हरियाणा की बरोदा सीट जहां बड़े-बड़े राजनीतिक और देश के लोगों की आंखे गढ़ी हुई हैं। एक तरफ भाजपा जिसका कभी भी इस सीट पर कमल नहीं खिला, तो दूसरी तरफ परिवारिक पंरपरा से जुड़ी पार्टी इनेलो की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। तो वहीं कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली इस सीट पर आने वाले दिनों में उपचुनाव होने वाला है। बरोदा सीट को जाट बहुल सीट माना हैं। इस सीट पर कभी देवीलाल की पार्टी का दबदबा रहा हैं तो कभी कांग्रेस का। इनेला, कांग्रेस और भाजपा सीट को जीतने के लिए ऐडी चोटी का जोर लगा रही है। जहां एक तरफ भाजपा बरोदा में कमल खिलाने के लिए उतारु है वहीं दूसरी तरफ इनेलो अपनी प्रतिष्ठा और कांग्रेस अपना इलाका बचाने के लिए जनता का दिल जीतने की जद्दोजहद कर रही है। बीजेपी के लिए मुसीबत बनी हुई है क्योंकि केंद्र सरकार द्दारा पारित किए गए तीन कृषि अध्यादेशो के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे है। बरोदा सीट इनेलो के लिए प्रतिष्ठा वाली सीट है इस सीट पर हरियाणा के पूर्व सीएम रहे और देश के पू्र्व उपमुख्यमंत्री स्व. चौधरी देवीलाल का काफी दबदबा रहा हैं।
जजपा हरियाणा में बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार में बैठी हुई है। कांग्रेस का इस सीट को गढ़ माना जाता है। भाजपा जजपा के साथ मिलकर कांग्रेस के इस गढ़ को जीतने के लिए अलग-अलग तरह के दांव पेंच लगा रही है। बरोदा सीट को चौधऱी भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है। इसी सीट से कांग्रेस के कृष्ण हुड्डा तीन बार चुनान जीतकर विधानसभा पहुंचे है। जीट को जीतने के लिए हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा लगातार रैलियां और गांव-गांव जाकर लोगों से वोट की अपील कर रहे हैं।
बरोदा की सीट पर अभी तक 13 विधायक चुने गए हैं। इन 13 विधायकों में से सात बार देवी लाल की पार्टी से और 5 बार कांग्रेस के विधायक चुने गए है। इसलिए कांग्रेस और इनेलो के लिए यह प्रतिष्ठा और कांग्रेस अपनी नाक बचाने लिए प्रयासरत है। बीजेपी ने 2014 में इस सीट पर बड़े नेता पर दांव चला था, लेकिन असफल रही। इस बार भी बीजेपी ने इस सीट पर अंतर्राष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त को मैदान में उतारा है। 2019 चुनाव में भी बीजेपी ने योगेश्वर दत्त को मैदान में उतारा था, पंरतु उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। एक बार फिर बीजेपी ने योगेश्वर दत्त को मौका दिया है। अब देखना होगा कि योगेश्वर दत्त अपने पहलवानी दांव से सामने वाले पहलवान को चित्त कर देंगे या नहीं यह आने वाला समय बताएगा।

