‘इंडिया गठबंधन’ में सीट शेयरिंग को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने घटक दलों के साथ सीट बंटवारे को लेकर उन्हें टटोलने की कवायद शुरू कर दी है। इस बीच खबर है कि कांग्रेस पर सहयोगी दलों ने दबाव बढ़ाना भी शुरू कर दिया है। एक ओर जहां जेडीयू ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्षी गठबंधन के सूत्रधार के रूप में पेश कर कहा कि भारतीय राजनीति में केवल कुछ ही नेता हैं जो उनके जैसे अनुभवी हैं। जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कहा गया कि इंडिया गठबंधन में बड़ी पार्टियों की जिम्मेदारी है कि वे गठबंधन को सफल बनाने के लिए बड़ा दिल दिखाए। वहीं दूसरी तरफ शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि वह महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 23 पर चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस के साथ उसकी बातचीत शून्य से शुरू होगी क्योंकि 2019 के लोकसभा के चुनाव में महाराष्ट्र में भगवा पार्टी ने कोई भी सीट नहीं जीती है। इन दोनों पार्टियों के बयानों से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी राज्य में भाजपा से मुकाबला करेगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं की एक बैठक में कहा कि देशभर में बीजेपी का मुकाबला इंडिया से होगा, लेकिन पश्चिम बंगाल में बीजेपी के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व टीएमसी करेगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पहले से पंजाब और दिल्ली में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर चुके हैं तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा ऐसा बयान दिया गया है, जिससे ‘इंडिया गठबंधन’ से उनका मोहभंग होने के कयास लगाए जा रहे हैं। आजमगढ़ दौरे पर पहुंचे अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर दावा किया कि चुनाव में ‘पीडीए’ का फॉर्मूला ही एनडीए को हरा सकता है। अपनी पूरी बातचीत के दौरान उन्होंने एक बार भी इंडिया गठबंधन का जिक्र नहीं किया और न ही उसके बारे में कोई राय रखी। ऐसे में माना जा रहा है कि कहीं न कहीं अखिलेश अब ‘इंडिया गठबंधन’ से दूर होते दिखाई दे रहे हैं। गठबंधन के सहयोगी दलों के इन बयानों ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
सहयोगियों ने बढ़ाई कांग्रेस की चिंता

