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भारत से टकराव के बहाने पूरी दुनिया को धमकाना चाहता है चीन

भारत से टकराव के बहाने पूरी दुनिया को धमकाना चाहता है चीन

सन् 1962 से लेकर आज तक चीन भारत के खिलाफ हमेशा टेढ़ी चाल चलता आ रहा है। एक नहीं, बल्कि सैकड़ों बार उसके सैनिकों ने सीमाओं का उल्लंघन किया। लेह-लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों और हिमाचल व उत्तराखंड तक भारत का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जहां से चीनी सैनिकों ने सीमाओं का उल्लंघन न किया हो। भारत को धमकाने की उसकी कोशिश निरंतर जारी रही है, लेकिन इस बार तो उसने गलवान घाटी में युद्ध जैसे हालात ही पैदा कर डाले हैं। हालांकि रक्षा विशेषझों का मानना है कि चीन के आंतरिक हालात आज ऐसे नहीं हैं कि वह भारत से युद्ध करे, बल्कि वहां की सत्ता अपने देश की समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए भारतीय सीमा पर तनाव का माहौल पैदा करना चाहती है।

रक्षा विशेषज्ञों का ठीक ही मानना है, लेकिन इसके साथ ही देखने वाली बात यह भी है कि सीमा पर तनावपूर्ण माहौल पैदा कर चीन न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के अन्य मुल्कों को धमकाने की रणनीति में भी दिखाई देता है। दुनिया के देशों पर दबाव की उसकी रणनीति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक ऐसे समय में जबकि चीन कोरोना महामारी से जूझ रहा है, उसकी अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है, विदेशी कंपनियां वहां से अपना तामझाम समेटने लगी हैं, देश में बेरोजगारी बढ़ रही है और निर्यात घट रहा है, चीन ने पिछले दिनों वर्ष 2020 के लिए अपने रक्षा बजट में 6.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा कर दुनिया को सीधा संदेश दिया कि कोरोना के बावजूद वह कमजोर नहीं पड़ा है। जरूरत पड़ी तो वह किसी भी देश को अपनी ताकत का अहसास करा सकता है। जो उसका विरोध करेगा, उसकी बात नहीं मानेगा या उसकी विस्तारवादी नीति के रास्ते में आड़े आयेगा तो उसे मुंह की खानी पड़ेगी। हालांकि, रक्षा बजट में बढ़ोतरी को लेकर चीन ने यह दलील दी कि वह बजट का ज्यादातर पैसा सैनिकों की स्थिति सुधारने में खर्च करेगा, लेकिन उसकी नीयत पर संदेह की वजह वह विस्तारवादी नीति रही जिसका दुनिया के कई देश विरोध करते रहे हैं।

जानकार तो यहां तक मानते हैं कि चीन का वास्तविक रक्षा बजट उसके घोषित रक्षा बजट से काफी ज्यादा है। वह 2020 के रक्षा बजट का पैसा अपनी नौसेना के प्रसार में खर्च करेगा। इसके अलावा वह अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट और घातक हथियार खरीदने में अपना बजट खर्च करेगा ताकि दक्षिण चीन सागर में उसकी पकड़ मजबूत हो सके और पश्चिम प्रशांत महासागर तथा हिंद महासागर में भी पहुंच बढ़ाई जा सके। अभी चीन की दिक्कत यह है कि कोरोना के चलते दुनिया के तमाम देश उसे कठघरे में खड़ा करते आ रहे हैं।

अमेरिका सहित तमाम अन्य देश कोरोना को लेकर उसके खिलाफ नाराजगी जता चुके हैं। जापान, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया और ताइवान जैसे देश उसकी विस्तारवादी नीति का लगातार विरोध कर रहे हैं। हॉन्ग-कॉन्ग में लंबे समय से चीनी रवैये एवं मनमानी के खिलाफ आंदोलन चल रहा है। भारत के साथ उसका सीमा पर टकराव जगजाहिर है। अपने देश के विपरीत हालात से जूझने में उसके पसीने छूट रहे हैं। ऐसे में लगता है कि हर तरह से असफल और हर तरफ से अलग-थलग पड़ चुका चीन भारतीय सीमा पर तनावपूर्ण माहौल बनाकर जहां अपने देश की जनता का मनोबल ऊंचा उठाने की कोशिश में है, वहीं दूसरी तरफ दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कराने की रणनीति में भी है।

                                                                                                                                                                                                                                                                                                     -दाताराम चमोली

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