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प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय  ने मांगी रिपोर्ट

राजधानी दिल्ली में और उसके आसपास के राज्यों में दिवाली आने से पहले और उसके बाद प्रदूषण स्तर बढ़ जाता  है। इसी संदर्भ में सर्वोच्च न्यायलय ने हाल ही में वायु प्रदूषण आयोग से पूछा है कि बढ़ते प्रदूषण कीसमस्या को नियंत्रित करने के लिए कौन कौन से कदम उठाए गए हैं।
दिल्ली और उसके आसपास वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों को लेकर 10 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायलय ने वायु प्रदूषण प्रबंधन आयोग “सीएक्यूएम” से रिपोर्ट मांगी है ।

 

सर्वोच्च न्यायालय के जज संजय किशन कौल और जज सुधांशु धूलिया की पीठ ने सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण की समस्या और पराली जलाने के बारे में वकील अपराजिता सिंह की दलीलों को सुना। एमिकस क्यूरी के रूप में वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह सुप्रीम कोर्ट की सहायता कर रही हैं।

 

प्रदूषण

 

एमिकस क्यूरी ने सर्दियां आने के साथ-साथ पराली जलाने और वायु प्रदूषण की “गंभीर समस्या” को चिह्नित किया है। अपराजिता सिंह की दलीलों अनुसार सर्दी  की शुरुआत  और दिवाली आने के साथ वायु  प्रदूषण की समस्या बढ़ने वाली है।  इसके बाद ही सर्वोच्च न्यायलय ने  सीएक्यूएम से  प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए गए है उसकी रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

 

प्रदुषण को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदम

 

प्रदूषण नियंत्रण हेतु दिल्ली सरकार ने विंटर प्लान के तहत सात अक्टूबर से सात नवम्बर तक एंटी डस्ट की शुरुआत की है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के अनुसार इस कैंपेन के तहत पूरी दिल्ली में निगरानी के लिए 13 विभागों की 591 टीमें तैनात की गई है। दिल्ली में धूल प्रदूषण को रोकने के लिए 82 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनों, 530 वॉटर स्प्रिंकलर और 258 एंटी-स्मॉग गन तैनात की जा रही हैं।

 

सरकार के निर्देश अनुसार एंटी स्मॉग गन सभी निर्माण साइटों के आसपास सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक तैनात की जाएंगी। एंटी स्मॉग गन को सीएनजी से चलने वाले बीएस-6 इंजन के ट्रक पर लगाया जाएगा और पानी के टैंकर की क्षमता 7000 लीटर से कम नहीं होनी चाहिए। वाहन के आगे और पीछे कैमरे व जीपीएस सिस्टम होना चाहिए। यह 50 मीटर की ऊंचाई तक पानी का छिड़काव करने में सक्षम होगा।

 

पराली  समस्या से परेशान दिल्ली वासी

 

प्रदूषण

 

फसल कट जाने के बाद दिल्ली ,हरियाणा समेत अन्य राज्यों में पराली जलाना आम बता है। लेकिन इससे वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। खेतों को साफ करने और अगली फसल के लिए तैयार करने के लिए किसान ज्यादातर यही तरीका अपनाते हैं।  गर्मियों में बोई फसलों को काटने का समय अक्टूबर में होता है।  इसके बाद किसान खेत साफ करते हैं, ताकि अगले कुछ हफ्तों में सर्दियों की फसल बोई जा सके।

 

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पराली जलाने की समस्या से अतिरिक्त निर्माण कार्य हवा की गुणवत्ता खराब करने की वजह बनती हैं।  धुएं और धूल से मिल कर ठंडी हवा भारी हो जाती है इससे आसमान पर स्मॉग छा जाता है।  निर्माण के कारण उड़ने वाली धूल, गाड़ियों से निकला धुआं और खेतों में पराली जलने से उठा धुआं इस स्मॉग का निर्माण करते हैं।

 

वायु प्रदूषण से होती मौतें

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन साल 2021 की एक रिपोर्ट अनुसार बढ़ते वायु प्रदूषण लोगों की मौत को वजह बन रहा है। “डब्लूएचओ” अनुसार वायु प्रदूषण से दुनिया भर में हर मिनट 13 लोगों की मौत हो रही है।

हवा की गुणवत्ता को 0 से 500 के स्केल पर नापा जाता है।  0 से 50 के बीच हवा की गुणवत्ता को अच्छा माना जाता है, जबकि 300 से ऊपर यह बेहद खतरनाक होती है। दिल्ली में हर साल एक्यूआई 300 से ऊपर दर्ज किया जाता है जिस कारण वहां रहने वाले लोगों में तरह तरह की बीमारियां पनप रही हैं।

 

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