बांग्लादेश में शेख हसीना के जाते ही हिन्दुओं की स्थिति खराब होती जा रही है।मोहम्मद यूनुस की कार्यकारी सरकार में हिन्दू अब जरा भी सुरक्षित नहीं है। बांग्लादेश के ऑटर्नी जनरल ने संविधान बड़ा बदलाव करने के लिए कहा है। जनरल के अनुसार पाकिस्तानी संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द हटा दिया जाने चाहिए।अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां का कहना है कि सत्ता के दुरुपयोग को बढ़ावा देने से बचाने के लिए देश के संवैधानिक संशोधनों में लोकतंत्र नजर आना जरूरी है। न्यायधीश फराह महबूब और न्यायधीश देबाशीष रॉय चौधरी के सामने उन्होंने 15वें संशोधन को रद्द करने की मांग की है। उन्होंने अपना तर्क देते हुए कहा है कि पाकिस्तान में 90 फीसदी आबादी मुस्लिम की है इसलिए संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द हटा देना चाहिए।
अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां के कहने अनुसार पहले अल्लाह पर हमेशा भरोसा और यकीन था वो चाहते हैं कि यह पहले जैसा ही रहे। संविधान में आर्टिकल 2ए में कहा गया है कि राज्य सभी धर्मों के पालन में समान अधिकार और समानता तय करेगा। वहीं आर्टिकल 9 ‘बंगाली नेशनलिज्म’ की बात करता है, यह विरोधाभासी है।अनुच्छेद 7ए और 7बी पर भी उन्होंने आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि ये कानून ऐसे किसी भी संशोधन या बदलवा पर रोक लगाते हैं, जो “लोकतंत्र को खत्म कर सकता है। उनका कहना है कि ऐसे कानून बदलने चाहिए। ये कनून सियासी ताकत को मजबूत करके लोकतंत्र को कमजोर करते हैं।अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां के कहने अनुसार शेख मुजीबुर रहमान को ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में लेबल करने जैसे कई संशोधन राष्ट्र को बांटते हैं और यह अभिव्यक्ति की आजादी में भी बाधा डालते हैं। जनरल का कहना है कि ये ठीक है कि शेख मुजीबुर रहमान के योगदान का सम्मान किया जाए, लेकिन इसे कानून द्वारा लागू करना विभाजन पैदा करता है। ये सारे तर्क रखते हुए उन्होंने कोर्ट से 15वें संशोधन की असंवैधानिकता पर विचार करने की गुजारिश की है।

