देश का दिल दिल्ली में आगामी 12 मई को चुनाव होना हैं । आज शाम को चुनाव प्रचार बंद हो गया है । यहां की सात सीटो पर इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प हो रहा है । काफी अंतराल के बाद देश की राजधानी में राजनीतिक माहौल बदला बदला सा नजर आ रहा है । यह पहली बार है जब यहां मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है । भाजपा और काँग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी ने मुकाबला तिर्कोणीय बना दिया है । फिलहाल आम आदमी पार्टी ने इस मुकाबले को बेहद चर्चित बना दिया है । अभी भी दिल्ली के गलियारों से केजरीवाल के थप्पड कांड की गूज दिखाई दे रही है । दिल्ली की सत्ता पर काबिज केजरीवाल महज छह साल में ही राजनीति की मुख्यधारा में सितारा बन कर उभरे है । दिल्ली के सियासी हालात को देखें तो पिछले करीब छह सालों में पूरी तरह बदल चुकी है । इससे पहले विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही टक्कर रहती थी ।
लेकिन 2013 में दिल्ली की सियासत में आम आदमी पार्टी (आप) की एंट्री होने के साथ राजनीति का नया अध्याय शुरु हुआ । हालात यह है कि आप ने यहां के सियासी समीकरण पूरी तरह बदल दिए।
सभी जानते है कि राजनीति में आने के साथ ही पहले चुनाव में आप ने में दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाया था । उसके अगले साल यानि 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस और आप का सूपड़ा साफ कर दिया था । मोदी लहर में बीजेपी ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की थी । लेकिन इसके अगले साल 2015 मे हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की । दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 67 पर आप ने बाजी मारी ।
याद रहे कि इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खाता खोलने में भी नाकामयाब रही थी । वहीं भाजपा मात्र दो सीटों पर सिमट गई । प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की केंद्र में सरकार बनने के बाद भाजपा की यह पहली बड़ी हार थी । आप ने ही प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा के विजय रथ को पहली बार रोका। इसके बाद एमसीडी के चुनाव में बीजेपी ने भले ही कब्जा जमाया लेकिन आप और कांग्रेस दोनों दलों ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया । अब देखना यह है कि किसका पलडा भारी होगा ?

