Uttarakhand

महिला अपराधों से कांप रही देवभूमि

उत्तराखण्ड प्रदेश को महिलाओं का प्रदेश माना जाता रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में तो कहा जाता है कि पहाड़ के जीवन की रीढ़ महिलाएं ही हैं। अब इस रीढ़ पर भी अपराधों का लकवा मार रहा है। विगत कई वर्षों से प्रदेश में महिला उत्पीड़न, बलात्कार और दहेज हत्या के साथ-साथ घरेलु हिंसा, यौन शोषण, सार्वजनिक अपमान, हमला, वेश्यावृति के मामले सामने आए हैं। बलात्कार और यौन शोषण जैसे जघन्य अपराधों में स्थिति तब और भी गम्भीर नजर आती है जब इसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेता और पदाधिकारियों के नाम सामने आते हैं और उनकी गिरफ्तारी होती है

अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय शांत रहने वाला पहाड़ी क्षेत्र  पृथक राज्य बनने के बाद से अपराधों की जकड़ में आ चुका है। जहां पहले कभी सामान्य अपराध ज्यादा होते थे, वहीं अब बलात्कार, भगाकर ले जाने के लिए अपहरण, दहेज और दहेज के लिए की गई हत्या तथा लूट चोरी और हत्या के अलावा डकैती जैसे गम्भीर अपराध हर वर्ष देखने को मिल रहे हैं। एनसीआरबी के हर वर्ष के डाटा में यही बात साफ तौर पर निकल कर आ रही है कि अब उत्तराखण्ड प्रदेश उतना शांत नहीं रह गया है जितना कभी समझा जाता था। हालांकि यह भी गौर करने वाली बात है कि विगत तीन वर्षों की तुलना में अपराध कम हो रहे हैं लेकिन उनकी गम्भीरता में कोई कमी नहीं आई है। खास तौर पर अगर देखंे तो प्रदेश में महिलाओं पर अपराधों में तेजी भी देखने को मिली है। सबसे ज्यादा गम्भीर बात यह है कि विगत कुछ वर्षों से महिलाओं पर हो रहे अपराधों में राजनीतिक व्यक्तियों केेे नाम आने के चलते न सिर्फ प्रदेश की छवि को खास नुकासान पहुंचा है, साथ ही प्रदेश की राजनीति पर भी गम्भीर सवाल खड़े होने लगे हैं।

प्रदेश में विगत तीन वर्षों के आपराधिक आंकड़ों को देखें तो अपराधों में कमी आई है। बलात्कार और हत्या जैसे गम्भीर अपराधों में कमी देखी गई है लेकिन महिला हिंसा और बलात्कार उत्पीड़न जैसे अपराध तुलनात्मक तौर पर भले ही कम हुए हैं लेकिन वर्ष 2023 में 421 मामले बलात्कार के सामने आने से स्थिति को बेहतर तौर से समझा जा सकता है। काशीपुर के अधिवक्ता नईम उद्दीन सिद्दकी द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2021 में प्रदेश के सभी 13 जनपदांे में हत्या, दहेज हत्या, हत्या के लिए अपहरण, भगा ले जाने के लिए अपहरण, फिरौती के लिए हत्या, बलात्कार, दंगे, चोरी, वाहन चोरी, सेंधमारी, लूट, डकैती तथा अन्य भारतीय दंड सहिता के अपराध और सूचना और तकनीकी (आईटी एक्ट) अपराधों में 11101 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि वर्ष 2022 में 11790 मामले प्रदेश के विभिन्न थानो में दर्ज किए गए हैं। इसी तरह से वर्ष 2023 में सभी 13 जिलों में 10888 आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं।

पुलिस मुख्यालय से जारी सूचना के अधिकार के तहत तीन वर्षों के तुलनात्मक आपराधिक आंकड़ों में 2021 और 2022 की तुला में 2023 में मामले कम हुए हैं जो कि एक सुखद बात तो मानी जा सकती है लेकिन 2023 में जहां हत्या बलात्कार और देहज हत्या जेैसे गम्भीर अपराधों में कमी तो आई है, वहीं अन्य अपराधों में बढ़ोतरी भी हुई है। इनमें चोरी की घटनाओ में बढ़ोतरी देखने को मिली है। 2023 में चोरी की घटनाओं के 3001 मामले दर्ज किए गए जबकि 2022 में यह आंकड़े 2801 और 2021 में 2195 ही थे। इसी तरह से अपहरण और भगा ले जाने की वारदातें विगत तीन वर्ष में 3052 मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें 50 प्रतिशत मामलों में पीड़ित महिला ही रही है।

