‘नेकी की राह पे तू चल रब्बा रहेगा तेरे संग’ इस गाने को सच साबित कर रही है शाहीन बाग का विरोध प्रदर्शन। जिस तरह से वहां मुस्लिम समुदाय के अलावा बाकी सभी धर्मों के लोग जुड़े और जुड़ रहे हैं चाहे वो सिख हो, हिन्दू हो, या फिर क्रिश्चियन इससे साफ हो गया है कि हिंदी हैं हम, ये हिंदुस्तां है हमारा। इस बात को साबित करती है शाहीनबाग में हुए गुरुवार को ‘जश्न-ए-एकता’ का कार्यक्रम। जहां सभी धर्मों के गुरुओं ने मंच पर एक साथ प्रार्थना कर अमन-चैन की दुआएं मांगीं। साथ ही सभी ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर लिखे पर्चों की आहुति दी। कार्यक्रम के दौरान लोगों ने भाईचारा बनाए रखने की शपथ भी ली।
शाहीन बाग में 54 दिन से सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन में कल गुरुवार को ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’ के तरानों से गूंज रहा था। ‘जश्न-ए-एकता’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य वर्तमान समय में देश में फैले डर और हिंसा के माहौल को खत्म कर एकजुटता का संदेश देना था। प्रदर्शन में इकट्ठा हुए लोगों ने कहा कि देश को बांटने की कोशिश करने वालों के खिलाफ हम सभी एक साथ खड़े हैं।
वहीं मुस्लिम धर्म के सुल्तान शेख इस कार्यक्रम में सरदार की पोशाक में नजर आए। इस बाबत पूछे जाने पर सुल्तान शेख ने कहा, “प्रधानमंत्री कपड़ों से पहचानने की बात करते हैं, तो मैं उनको ये बताना चाहता हूं कि मुझे पहचाने कि मैं किस धर्म से हूं। हमारे देश को बांटने की कोशिश न करें, हम सब एक हैं और एक साथ रहेंगे।” उन्होंने ये भी कहा,”हमारी लड़ाई किसी मजहब से नहीं है। हमारी लड़ाई अधिकारों के लिए है। राजनीतिक पार्टियों ने हमारे प्रदर्शन को धर्म के नाम पर तोड़ने की साजिश की। हम यह दिखाना चाहते है कि जब तक यहां सभी धर्म के लोग साथ हैं, तब तक हमारे देश की ताकत बनी रहेगी। हम साथ रहेंगे।”

कार्यक्रम में उपस्थित पूजा ने कहा, “जिस तरह शाहीन बाग और जामिया में गोली चली। इसके बाद बुधवार को एक महिला बुर्का पहनकर वहां स्टिंग करने आई, उससे लगता है कि कुछ लोग शांतिपूर्वक प्रदर्शन को सांप्रदायिक रंग देकर बलवा करवाना चाहते हैं। ‘जश्न-ए-एकता’ कार्यक्रम ऐसी ताकतों को जवाब देने के लिए ही आयोजित किया गया। सदियों से हम सब साथ-साथ रहते आए हैं। केंद्र सरकार को इस सीएए पर दोबारा विचार करना चाहिए।”
दूसरे प्रदर्शनकारियों का कहना है कि चुनाव के दौरान सियासी पार्टियां चंद वोटों के लिए भाईचारे को दांव पर लगा रही है। उसी भाईचारे और सौहार्द को कायम रखने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मोहम्मद आसिफ ने बताया, “बृहस्पतिवार दोपहर को शाहीन बाग का माहौल कुछ और ही था। जश्न-ए-एकता’ कार्यक्रम के आह्वान पर सभी धर्मगुरु कार्यक्रम में पहुंच गए। सभी ने अपनी-अपनी धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से पूजा अर्चना की। सबसे पहले सिख समुदाय के लोगों ने मंच पर गुरुबाणी का पाठ किया। इसके बाद फादर एलेक्जेंडर फ्लीमिंग ने यीशु का संदेश पढ़कर लोगों को सुनाया। कई पुजारियों ने एक साथ मंत्रोच्चारण किया। शाम के समय प्रदर्शन स्थल पर ही नमाज पढ़ने के अलावा कुरान के पाठ का आयोजन किया गया। पंजाब से आए कई सिख लोगों ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को पगड़ी पहनाकर उनका सम्मान किया। इसी दौरान कुछ पुजारियों ने मुस्लिम महिलाओं को कलावा पहनाया।”
What are you waiting for?
