पश्चिम बंगाल के भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने प्रवासी मजदूरों की मौत पर आपत्तिजनक बयान दिया है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों से घर लौटने वाले प्रवासियों की मौत ‘छोटी और छिटपुट’ घटनाएं हैं और इसके लिए रेलवे को उत्तरदायी नहीं ठहरा जा सकता।
भाजपा सांसद दिलीप घोष ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं। लेकिन आप इसके लिए रेलवे को उत्तरदायी नहीं ठहरा सकते हैं। वे प्रवासियों को घर पहुंचाने के लिए बेहतर प्रयास कर रहे हैं। कुछ मौतें हुई हैं लेकिन ये छिटपुट घटनाएं हैं।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘यात्रियों की सेवा के लिए रेलवे के बेहतर प्रयासों के हमारे पास उदाहरण हैं। कुछ छोटी-मोटी घटनाएं हुई हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप रेलवे को बंद कर देंगे।’’ दिलीप घोष के इस बयान से पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी माकपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। और कहा है कि मजदूरों की दुर्दशा पर संवेदनशील होएं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के समय रेलगाड़ियों का रास्ता भटकना नरेंद्र मोदी सरकार के अच्छे दिनों का ‘जादू’ है। उन्होंने दावा किया कि यह सिर्फ सरकार का कुप्रबंधन ही नहीं है, बल्कि गरीब विरोधी मानिसकता भी है।
येचुरी ने आरोप लगाते हुए ट्वीट किए हैं, ‘‘मोदी सरकार सिर्फ अमीरों के लिए काम करती है। वह गरीबों का मजाक बनाती है और नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित रखती है।’’ उन्होंने तंज कसते हुए आगे कहा, ‘‘कई दशकों से भारतीय रेल सही से चल रही थी। यह मोदी सरकार के अच्छे दिन का ‘जादू’ है कि रेलगाड़ियां भी रास्ता भटक रही हैं।’’
वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने ट्रेन सेवाओं में देरी और भोजन और पानी की कमी के कारण लोगों को हो रही परेशानी को लेकर केंद्रीय गृह सचिव, रेलवे और गुजरात और बिहार की सरकारों को नोटिस भेजा है। एनएचआरसी ने एक बयान में कहा,‘‘राज्य ट्रेनों में सवार गरीब मजदूरों के जीवन की रक्षा करने में विफल रहा है।’’
एनएचआरसी ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर यह संज्ञान लिया है कि जो रेलगाड़ियां प्रवासी मजदूरों को ले जा रही हैं, वे न केवल देरी से शुरू हो रही हैं, बल्कि गंतव्य तक पहुँचने के लिए कई अतिरिक्त दिन ले रही हैं। बयान में कहा गया है, ‘‘एक रिपोर्ट में, यह आरोप लगाया गया है कि कई प्रवासी मजदूरों ने ट्रेन से यात्रा के दौरान अपनी जान गंवा दी। पीने के पानी और भोजन आदि की कोई व्यवस्था नहीं है। और अब तक 9 लोगों की मौत हो गई है।
आयोग ने आगे कहा, ‘‘एक अन्य घटना में, एक ट्रेन कथित तौर पर गुजरात के सूरत जिले से 16 मई को बिहार के सिवान के लिए रवाना हुई और नौ दिनों के बाद 25 मई को बिहार पहुंची। मीडिया की खबरें अगर सही है, तो यह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। इससे पीड़ित परिवारों को अपूरणीय क्षति हुई है।” इसलिए आयोग ने नोटिस भेजकर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

