बेडुला गांव में दो पुत्रों ने अपने ही पिता की हत्या कर दी और अगले दिन चुपचाप से शव को श्मशान घाट ले जाकर दाह संस्कार करने लगे। ग्रामीणों द्वारा पुलिस को सूचना दी गई तो पुलिस ने चिता से 90 फीसदी जले शव को निकाल कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा और दोनों पुत्रों को हिरासत में लिया।
नर्स से बलात्कार के बाद हत्या: जुलाई माह में ऊधमसिंह नगर में एक निजी अस्पताल में नर्स की नौकरी करने वाली युवती रात्रि में ड्यूटी से घर लौट रही थी। उसका शव एक खाली प्लॉट में पाया गया। पुलिस जांच में नर्स के साथ पहले बलात्कार फिर उसकी हत्या की पुष्टि हुई। शव की पहचान छुपाने के लिए उसके चेहरे को पत्थर से बुरी तरह कुचल दिया गया था। पुलिस ने मामले की जांच की और बरेली निवासी को राजस्थान से गिरफ्तार किया।
चर्चित गुप्ता बंधुओं की गिरफ्तारी: देश-विदेश में चर्चित कारोबारी गुप्ता बंधुओं को बिल्डर बाबा साहनी को आत्महत्या करने पर मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। दरअसल निल्डर बाबा साहनी द्वारा अपने ही निर्माणाधीन प्रोजेक्ट की आठवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या की थी। घर मे छोड़े गए सुसाइड नोट और बाबा साहनी के परिवार के लोगों के बयान पर पुलिस द्वारा अजय गुप्ता और उसके बहनोई अनिल गुप्ता को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
गुरूद्वारा डेरा प्रमुख की हत्या: मार्च महीने में नानकमत्ता गुरूद्वारे के डेरा कारसेवा प्रमुख बाबा तरसेम सिंह की निर्मम हत्या कर दी गई। पुलिस जांच में हत्याकांड का प्रमुख कारण डेरा में वर्चस्व की लड़ाई थी। 10 लाख की सुपारी देकर शूटर्स द्वारा हत्या करवाई गई। पुलिस द्वारा दोनों शूटर्स और षड्यंत्र में शामिल सभी आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।
ज्वैलरी शो रूम में सशस्त्र डकैती: सितम्बर माह में हरिद्वार तीर्थ नगरी में दिन दहाड़े हथियारबंद डकैतों द्वारा बालाजी ज्वैलर्स में डकैती डाली गई। करीब पांच करोड़ की ज्वैलरी की लूट हुई। इस मामले को लेकर धामी सरकार और तत्कालीन कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार विपक्ष के निशाने पर आ गए।
आपदा
फिर से केदारनाथ आपदा: वर्ष 2024 में जुलाई माह के अंत में केदारनाथ पैदल मार्ग में भीषण आपदा आई। दो स्थानो पर बादल फटने की घटनाओं में भारी तबाही हुई जिससे पैदल मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त हो गए। इस आपदा में 17 लोग लापता बताए गए जबकि 7 लोगों के शव मलवे से बरामद किए गए। लापता लोगों की संख्या सरकारी अंकड़ों से कहीं अधिक बताई जा रही है। इस आपदा के बाद केदारनाथ यात्रा पर कुछ दिनों के लिए रोक लगा दी गई।
स्मृति-शेष
2024 राजनेताओं के असमय देहांत के लिए भी याद किया जाएगा। इस साल कई राजनीतिक व्यक्तियों का निधन हुआ।
शैला रानी रावत: केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान चोटिल हो गई थीं जिससे उनकी रीढ की हड्डी में गम्भीर चोट आ गई। उपचार के लिए उनको देहरादून के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली।
चंद्रशेखर भट्टेवाले: चंद्रशेखर लम्बे समय से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थे। बीमारी के दौरान ही अस्पताल में उनका निधन हो गया। वे 2012 में भाजपा के टिकट पर ज्वालापुर सीट से चुनाव जीत कर विधायक बने थे।
त्रिवेंद्र पंवार: वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी और उक्रांद के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार का इसी वर्ष नवम्बर माह में निधन हुआ। पंवार ऋषिकेश में एक वैवाहिक कार्यक्रम से निकल कर अपनी कार में बैठ रहे थे कि तभी एक ओवर लोड ट्रक ने उनकी कार को टक्कर मार दी जिससे त्रिवेंद्र पंवार की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे त्रिवेंद्र आजीवन उत्तराखण्ड प्रदेश, खास तौर पर पर्वतीय क्षेत्त्रों के लिए मुखर रहे।
नीतियों पर सवाल
वर्ष 2024 में जहां प्रदेश के खाते में अनेक उपलब्धियां रहीं तो वहीं दूसरी ओर सरकार की नीतियों और उसके क्रियान्वयन पर भी सवाल खड़े होते रहे। अनेक ऐसी योजनाएं रहीं जिनकी घोषणाएं तो बड़े तामझाम से की गई लेकिन सरकारी तंत्र की लेट-लतीफी से वे योजनाएं पार नहीं पा सकीं जिससे आवाम को कोई लाभ नहीं मिल पाया। कई योजनाएं तो ऐसी भी थीं जो वर्षों पूर्व घोषित हो चुकी हैं और हर वर्ष सरकार उन्हें पूरा करने का दावा करती रही।
