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परिवार नियोजन से परिवार आयोजन तक चीन

चीन द्वारा घोषित जनसंख्या अनुमानों के अनुसार उसकी आबादी में पिछले वर्ष 8.5 लाख की गिरावट दर्ज की गई और इसका कारण वर्ष 1980 से 2015 तक सख्त तौर से एक बच्चे की नीति को बताया गया। इस समस्या को देखते हुए अब चीन में रक्त दान की तरह ही शुक्राणु दान को लेकर प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है, जो कि महज छात्रों के लिए है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया जब चीन दशकों में पहली बार जन्मदर बढ़ाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले स्पर्म दानियों को खोजने के लिए संघर्ष कर रहा है

एक वक्त था जब चीन विश्वभर में जनसंख्या के मामले में पहले नंबर पर था। लेकिन अब चीन की जन्मदर लगातार गिरती जा रही है। जिसने चीनी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जन्म दर को बढ़ावा देने के लिए अब सरकार द्वारा तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में सरकार ने नवविवाहित जोड़ों को 30 दिन की पेड मैरिज लीव देने का एलान किया था। इससे पहले शादी के लिए सिर्फ तीन दिनों की पेड लीव मिलती थी। लेकिन इस योजना में बड़ा परिवर्तन लाकर इसे तीस दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है। यह परिवर्तन ऐसे वक्त में किया गया जब चीन में जन्म दर तेजी से गिर रही है। चीन द्वारा घोषित जनसंख्या अनुमानों के अनुसार, उसकी आबादी में पिछले वर्ष 8 .5 लाख की गिरावट दर्ज की गई और इसका कारण वर्ष 1980 से 2015 तक सख्त तौर से एक बच्चे की नीति को बताया गया।

इस समस्या को देखते हुए अब चीन में रक्त दान की तरह ही शुक्राणु दान को लेकर प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है, जो कि महज छात्रों के लिए है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया जब चीन दशकों में पहली बार जन्मदर बढ़ाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले स्पर्म दानियों को खोजने के लिए संघर्ष कर रहा है। कई देशों की तरह चीन भी स्पर्म बैंक चला रहा है। चीन के झेंग्झौ यूनिवर्सिटी से संबंधित एक अस्पताल में हेनान शुक्राणु बैंक संचालित होता है। पर्यावरण प्रदूषण और काम के दबाव के कारण चीनी युवाओं के शुक्राणुओं की गुणवत्ता खराब हो रही है। जिससे कई युवा जोड़े चाह कर भी बच्चे पैदा नहीं कर पा रहे हैं। जो परिवार और समाज में कलह पैदा करने की वजह बन रहा है। मध्य चीन में हेनान शुक्राणु बैंक ने अलग-अलग विश्वविद्यालयों के छात्रों से शुक्राणु दान करने की अपील की है। छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए कहा गया है कि जैसे रक्तदान महादान है, उसी तरह शुक्राणु दान भी मानवता का काम है। ज्यादा से ज्यादा नौजवान इसमें हिस्सा लें उसके लिए अवॉर्ड भी हैं। प्रतियोगिता के पीछे का उद्देश्य बताते हुए हेनान स्पर्म बैंक ने कहा है कि कई विवाहित जोड़े बांझपन का शिकार हो गए हैं।

चीन का मानना है कि (स्पर्म) शुक्राणु दान एक मानवीय गतिविधि के अंदर आता है। जो कि निसंतान दंपतियों के लिए अच्छी खबर ला सकता है। इसलिए विश्वविद्यालय के छात्रों से समाज में योगदान देने के लिए शुक्राणु दान करने की अपील की जा रही है। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य दो विजेताओं को खोजा जाना है। पहला सबसे अधिक शुक्राणु संख्या वाले पुरुष और सबसे उच्चतम गुणवत्ता वाले शुक्राणु युक्त पुरुष। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले छात्रों की उम्र बीस से पैंतालीस के बीच तय की गई है। वहीं हाइट पांच फुट चार इंच तक होनी चाहिए। इसके अलावा भी कई अन्य शर्ते हैं जैसे धूम्रपान करने वाले, नशीली दवाओं का सेवन करने वाले शुक्राणु नहीं दे सकते हैं। समलैंगिक लोग भी इस प्रतियोगिता से बाहर हैं। एक छात्र 50 दिनों में ज्यादा से ज्यादा 20 बार शुक्राणु दान कर सकता है।

शुक्राणु दान पर इनाम

शुक्राणु दान प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को प्रोत्साहन के रूप में इनाम भी दिया जा रहा है। छात्रों को शुक्राणु दान करने के बदले 6100 युआन, यानी 69 हजार रुपए तक दिए जा रहे हैं। जो छात्र बीस बार शुक्राणु दान करेंगे उन्हें 2100 युआन यानी 23,800 रुपए बोनस दिया जा रहा है। प्रतिभागियों के अन्य खर्चों का भी भुगतान किया जा रहा है। साउथ चीन मॉर्निंग पोस्ट अनुसार शुक्राणु को लिक्विड नाइट्रोजन टैंक में रखा जाता है। शुक्राणु के कंसंट्रेशन, वॉल्यूम, स्ट्रक्चर और मूवमेंट के आधार पर यह तय होता है कि कौन सा शुक्राणु कितना बेहतर है। आम लोगों की तुलना में यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के शुक्राणु की गुणवत्ता बेहतर होती है। इसलिए यह प्रतियोगिता केवल छात्रों के लिए ही रखी गई है।