Join the festival of unity – Jashn e Ekta at #ShaheenBagh today. And everyday. #YehHaiIndia pic.twitter.com/vhXXmghfMP— Karwan e Mohabbat (Caravan of Love) (@karwanemohabbat) February 6, 2020
साथ ही हिंदू धर्म के संत युवराज ने कहा, “देश की एकता और अखंडता के लिए हम लोग ये कर रहे हैं, सभी धर्मो की यहां एकता है। शाहीनबाग को कोई ये न समझे कि यहां सिर्फ मुस्लिम लोगों का धरना है। यहां सिख समुदाय गुरुबाणी कर रहे हैं, ईसाई लोग भी बाइबिल का पाठ कर रहे हैं, मुस्लिम समुदाय कुरान की आयत पढ़ रहे हैं, मैं हिंदुओं का संत होकर हवन कर रहा हूं। इस हवन का आयोजन भी सभी धर्मो के लोगों ने मिलकर किया है।” ईसाई धर्म के अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने कहा, “इस आयोजन का किसी भी राजनीतिक पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है और सरकार द्वारा लाया गया नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) मुस्लिम समाज के लोगों के खिलाफ है।”
गुरुबानी को ध्यान से सुन रहे देविंदर पाल सिंह ने कहा कि ‘अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बंदे, एक नूर ते सब जग उपज्या, कौन भले को मंदे…’। कुदरत के लिए सभी एक होता है। हमारे गुरुओं ने हमेशा उन लोगों का साथ दिया है, जोकि सत्ता या सरकार द्वारा दबाए जाते हैं। इसी तरह हम इनका साथ देने आए हैं। सरकार को यह संदेश देना चाहते है कि आज सभी धर्म के लोग एक टेंट के नीचे बैठकर पूजा-पाठ, कीर्तन, बाइबल और कुरान पढ़ रहे है। यही भारत की पहचान है और इसी के वजह से वो पूरे विश्व में जाना जाता है।
To celebrate unity in diversity for Jashn-e-Ekta, Our Sikh brothers and sisters from Punjab perform their evening prayers as the sun sets in #ShaheenBagh#ShaheenBaghProtest #ShaheenBaghUnited#golinahiphool #JashneEkta_at_Shaheenbagh pic.twitter.com/VCnzyCkK51
— Shaheen Bagh Official (@Shaheenbaghoff1) February 6, 2020
इन सब के बीच एक और पहल देखने को मिला है शाहीन बाग बस स्टैंड लाइब्ररी के नजदीक में ही ‘बाग-ए-शाहीन’ स्कूल खोला गया है। वहां बच्चों को ह से हाथी की जगह ह से हिंदुस्तान पढ़ाया जा रहा है। रजिया कहती हैं,”चार लोगों की टीम है। सुबह 11 बजे से स्कूल शुरू होता है और रात भर खुला रहता है। यहां पर हर उम्र के बच्चे से लेकर बुजुर्ग और औरतों की पढ़ाई की सुविधा है। खासकर उन बच्चों के लिए जिनके स्कूल के परीक्षा शुरू होने वाली है।”
ये नजारा शायद ही कहीं देखने को मिला होगा। एक बार फिर ऐसा लग रहा है कि 1947 से पहले की आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही है। एक ही जगह हर धर्म के लोग, सिर्फ दिल्ली के निवासी ही नहीं बाकी राज्यों से आए स्त्री-पुरुष, बच्चें, युवाओं का जोश, महिलाओं का जुनून, बच्चों की आवाज, बूढ़ों की समझ एकजुट होकर ताकत बन गई है। 1947 में अंग्रेजों को बिना हिंसा के खदेड़ा गया था। देखना है कि इस प्रदर्शन से कब तक राजनीतिज्ञ पार्टियां अपनी रोटी सेंकती हैं। ऐसे तो शाहीनबाग से उठी चिंगारी अब ज्वालामुखी बन चुकी है इसको ये सरकार कैसे बूझाती है।

