नई दिल्ली। राफेल डील को लेकर केंद्र सरकार खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निरंतर हमलावर रहे विपक्ष को जोर का झटका धीरे से लगा है। विपक्ष विशेष तौर पर कांग्रेस इस डील में करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मुखर है। पार्टी की रणनीति आगामी लोकसभा चुनाव के लिए इसे बड़ा मुद्दा बनाने की रही है। ऐसे समय में डसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर का जो बयान आया है, वह जहां एक ओर केंद्र सरकार को सुकून पहुंचाने वाला है वहीं दूसरी तरफ विपक्षी हमलों की धार को भी कुंद करने वाला है। राजनीतिक मोर्चे पर भाजपा के लिए अब विपक्ष के हमलों का जवाब देना स्वाभाविक रूप से आसान हो जाएगा।
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल डील के मुद्दे पर सरकार को निरंतर कोसते आ रहे हैं। वे यहां तक आरोप लगा चुके हैं कि देश का चौकीदार ही चोर है। उद्योगपति अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने में नरेंद्र मोदी सीधे तौर पर जुड़े हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने राहुल के इन तेवरों को देखते हुए यहां तक कहा कि राफेल का मुद्दा यदि वे इसी ढंग से उठाते रहे, सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे तो निश्चित ही भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में नुकसान झेलना पड़ सकता है।
दरअसल विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि राफेल डील में सरकार ने अंबानी पर मेहरबानी की है, लेकिन डसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर का कहना है कि हमने खुद अनिल अंबानी का चयन किया था। उन्होंने कहा कि वे जानते हैं कि इस मुद्दे पर कुछ विवाद हैं। लेकिन सच ये भी है चुनावों के मौके पर घरेलू राजनीति की वजह से इस तरह के मामले सामने आते हैं। उनके लिए सबसे जरूरी बात है कि सच क्या है और सच यही है कि यह क्लीन डील है और भारतीय वायुसेना भी इस डील से खुश है। एरिक ट्रैपियर ने यह भी कहा कि वे झूठ नहीं बोलते हैं। इस संबंध में वे सच्चाई सबके सामने रख चुके हैं। उन्होंने जो कुछ भी कहा है वह पूरी तरह तथ्यों के आधार पर सच्चाई के करीब है।

