आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट में संजय सिंह के खिलाफ यूपी में राजद्रोह समेत अन्य आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसे रद्द करने की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। उच्चतम न्यायालय ने बताया कि यूपी पुलिस को इन मामलों में सांसद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्यसभा के सभापति से मंजूरी लेने से रोका नहीं जा सकता है।
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— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) February 10, 2021
न्यायालय ने सिंह की उन दो याचिकाओं पर यूपी सरकार से जवाब मांगा है। जिसमें उन्होंने नफरत फैलाने वाले बयान मामले में दर्ज अनेक प्राथमिकियों को एक साथ करने और उन्हें रद्द करने का अनुरोध किया है। 12 अगस्त वर्ष 2020 को संजय सिंह द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन के बाद मामला दर्ज की गया था। संजय सिंह ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार समाज के एक खास वर्ग की तरफदारी कर रही है। संजय सिंह के तरफ से पेश अधिवक्ता विवेक तन्खा तथा सुमीर सोढ़ी ने कहा कि पुलिस ने मामला दर्ज करते समय प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। राज्यसभा के सांसद के खिलाफ कार्रवाई के लिए मंजूरी नहीं ली गई।
इस पर पीठ ने कहा कि वह इस चरण में मंजूरी के पहलू पर गौर नहीं करेंगे लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सिंह के खिलाफ कोई अपराध नहीं लगाए गए हैं। दो फरवरी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सिंह को लखनऊ में दर्ज एक प्राथमिकी पर जारी गैर जमानती वारंट से सुरक्षा देने से इनकार किया था। आप नेता ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपने खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों को रद्द किए जाने के लिए शीर्ष अदालत जाने का फैसला लिया।
उन्होंने कहा कि ये प्राथमिकियां दुर्भावनापूर्ण तरीके से राजनीतिक बदले की भावना के तहत दर्ज की गई है। संजय सिंह ने एक अन्य याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 21 जनवरी के उस फैसले को भी चुनौती दी है। लखनऊ में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया था।संजय सिंह ने कहा कि हमारे खिलाफ मामले दर्ज को रद्द करने का अनुरोध करने वाली एक याचिका में कहा है कि संबंधित संवाददाता सम्मेलन में केवल खास सामाजिक मुद्दे और बिना नाम लिए सरकार द्वारा समाज के एक विशेष वर्ग के प्रति सहानुभूति रखने जैसे सवाल उठाए थे।
आम आदमी पार्टी नेता ने बताया है कि संवाददाता सम्मेलन के बाद यूपी के सभी जिलों के थानों में भाजपा के सदस्यों के कहने पर उनके खिलाफ विभिन्न तरह के प्राथमिकी दर्ज की गईं हैं। लखनऊ, संत कबीरनगर, खीरी, बागपत, मुजफ्फरनगर, बस्ती तथा अलीगढ़ अन्य 8 जिलों में मामले दर्ज सिर्फ 8 प्राथमिकियों के बारे में जानकारी दी गई है।

