Uttarakhand

राजस्व गांव बनने की ओर बिंदुखत्ता

लम्बे संघर्ष के बाद बिंदुखत्ता के लोगों की जीत हुई है। पीढ़ी दर पीढ़ी वन भूमि पर बसे बिंदुखत्ता के लोग इसे वन ग्राम से राजस्व गांव बनाने की मांग करते रहे हैं जिस पर वनाधिकार अधिनियम 2006 के तहत जिला स्तरीय वनाधिकार समिति द्वारा अपनी बैठक में स्वीकृति देने बाद नैनीताल जिलाधिकारी वंदना सिंह ने राजस्व दर्जे के अनुमोदन के लिए पत्रावली उत्तराखण्ड शासन को भेज दी है। राजस्व परिषद द्वारा राज्यपाल को अधिसूचना जारी करने के बाद बिंदुखत्ता को राजस्व गांव घोषित करने का रास्ता साफ हो जाएगा

दशकों से बसे नैनीताल के वन ग्राम बिंदुखत्ता में स्कूल, कॉलेज, बाजार, सड़क, बिजली, पानी, अस्पताल सब कुछ है लेकिन लोग जिस जमीन पर रह रहे हैं, उसका मालिकाना हक (भूमि स्वामित्व) उनके पास नहीं है। नाम तो दूर, परिवार रजिस्टर तक नहीं बना है। लोकसभा और विधानसभा में यहां के वाशिंदे वोट देंगे, पर अपना प्रतिनिधि (प्रधान) नहीं चुन सकते हैं। वन अधिकार कानून-2006 आने के बाद लोगों को ये सब हक हकूक मिलने की आस जगी और आखिरकार सालों के लंबे संघर्ष के बाद लोगों की जीत हुई। उत्तराखण्ड ही नहीं, संभवतः देश के सबसे बड़े नैनीताल के बिंदुखत्ता गांव के राजस्व गांव बनने का रास्ता साफ हो गया है। नैनीताल प्रशासन ने राजस्व गांव का प्रस्ताव पास कर शासन को भेज दिया है।

समाजसेवी कमल दुमका कहते हैं कि बिंदु खत्ता के वाशिंदे राजस्व गांव के नाम पर दशकों से छले जा रहे हैं। चाहे विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा पिछले कई चुनावों में बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने का मुद्दा भुनाकर कई जनप्रतिनिधि संसद और विधान सभा में पहुंचे लेकिन बिंदुखत्ता को राजस्व गांव घोषित करने की वर्षों पुरानी मांग आज तक पूरी नहीं हो सकी। फिलहाल जनप्रतिनिधियों के लिए वोट बटोरने के लिए बना राजस्व गांव का मुद्दा अब समाप्ति को ओर है।

बिंदुखत्ता राजस्व गांव से संबंधित अनूपूरक पत्र एवं योजनाओं के लाभ से संबंधित पत्रों के जारी होने पर बिंदुखत्ता की 80 हजार की आबादी को अब राजस्व गांव बनने का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। यह पहला मौका है जब बिंदुखत्ता की दशकों पुरानी मांग पर विधिवत कार्यवाही हुई है। इससे लोगों में काफी हर्ष का माहौल बना हुआ है।

विदित रहे कि पिछले कई दशकों से बिंदुखत्ता वासी राजस्व गांव की मांग को लेकर आंदोलित रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बिंदुखत्ता में रहने वाले लोगों की कई पीढियां गुजर गई, मकान कच्चे से पक्के हो गए, लालटेन की जगह बिजली के बल्ब रोशन होने लगे। वक्त के साथ सब कुछ बदलता चला गया लेकिन जो कुछ नहीं बदला वह है बिंदुखत्ता के लोगों की संघर्ष गाथा। लगभग 90 वर्ष पूर्व कुमाऊं व गढ़वाल के विभिन्न क्षेत्रों के लोग बड़ी तादात में बिंदुखत्ता में आकर बसे। वह सब अलग-अलग कारणों से यहां आए। अपने अथक परिश्रम से ग्रामीणों ने बियावन क्षेत्र को रहने योग्य बनाया। बंजर भूमि को खेती योग्य बनाया। समय बीतने के साथ-साथ ग्रामीणों के संघर्षो के बाद यहां धीरे-धीरे सड़कें बनी स्कूल और अस्पताल समेत अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हो पाई। लेकिन राजस्व गांव का मुद्दा लटका रहा। पिछले तीन बार के विधानसभा और लोकसभा चुनाव इसी मुद्दे पर लड़े जाते रहे हैं। लालकुआं विधानसभा के इस सबसे बड़े इलाके बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने के मुद्दे पर सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों व निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने सिर्फ झूठे वादे किए। हालांकि पूर्व विधायक और कैबिनेट मंत्री रहे हरीश चंद्र दुर्गापाल जब राजस्व गांव नहीं बना पाए तो उन्होंने बिंदुखत्ता को नगर पालिका क्षेत्र घोषित करा दिया। इसका पूरजोर विरोध होने पर इसे वापस ले लिया गया।