2024 के आपराधिक आंकड़े पुलिस मुख्यालय में नहीं होने के चलते वर्ष 2023 और 2024 में हुए अपराधों की तुलना बता पाना अभी सम्भव नहीं है लेकिन जिस तरह से 2024 में प्रदेश में बड़ी-बड़ी वारदातें सामने आ चुकी है जिसमें रेप और यौन शोषण डकैती लूट और हत्याओं के मामले देखने को मिले हैं उससे कहा जा सकता है कि 2024 में भी अपराधों के मामले अगर ज्यादा नहीं भी हुए होंगे तो कम भी नहीं हुए होंगे। सभी 13 जनपदो में 2021 से 2023 के तीन वर्षों के हत्या जैसे जघन्य अपराध आपराधिक आंकड़ों के अनुसार 578 लोगों की हत्याएं हो चुकी है तो दहेज हत्या के 190 मामले दर्ज हो चुके हैं। अपहरण करके भगा ले जाने के मामलों 3252 दर्ज हुए हैं।

उत्तराखण्ड प्रदेश को महिलाओं का प्रदेश माना जाता रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में तो कहा जाता है कि पहाड़ के जीवन की रीढ़ महिलाएं ही हैं। अब इस रीढ़ पर भी अपराधों का लकवा मार रहा है। विगत कई वर्षों से प्रदेश में महिला उत्पीड़न, बलात्कार और दहेज हत्या के साथ-साथ घरेलु हिंसा, यौन शोषण, सार्वजनिक अपमान, हमला, वेश्यावृति के मामले सामने आए हैं।

बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के मामले भी प्रदेश में इन तीन वर्षों के भीतर हुए हैं। प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में 1822 मामले बलात्कार के होना अपने आप में चिंता का विषय बना हुआ है। वर्ष 2017 से लेकर 2021 दिसम्बर तक प्रदेश में महिलाओं पर बलात्कार, यौन शोषण और महिला उत्पीड़न के 45 हजार 656 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। यह आंकड़े पुलिस महानिदेशालय से सूचना के आधार पर प्राप्त हुए हैं। गम्भीर बात यह हेै कि सरकारी विभागों में भी महिला कर्मचारियों के साथ उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न और दुर्व्यहार के 12 मामले सामने आ चुके हैं। इसी तरह से 2021 से लेकर 2023 तक प्रदेश में दहेज हत्या के मामले 190 राज्य 13 जिलों में विभिन्न थाने में दर्ज किए गए हैं।

पुलिस मुख्यालय से वर्ष 2023 में महिला अपराधों के आंकड़ों अनुसार एक वर्ष में महिलाओं पर क्रूरता के 1016, महिलाओं पर हमला किए जाने के 624 तथा अपमान यानी शील भंग के 26 मामले और 26 ही मामने अनैतिक देह व्यापार के दर्ज किए गए हैं। गौर करने वाली बात यह हेै कि ज्यादातर मामले प्रदेश के चार मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले में ही हुए हैं। अनैतिक देह व्यापार के 26 मामले भी इन्हीं चार जिलों में हुए हैं जिसमें देहरादून में सबसे ज्यादा 10, नैनीताल में 7, हरिद्वार में 6 और ऊधमसिंह नगर जिले में 4 मामले हुए हैं। एसिड एटैक जैसा अति गम्भीर 1 मामला हरिद्वार जिले में ही हुआ है।

बलात्कार केे जैसे जघन्य अपराधों में प्रदेश की छवि को बट्टा लगा है। विगत तीन वर्षों से प्रदेश में 1822 मामले बलात्कार के दर्ज हुए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इन 1822 मामलों में से 1600 प्रदेश के चार मैेदानी जिलों, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले में ही हुए हैं।