शुक्राणु प्रतियोगिता कराने के पीछे की वजह

शुक्राणु बैंक को संचालित करने वाले चीन के सिटिक- शियांग्या अस्पताल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 2015 में शुक्राणु दान कराना चाह रहे लोगों में सिर्फ 17 .7 लोग ही योग्य पाए गए थे। यही हाल उसके बाद के वर्षों का भी है। यही वजह है कि इन आंकड़ों ने चीन में ये बहस छेड़ दी है कि क्या चीनी पुरुषों में बच्चे पैदा करने की क्षमता कम हो रही है?
पिछले साल ही चीन की आबादी की 60 साल में पहली बार निगेटिव ग्रोथ दर्ज की गई है। चीन में साल 2022 में 95 लाख बच्चे पैदा हुए, जबकि 2021 में वहां 1 करोड़ 62 लाख बच्चे पैदा हुए थे। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग अनुसार वर्ष 2035 तक उनके देश में 60 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 28 करोड़ से बढ़कर 40 करोड़ हो जाएगी। ऐसे में चीन की बूढ़ी आबादी भी प्रजनन दर घटने की एक वजह है। जिसकी कमी को पूरा करने के लिए चीन में शुक्राणु जमा किया जा रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार शुक्राणु इकट्ठा करना चीन के लिए जरूरी है। क्योंकि इससे चीन में बढ़ती अनुवांशिकी बीमारी पर रोक लगाई जा सकेगी। शुक्राणु दान नीति से करीबी रिश्तेदारों में संबंध बनाए जाने की संभावना कम होती है। जिससे आने वाली पीढ़ी में आनुवंशिक बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक चीन में 1 करोड़ 10 लाख से ज्यादा लोग आनुवांशिक बीमारियों से पीड़ित हैं और यह आकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस तरह की प्रतियोगिता रखने के पीछे एक कारण यह भी है कि चीन के शुक्राणु बैंकों में शुक्राणुओं की कमी हो गई है। साथ ही देश में शुक्राणु की मांग लगातार बढ़ रही है।

जन्म दर बढ़ाने के लिए चलाई जा रही नीतियां
आशंका जताई जा रही है कि यदि ऐसे ही जन्म दर घटती रही तो चीन को अधिक जनसंख्या का लाभ मिलना बंद हो जाएगा और धनी होने से पहले ही यह देश बूढ़ों का देश बन जाएगा। इससे काम करने वाले लोगों की संख्या घटेगी और खर्च बढ़ेगा क्योंकि प्रशासन को बुजुर्गों की देखभाल पर ज्यादा धन खर्च करना होगा। जानकारों का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए 1980 से 2015 तक लागू रही ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ उसके लिए भस्मासुर जैसी साबित हुई है। अब इस संकट से निदान पाने के लिए जिनपिंग सरकार ने कई अनोखे कदम उठाए हैं। इनमें ‘फॉल इन लव वेकेशन’, ‘पेड प्रेगनेंसी लीव’, ‘एक्सपेंसिव मैरिज बैन’, ‘फ्री आईवीएफ फ्री’, ‘अनमैरिड चाइल्ड सब्सिडी’ शामिल हैं । इसी कड़ी में चीन ने बिना शादी के भी बच्चे पैदा करने की मंजूरी दे दी है।

पाइलट परियोजना
चीन में जन्म दर कम होने की एक मुख्य वजह शादी की कमी भी है। बीते दस सालों से यह गिरावट जारी है। लेकिन साल 2022 में अबतक की सबसे कम शादियां हुई हैं। पिछले साल चीन में सिर्फ 6 .83 करोड़ कपल ने अपनी शादियां रजिस्टर करवाई थी। साल 2021 के मुकाबले 2022 में शादियों में लगभग आठ लाख तक की गिरावट पाई गई। इस गिरावट के पीछे की वजह चीन में कोविड 19 महामारी भी है। इस दौरान चीन सरकार द्वारा लोगों पर उनकी सुरक्षा की दृष्टि से कई तरह के सख्त प्रतिबंध लगाए गए थे। जिसके तहत करोड़ो की संख्या में लोग घरों में कैद रहे थे। जिसका असर शादियों पर पड़ा। घटती जनसंख्या से परेशान चीन सरकार लोगों को ज्यादा शादी करने और ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए कह रही है। इसी के अंतर्गत पिछले महीने ही चीन ने देश के 20 से ज्यादा शहरों में एक पाइलट परियोजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य शादी और बच्चे पैदा करने का ‘नया युग’ शुरू करना है।

