शीर्ष केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई यूं तो लंबे अर्से से विवादों के केंद्र रहती आई है, एजेंसी में काम कर रहे अफसरों का मानना है कि 2011 के बाद से हालात ज्यादा बिगड़े हैं। एजेंसी का नया और हाईटेक ऑफिस 2011 में बनकर तैयार हुआ था। इस इमारत में शिफ्ट होने के बाद से ही सीबीआई लगातार गलत कारणों के चलते सुर्खियों में बनी रही है। एजेंसी के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की लड़ाई तो सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंची थी। आलोक वर्मा को हटाए जाने वाली रात दिल्ली पुलिस सीबीआई मुख्यालय में घुस गई थी। इसकी घटनाक्रम से जुड़े एक सीबीआई अफसर ने राकेश अस्थाना पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाल दी थी। बमुश्किल केंद्र सरकार इस फजीहत से पीछा छुड़ा पाई कि अब एक बार फिर से सीबीआई के भीतर कुछ बड़ी गड़बड़ी के समाचार सामने आ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि आईपीएस बनाम सीबीआई कैडर के बीच चल रहे शीत युद्ध के चलते पिछले दिनों बड़ी तादात में ट्रांसफर कर दिए गए अफसरों ने नई तैनाती पर जाने से साफ इंकार कर दिया है। खबर है कि ऐसे अधिकारियों को अब अनुशासनात्मक कार्यवाही का भय दिखाया जा रहा है। खबर यह भी है कि जल्द ही कुछ नया धमाका ऐसे असंतुष्ट अफसर अपनी एजेंसी की बाबत कर सकते हैं। सीबीआई में  लंबे समय से जुड़े लोग नए मुख्यालय के वास्तुदोष को इस सबके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

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