पुलिस मुख्यालय उत्तराखण्ड द्वारा आरटीआई में दी गई जानकारी अनुसार 2023 में महिलाओं पर हुए अपराधों दहेज हत्या, एसिड अटैक, क्रूरता, अपहरण करके भगा ले जाने, बलात्कार, हमला, अपमान, अनैतिक देह व्यापार के साथ-साथ अन्य आईपीसी अपराधों के कुल 5658 मामले राज्य के विभिन्न थानों में दर्ज किए गए हैं।

बलात्कार और यौन शोषण जैसे जघन्य अपराधों में स्थिति तब और भी गम्भीर नजर आती है जब इसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेता और पदाधिकारियों के नाम सामने आते हैं और उनकी गिरफ्तारी होती है। भाजपा के पदाधिकारयिों के नाम सामने आने से भाजपा संगठन और सरकार की फजीहत हो रही है। भले ही भाजपा ने आरोपियों को पार्टी से निकाल बाहर किया है परंतु अपने ही पदाधिकारियों पर यौन शोषण और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में शामिल होने से प्रदेश की राजनीति में भी हंगामा खड़ा हो गया है। कांग्रेस पार्टी ने इसे प्रदेश की महिलाओं पर भाजपा के नेताओं द्वारा किया जा रहा हमला बताते हुए इन मामलों को महिला सम्मान से जोड़कर प्रदेश सरकार और भाजपा पर गम्भीर आरोप लगाए हैं। हालांकि सभी आरोपियों पर कानूनी कार्यवाही हो चुकी है और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करके उन्हें जेल भेजा जा चुका है।

हाल ही में सबसे चर्चित मामला लालकुआं दुग्ध संघ के अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता मुकेश बोरा पर दुग्ध संघ में दैनिक वेतन पर काम करने वाली विधवा महिला से विगत तीन वर्षों से बलात्कार किए जाने के आरोप लगे हैं। इस प्रकरण में एक बात सामने आई है कि पीड़ित महिला का पति पूर्व में दुग्ध संघ का कर्मचारी था जिसकी मृत्यु हो गई। मुकेश बोरा द्वारा उसकी पत्नी को दुग्ध संघ में नियमित नौकरी लगाने के नाम पर उससे यौन शोषण तो करता ही रहा साथ ही  महिला की नाबालिक लड़की के साथ भी बोरा द्वारा यौन शौषण किए जाने का सामने आया है।
मुकेश बोरा भाजपा का पुराना और वरिष्ठ नेता के तौर पर माना जाता है। बोरा के भाजपा सरकार और संगठन में भी मजबूत पैठ होने के चलते उसके खिलाफ कभी कार्यवाही तक नहीं हो पाई जबकि उस पर भ्रष्टाचार और घोटाले करने के भी गम्भीर आरोप लगते रहे हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कड़े निर्देश बाद बोरा के खिलाफ कार्यवाही की गई है जिसमें उसकी सम्पत्तियों की कुर्की भी की गई है। 24 दिनांे तक छुपता रहा बोरा आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ा और उसे जेल भेज दिया गया है।

इसी तरह से भाजपा के सल्ट मंडल अध्यक्ष भगवत सिंह बोरा पर भी महिला के साथ बलात्कार किए जाने का मामला सामने आ चुका है। भगवत सिंह बोरा पर आरोप है कि उसने अपने ही क्षेत्र की एक महिला को डरा-धमका कर उसके साथ बलात्कार किया। भाजपा के ही एक अन्य मंडल अध्यक्ष कमल रावत जो कि चम्पावत मंडल अध्यक्ष है, पर आरोप है कि उसने एक महिला से दुष्कर्म किया और इस मामले में उसके खिलाफ सम्बंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा चुका है।

नाबालिक बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में भी भाजपा के ओबीसी प्रकोष्ठ अध्यक्ष पर गम्भीर आरोप लग चुके हैं। हरिद्वार जिले के बहादराबाद के ओबीसी प्रकोष्ठ अध्यक्ष आदित्य राज सैनी पर आरोप है कि उसके द्वारा अपने ही क्षेत्र की एक नाबालिक बलिका के साथ अवैध सम्बंध रहे और उक्त बालिका से सामूहिक बलात्कार जैसी जघन्य घटना होने के बाद जब पीड़ित बालिका ने सैनी को आपबीती बताई तो सैनी ने उक्त बालिका की हत्या कर दी। मामले में राजनीति भी बहुत हुई और जनता के दबाव और आक्रोश बाद सैनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया। भाजपा ने भी आदित्य राज सैनी से पल्ला झाड़ते हुए उसे पार्टी से निष्कासित कर दिया।