हजारों गावों में नहीं पहुंची सड़क: राज्य बनने के बाद हजारों गांव आज भी सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं। हालांकि इसका दावे हर साल किए जाते रहे हैं। 2024 के शुरुआत में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा दावा किया गया था कि इस वर्ष प्रदेश के सभी गांवों को सड़क से जोड़ दिया जाएगा लेकिन पूरा साल निकल गया। सरकार अपने दावे पर खरा नहीं उतर पाई। करीब 9800 गांव मुख्य सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं जिसके लिए धामी सरकार ने मुख्यमंत्री सड़क योजना के प्रथम चरण में 3,177 गांवों को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए शामिल तो किया लेकिन ढीली रफ्तार और सरकारी सिस्टम के चलते प्रथम चरण भी पूरा नहीं हो पाया है। सरकारी तंत्र की उदासीनता का आलम यहां तक रहा है कि राज्य में सडकों के लिए संवैधानिक स्वीकृति मिलने के बावजूद वन भूमि नहीं मिल पाई जिसके चलते 500 से भी ज्यादा सड़कों का निर्माण नहीं हो पाया।
बेहतर स्वास्थ्य और चिकित्सा के नाकाम दावे: प्रदेश में स्वास्थ्य को लेकर विरोधाभास भी खूब देखने में आया। अच्छा स्वास्थ्य और जीवन के लिए नीति आयोग ने राज्य को 84 अंक दिए हैं तो उसी राज्य में पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं में भारी कमी बनी रही। यह आंकड़े स्वास्थ मंत्रालय की हेल्थ डायनामिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर एंड हयूमन रिसोर्स की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की रिपोर्ट में सामने आए हैं। रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि इडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड मानकों के अनुसार प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषज्ञांे के 80 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। सर्जन, बाल रोग, गायनाकोलॉजिस्ट, फिजीशियन और ऐनोथेस्टिक के 245 पदों की सापेक्ष महज 48 पद पर ही तैनाती हो पाई है। सरकार ने इस वर्ष स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए काम करने का दावा किया था जो पूरा नहीं हुआ।
आयुर्वेद के जनक प्रदेश में आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज पिछड़े: उत्तराखण्ड को आयुर्वेद का जनक कहा जाता है। लेकिन इसी प्रदेश के सभी सरकारी और निजी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को ए ग्रेड तक नसीब नहीं हुआ। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और नेशनल कमीशन फॉर इंडियन मेडिकल सिस्टम द्वारा पहली बार देशभर में आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों की रेटिंग की गई जिसमें उत्तराखण्ड के केवल पतंजलि भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान को ही ए ग्रेड मिल पाया है जबकि हरिद्वार के राजकीय मेडिकल कॉलेज ऋषिकुल को सी ग्रेड मिला है। शेष सभी मेडिकल कॉलेज किसी भी रेटिंग के काबिल ही नहीं पाए गए।
कैंसर अस्पताल की टूटी उम्मीदें: कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी के उपचार के लिए भारत सरकार सबसे ज्यादा काम कर रही है लेकिन प्रदेश में इसको लेकर कोई ज्यादा सुगबुगाहट होती नहीं दिखाई दी। देहरादून के हर्रावाला में 106 करोड़ 80 लाख की लागत से बनाया गया 300 बेड का सुपर स्पेशलिटी कैंसर अस्पताल का भवन 2024 में बन कर खड़ा तो हो गया लेकिन साल बीत गया और अभी भी यह अस्पताल आम जनता के लिए नहीं खुल पाया है। इसका बड़ा कारण है कि सरकार इसे पीपीपी मोड में चलाना चाहती है जिसके लिए अभी तक सरकार के पास कोई प्रस्ताव तक नहीं पहंुचा। जबकि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनेक बार इस कैंसर अस्पताल को जल्द शुरू करने की बात कहते रहे हैं।
अधर में दून एअरपोर्ट का विस्तार: राज्य का सबसे बड़ा और सबसे व्यस्तम जाली ग्रांट हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने के लिए विस्तार किया जाना है लेकिन 2024 में भी 46 हेक्टेयर
वन भूमि न मिलने से इसके विस्तार का काम अधर में ही लटका रहा।
जाम से त्रस्त रहने का अभिशाप झेलती दून घाटी: देहरादून नगर में आए दिन जाम लगना एक सामान्य-सी बात हो चली है। 2024 में पहली बार भैया दूज पर दून घाटी के निवासियों ने कई किमी लम्बा जाम देखा जो करीब दस घंटे तक रहा। इस तरह के जाम से निपटने के लिए तमाम दावों किए जाते रहे हैं जिसमें रिंग रोड बनाए जाने का दावा भी किया गया है लेकिन 2024 के खत्म होने तक सरकार इस पर प्रस्ताव से आगे कदम तक नहीं बढ़ा पाई।

