राजनीति में रिश्ते कभी स्थाई नहीं रहते हैं। उभरते सितारे के साथ सभी खड़े होना पसंद करते हैं और डूबते सितारे का साथ छोड़ने में तनिक भी देर नहीं लगाते हैं। आंध्र प्रदेश की राजनीति में धूमकेतु की भांति छाए जगन रेड्डी वर्तमान समय में गर्दिश का दौर देख रहे हैं। अप्रैल 2019 में जगन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने राज्य विधानसभा की 175 सीटों में से 151 सीटें जीत इतिहास रच दिया था। तब सत्तारूढ़ तेलगुदेशम पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था और उसके नेता एन चंद्रबाबू नायडू का कद आंध्र प्रदेश और देश की राजनीति में खासा घट गया था। 2024 में लेकिन नायडू ने बाजी पलट दी। तेलगुुदेशम पार्टी 135 सीटें जीत बहुमत में आ गई। एनडीए गठबंधन को कुल 164 सीटों में विजय हासिल हुई। लोकसभा सीटों की 25 में से एनडीए गठबंधन 21 सीटों पर विजयी रहा और जगन की वााईएसआर कांग्रेस मात्र 4 सीटें जीत पाई। इन नतीजों के बाद से ही जगन रेड्डी की पार्टी में भारी उथल-पुथल मच गई है। एक के बाद एक बड़े नेता जगन का साथ छोड़ तेलगुदेशम अथवा भाजपा का दामन थामने लगे हैं। गत् सप्ताह जगन के करीबी कहलाए जाने वाले अनुसूचित जाति के बड़े नेता और राज्यसभा सांसद आर. कृष्णा ने राज्यसभा से इस्तीफा दे जगन की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। खबर गर्म है कि कृष्णा जल्द ही भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। इससे पहले दो अन्य राज्यसभा सांसदों ने सदन से इस्तीफा दे दिया था। सूत्रों की मानें तो ये दोनों सांसद तेलगुदेशम में शामिल होने वाले हैं। खबर यह भी गर्म है कि राज्य सरकार जगन रेड्डी के मुख्यमंत्रित्वकाल में हुए घोटालों की जांच कर कानूनी तौर पर भी पूर्व मुख्यमंत्री पर शिकंजा कसने जा रही है। यदि ऐसा हुआ तो जगन के कई और साथियों का पार्टी छोड़ना तय माना जा रहा है।
जगन का अवसान काल