कुछ ही माह पूर्व भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ पर एक महिला द्वारा सोशल मीडिया पर गम्भीर आरोप लगाते हुए सनसनी मचा दी। इस उक्त महिला को सुरेश राठौर की दूसरी पत्नी बताया जा रहा है। मामले में राठोैर पर यौन शोषण किए जाने के अरोप भी लगाए जा रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि भाजपा नेताओं पर महिला उत्पीड़न और यौन शोषण के आरोप पहली बार लग रहे हैं। पूर्व में कई चर्चित मामलों में भाजपा के बड़े और संगठन स्तर के नताओं पर भी गम्भीर आरोप लग चुके हैं। जिनमें सबसे चर्चित मामला भाजपा संगठन महामंत्री संजय कुमार पर एक भाजपा महिला कार्यकर्ता के साथ लम्बे समय तक यौन शोषण करन के आरोप लगे थे। महिला ने पुलिस और मीडिया में सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया था कि संजय कुमार प्रदेश भाजपा मुख्यालय भवन में अपने आवास पर उसके साथ लम्बे समय से यौन शोषण करता रहा है। इस मामले का एक ऑडियो भी जमकर वायरल हुआ। इस ऑडियो में कहा जा रहा था कि पीड़ित महिला और संजय कुमार के बीच यौन सम्बंधों को लेकर अश्लील वार्तालाप हो रही थी। हालांकि इस ऑडियो क्लिप की कोई जांच नहीं हुई और न ही इसकी सत्यता सामने आई लेकिन इस मामले में भाजपा नेताओं के चरित्र और चेहरे से पर्दा जरूर हट गया था। द्वाराहाट के पूर्व भाजपा विधायक महेश नेगी पर भी यौन शोषण के आरोपों से प्रदेश की राजनीति में खासी हलचल मच चुकी है।

प्रदेश की राजनीति में खासा हलचल मचाने वाला अंकिता भंडारी हत्याकांड के आरोपियों पर भी भाजपा से सम्बंध होने के आरोप हैं। पौड़ी जिले के यमकेश्वर तहसील के अंतर्गत गंगा भोगपुर में पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य के पुत्र पुलकित आर्य के वनंतरा रिसोर्ट में काम करने वाली अंकिता भंडारी की हत्या पुलकित आर्य और उसके दो अन्य साथियांे द्वारा कर दी गई। आरोप है कि पुलकित आर्य अंकिता भंडारी को रिसोर्ट में खास लोगों के साथ शारीरिक सम्बंध बनाने का दबाव बना रहा था लेकिन अंकिता भंडारी के इनकार करने और उसके रिसोर्ट की अनैतिक गतिविधियों का भांडा फोड़ने की बात करने पर पुलकित आर्य ने उसे मारा-पीटा और चीला नहर में धक्का मार कर गिरा दिया जिससे अंकिता भंडारी की मौत हो गई। प्रदेश में यह मामला आज भी चर्चाओं में है और 2022 के विधानसभा, 2024 के लोकसभा और बदरीनाथ विधानासभा उपचुनाव में भी यह मुद्दा गरमाया। कांग्रेस इसको लेकर प्रदेश भाजपा सरकार के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ नारे पर ही सवाल खड़े कर चुकी है।

भाजपा नेताओं से बेटियों को बचाओ
उत्तराखण्ड में अपराधों खास तौर पर महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों से देवभूमि वाली छवि को भी धक्का लग रहा है। बलात्कार और दहेज हत्या जैसे क्रूरतम अपराधों का बढ़ना चिंताजनक है। पुलिस विभाग के आंकड़ों से पूरी स्थिति साफ हो जाती है कि अब हमारा
प्रदेश जो देवभूमि कहलाता है वह अब अपराधों का प्रदेश बन चुका है। हमारे प्रदेश में महिलाओं का सम्मान और उनके सशक्त होने का तमगा मिला हुआ है। पृथक उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन कभी भी अपनी पूर्णता तक नहीं पहुंच पाता अगर महिलाओं ने इस आंदोलन में अपनी अग्रणी भूमिका नहीं निभाई होती।