मैटरनिटी लीव
चीन में पहले अगर किसी मां को बच्चा पैदा करने के बाद सरकारी सुविधाएं लेनी होती थीं तो उसे बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र पंजीकरण कराना होता था। यह केवल शादीशुदा महिलाएं कर सकती थीं। लेकिन अब नियमों में बदलाव के बाद सरकारी सुविधाओं का लाभ बिन ब्याही मां भी ले सकती हैं। उनको मेडिकल खर्च से लेकर मैटरनिटी लीव तक दी जा रही हैं।

आईवीएफ सुविधा
पिछले 60 सालों में पहली बार जनसंख्या गिरावट के कारण चीनी सरकार इन विट्रो फर्टिलिटी (आईवीएफ) से जुड़ी सेवाओं को सरल बनाने की कोशिश कर रही है। इससे प्रजनन दर को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसे एक बिजनेस के रूप में भी देखा जा रहा है, क्योंकि ये पहले से ही दुनिया का सबसे बड़ा बाजार रहा है। इनवो बायोसाइंस में एशिया पैसिफिक के बिजनेस डेवलपमेंट के निदेशक यवे लिप्पेंस के अनुसार अगर चीन सिंगल महिलाओं को बच्चे पैदा करने की अनुमति देने के लिए अपनी नीति में बदलाव करता है तो इसके परिणामस्वरूप आईवीएफ की मांग में बढ़ोतरी हो सकती है। आईवीएफ एक उपचार तकनीक है, जिसमें महिला के गर्भधारण करने वाले अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज करके भ्रूण का निर्माण किया जाता है।

लिव इन में कर सकते हैं बच्चे पैदा

चीन में रूढ़िवादी समाज है और यहां सख्त नियमों का पालन कराया जाता है। लेकिन इन दिनों चीन की सरकार जनसंख्या बढ़ाने के लिए ऐसे कई उपाय अपना रही है। इन नियमों के अनुसार अब लिव इन में रह रहे जोड़े भी मां-बाप बन सकते हैं।

फॉल इन लव वकेशंस

एक रिपोर्ट के मुताबिक फैन मेई एजुकेशन ग्रुप से नौ कॉलेज जुड़े हुए हैं। इनमें से एक कॉलेज मियायांग फ्लाइंग वोकेशनल कॉलेज द्वारा 1 अप्रैल से 7 अप्रैल तक युवा जोड़ों को छुट्टी दी गई थी ताकि वो बिना किसी टेंशन के रोमांस कर पाएं। मियायांग फ्लाइंग वोकेशनल कॉलेज के डिप्टी डीन लियांग गुओ हुई ने इस तरह के अनोखे प्रयोग पर अपना अनुभव दर्ज कर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके कॉलेज के छात्र सरकार के द्वारा दी जा रही एक हफ्ते की छुट्टी के जरिए अपने पार्टनर्स को अधिक समय दे सकेंगे।

तीन बच्चे पैदा करें कपल

चीनी सरकार ने 2021 में नियमों में बदलाव कर बच्चा पैदा करने की सीमा तीन कर दी थी। मगर चीन के लोग बच्चे पैदा करने में हिचक रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं कह सकते कि समय की कमी और लोगों की व्यस्त जिंदगी के कारण वह ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि 2021-2022 तक कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में लोग घरों में ही थे, लेकिन इसके बाद भी कपल बच्चा पैदा नहीं कर रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार द्वारा किए जा रहे ये प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। उच्च शिक्षा का महंगा होना, नौकरियों में कम आय और काम के ज्यादा घंटों के साथ ही कोविड की पाबंदियां और कुल मिला कर अर्थव्यवस्था की स्थिति लोगों को बच्चे पैदा करने से दूर कर रही है। गौरतलब है कि 1970 के दशक के अंत तक चीन की जनसंख्या तेजी से एक अरब के आंकड़े के करीब पहुंच रही थी।

जिसे रोकने के लिए चीन सरकार ने पहले जन्म नियंत्रण और परिवार नियोजन जैसे प्रयास शुरू किए थे। 1978 के अंत में एक स्वैच्छिक कार्यक्रम की घोषणा की गई, जिसमें परिवारों को दो से अधिक बच्चे न पैदा करने के लिए कहा गया। इसके बाद 1979 में प्रति परिवार एक बच्चे की सीमा तय करने की मांग बढ़ी। इसके बाद 25 सितंबर, 1980 को वन चाइल्ड पॉलिसी का पालन करने की घोषणा की गई थी। परिणाम स्वरूप प्रजनन दर में कमी आने लगी, जनसंख्या घटने लगी लेकिन बूढ़ों की जनसंख्या बढ़ने लगी। जिससे अर्थव्यवस्था के नाम पर दुनिया में दबदबा बना रहा चीन गर्त में जाने लगा है। जिससे निकलने के लिए चीन वन चाइल्ड पॉलिसी को खत्म करने की ओर कदम बढाने लगा।
साल 2016 के बाद सरकार ने दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दी। 2020 की जनगणना के आंकड़ों में कम जन्म दर, बढ़ती आबादी और घटती कार्यबल चलते उभरते जनसांख्यिकीय और आर्थिक संकट को उजागर करते हुए, 2021 में चीन सरकार ने तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति दी। उसके बावजूद जन्मदर में वृद्धि नहीं हुई।

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