गत् मार्च माह में जिला स्तरीय वनाधिकार समिति ने बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने पर सहमति जताते हुए अपनी मोहर लगा दी थी। जबकि इससे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अपनी घोषणा में बिंदुखत्ता को वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत राजस्व गांव बनाने की घोषणा कर दी थी। अंततः उक्त पत्रावली में जिलाधिकारी नैनीताल द्वारा सकारात्मक कार्यवाही कर गत 19 जून को प्रकरण शासन को भेज दिया। जिससे बिदुखतता के लोगों में हर्षोल्लास हुआ है। साथ ही यहां के सभी लोगों ने इस कदम के लिए जिलाधिकारी का आभार जताया।

वन अधिकार समिति के सदस्य उमेश चन्द्र भट्ट के अनुसार बिंदुखत्ता के लिए बहुत बड़ी खुशी का दिन है। यह ऐतिहासिक रूप से पहला मौका है जब पूरे देश में इतने बड़े भूभाग को राजस्व गांव का दर्जा मिलने वाला है। हमारे जनप्रतिनिधि उक्त कार्य के लिए लगातार संघर्षरत रहे हैं जिसका हमें यह सुखद परिणाम मिला है।

वनाधिकार समिति बिंदुखत्ता के सचिव भुवनभट्ट की मानें तो बिंदुखत्ता में वन अधिकार अधिनियम अंतर्गत जिला स्तर से राजस्व ग्राम का संयुक्त दावा स्वीकृत होने पर अपर निदेशक, जनजाति कल्याण निदेशालय ने जिलाधिकारी नैनीताल को एक पत्र प्रेषित कर सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के निर्देश दिए हैं। वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के प्रावधानों अनुसार दावा स्वीकृत पश्चात राजस्व ग्राम की अधिसूचना की प्रतीक्षा किए बिना समाज कल्याण, पर्यावरण और वन, राजस्व, ग्रामीण विकास, पंचायती राज आदि विभागों की योजनाओं का लाभ दावाकर्ताओं को दिया जाना चाहिए। जिसमें देरी की जा रही है। हालांकि जिलाधिकारी वंदना सिंह ने इस बाबत एसडीएम को सर्वे कर सूची बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने उप जिलाधिकारी को निर्देशित किया कि बिंदुखत्ता के ग्रामीणों का परिवार रजिस्टर बनाने के लिए तीन- चार टीमें गठित करके घर-घर जाकर पारिवारिक डाटा एकत्र किया जाए। इसके साथ ही प्रभागीय वनाधिकारी पूर्वी तराई वन प्रभाग को बिंदुखत्ता वासियों को निजी उपयोग हेतु गौला नदी में रेता-बजरी के परमिट जारी करने के भी निर्देश दिए हैं।

गौरतलब है कि बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की मांग से संबंधित पत्र वनाधिकार समिति द्वारा दिया गया था। इस पत्र के क्रम में ही अपर निदेशक योगेंद्र रावत ने जिला अधिकारी नैनीताल वंदना सिंह को पत्र प्रेषित कर वन अधिकार अधिनियम 2006 में उल्लेखित नियमों एवं प्रावधानों अनुसार समस्त सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। जिसमें वर्ष 2006 में राजस्व ग्राम के सम्बंध में हुई कार्यवाही से सम्बंधित सी भास्कर, वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त एवं डॉ. आर.एस. टोलिया, मुख्य सचिव उत्तराखण्ड के उन पत्रों का भी उल्लेख किया गया है जिसमें बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम बनाएं जाने की संस्तुति प्रदान की गईं थीं।

अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन की राष्ट्रीय महासचिव रोमा ने कहा कि यह लोगों के संघर्ष और संगठन की जीत है। बिंदुखत्ता को राजस्व गांव में बदलने के संघर्ष में कई साल के बाद सफलता मिली है। इससे उत्तराखण्ड में अन्य वन गावों के राजस्व गांव बनने के लिए भी रास्ता खुलने की संभावना बनी है।

पूर्व में लालकुआं से निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हरेंद्र बोरा कहते हैं कि पिछले कई साल से लोग लगभग हर महीने ही निरंतर प्रदर्शन कर रहे थे। ये कोई आदिवासी या टोंगिया गांव नहीं है, यहां सभी लोग अन्य परंपरागत वन निवासी की कैटेगरी में आते हैं लिहाजा 75 साल से रहने के सबूत आदि की शर्ते पूर्ण की गई और लोगों ने एकजुट संघर्ष किया और जीते। हमें उम्मीद है कि शासन से भी जल्द ही बिंदुखत्ता के राजस्व दर्जे पर मुहर लग जाएगी।

बिंदुखत्ता में रहने वाले अधिकतर लोग सेना और अर्धसैनिक बलों में तैनात हैं। काफी संख्या में पूर्व सैनिक भी यहां रहते हैं। जिस कारण बिंदुखत्ता को सैनिक बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है। राज्य बनने के बाद से अब तक अशोक चक्र विजेता मोहन नाथ गोस्वामी समेत करीब एक दर्जन जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है। परंतु बिंदु खत्ता का दुर्भाग्य यह है कि केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधि बलिदानियों की शहादत का महत्व नहीं समझ पाए।

कांग्रेस नेता बिमला जोशी बीना के अनुसार वर्ष 1985 से ही यहां के निवासी बिंदुखत्ता को राजस्व गांव का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। राजस्व गांव एक छोटी प्रशासनिक इकाई होती है जिसकी एक निश्चित सर्वेक्षण सीमा होती है और यहां के निवासियों को व्यक्तिगत भूमि स्वामित्व अधिकार प्राप्त होते हैं। वर्तमान में उनके पास कोई व्यक्तिगत भूमि स्वामित्व या रजिस्ट्री के कागजात नहीं हैं। राज्य सरकार ने 2014 में बिंदुखत्ता निवासियों को भूमि अधिकार और राजस्व गांव का दर्जा देने का वादा किया था, लेकिन कोई आधिकारिक आदेश नहीं लिया गया। बाद में बिंदुखत्ता को नगर पालिका बनाने का भी फैसला किया गया, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया। हालांकि वर्ष 2022 में राज्य सरकार ने गांव के विद्युतीकरण पर 16 साल से लगी रोक हटा कर उनको थोड़ा राहत देने का काम जरूर किया है।

बात अपनी-अपनी
मैंने विधायक बनने के तीसरे महीने ही राजस्व गांव को लेकर पहली मीटिंग कर दी थी। मैं तभी से बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की कोशिशों में जुटा था। मुख्यमंत्री जी से भी मैंने इस बाबत घोषणा कराई। मुझसे पूर्व के जितने भी जनप्रतिनिधि थे सभी ने इस पर हवाई घोषणा की है।
मोहन सिंह बिष्ट, विधायक लालकुआं

जिला स्तरीय समिति द्वारा प्रस्तुत अनुपूरक प्रस्तावों के सभी बिंदुओं को नियमानुसार टेकअप किया जाएगा। हमने उपजिलाधिकारी को निर्देशित किया कि जो लोग एफआरए के नियमों के अनुसार 2005 से पूर्व 75 वर्षों से बिंदुखत्ता क्षेत्र में निवासरत हैं उनकी सूची भी बनाएं ताकि अधिनियम के अनुरूप प्रस्तुत प्रस्ताव पर नियमानुसार काम किया जा सके।
वंदना सिंह, जिलाधिकारी, नैनीताल

बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाए जाने की पहल का हम स्वागत करते हैं। हमने भी पहले राजस्व गांव बनाने के काफी प्रयास किए थे लेकिन सफलता नहीं मिली। हालांकि हमने तब नगर पालिका बनाई थी लेकिन वह राजनीति की भेंट चढ़ गई। नगर पालिका बनती तो हमें बिदुखतता के विकास के लिए हर साल साढ़े छह करोड़ रुपए मिलते।
हरीश चंद्र दुर्गापाल, पूर्व विधायक, लालकुआं

19 जून को एफआरए अंतर्गत बिंदुखत्ता राजस्व ग्राम का संयुक्त दावा जिले से शासन को प्रेषित किया गया था, उसमें वनाधिकार समिति किए गए निवेदन अनुसार सात आंशिक संशोधनों को भी जिले से स्वीकृत कर शासन को प्रेषित कर दिया गया है। दो-दो मुख्यमंत्रियों की घोषणाएं भी शामिल हैं, उम्मीद है सीएम धामी जी दीवाली से पूर्व बिंदुखत्ता वासियों को खुशखबरी देंगे। जनजाति कल्याण निदेशालय द्वारा डीएम नैनीताल को राजस्व ग्राम की अधिसूचना की प्रतीक्षा किए बिना बिंदुखत्ता में सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करने हेतु निर्देशित किया है, जिस पर डीएम ने जल्द ही सभी विभागों की बैठक कर योजनाओं का लाभ देने का आश्वासन दिया है।
भुवन भट्ट, सचिव, वनाधिकार समिति बिंदुखत्ता

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