दुःख की बात यह है कि हमारे प्रदेश की ही चुनी हुई भाजपा सरकार के समय महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बाढ़ आ रही है। भाजपा  नेताओं और पदाधिकारियों पर बलात्कार और यौन शोषण के गम्भीर आरोप लग रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देते हैं लेकिन उत्तराखण्ड में उनकी ही पार्टी की सरकार के नेता महिलाओं पर एक के बाद एक अपराधों में शामिल हो रहे हैं। प्रदेश में अब ‘भाजपा से अपनी बेटियों को बचाओ’ का नारा लग रहा है। भाजपा को चाहिए कि वह सदस्यता अभियान की जगह भाजपा में सफाई अभियान चलाए। यह बात मैं कोई मजाक या हवा-हवा में नहीं कह रही हूं। भाजपा के कई बड़े और वरिष्ठ नेताओं- पदाधिकारियों पर बलात्कार तथा यौन शोषण के आरोप लग चुके हैं। हाल ही में लालकुआं दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा, सल्ट के मंडल अध्यक्ष भगवत सिंह बोरा हो या चम्पावत के मंडल अध्यक्ष कमल रावत या बहादराबाद के भाजपा ओबीसी अध्यक्ष आदित्य राज सैनी हों, इन सभी पर बलात्कार, यौन शोषण और हत्या के आरोप लग चुके हैं। अंकिता भंडारी की हत्या में भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य पर आरोप लग चुके हैं। भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर पर भी उसकी ही दूसरी पत्नी ने गम्भीर आरोप लगाकर सोशल मीडिया में पूरा काला चिट्ठा खोल दिया है। भाजपा के पूर्व संगठन महामंत्री संजय कुमार पर भाजपा महिला कार्यकर्ता ने यौन शोषण का आरोप लगा चुकी है। भाजपा के अनेक नेताओं पर ऐसे गम्भीर आरोप लग चुके हैं लेकिन उनको सत्ता का भरपूर सहयोग मिलता रहा है जिससे ऐसे अपराधियों को लगता है कि वे कुछ भी कर सकते हैं, उनको पार्टी भाजपा बचा ही लेगी।
गरिमा दसौनी, मुख्य प्रवक्ता, प्रदेश कांग्रेस कमेटी, उत्तराखण्ड

बात अपनी-अपनी
जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ कार्यवाही हो रही है उनको जेल में डाल दिया गया है। भाजपा में ऐसे लोगों का कोई स्थान नहीं है। पार्टी ने ऐसे सभी लोगों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। देखो भैया, किसी के चेहरे पर तो लिखा नहीं होता कि वो अपराध करेगा। ऐसे लोग सब जगह होते हैं, इसमंे भाजपा कहां से आ गई। जो लोग बलात्कार और महिलाओं पर हिंसा, जघन्य अपराध करते हैं मैं समझती हूं कि ऐसे लोग मानसिक कुंठा के होते हैं। भाजपा तो महिलाओं का जितना सम्मान करती है उतना कोई और पार्टी नहीं करती। इसका प्रमाण मैं स्वयं हूं, मैं कांग्रेस में महिला कांग्रेस अध्यक्ष थी और ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा लगाती रही लेकिन कांग्रेस ने कभी मेरा सम्मान तो छोड़ो मुझे पूछा तक नहीं। भाजपा ने मुझे सम्मान दिया, टिकट दिया।
सरिता आर्य, भाजपा विधायक नैनीताल

उत्तराखण्ड में महिलाओं पर अपराध बढ़ रहे हैं इसमें तो कोई दो राय नहीं है। लेकिन इसमें सरकारों की इच्छा शक्ति की भारी कमी के कारण अपराध बढ़ रहे हैं, अगर सरकार और सिस्टम कठोर कार्यवाही करे तो अपराध कम हो सकते हैं। महिलाओं पर अपराध का एक बड़ा कारण नशे की प्रवृत्ति का बढ़ना भी है। सबसे पहले इसे ही खत्म करने की जरूरत है। सत्ता या रसूख के कारण भी अपराधों और अपराधियों को संरक्षण मिलता रहा है। उत्तराखण्ड में चाहे अंकिता भंडारी का मामला हो या पश्चिम बंगाल की महिला डॉक्टर का मामला हो, दोनों ही जगह सत्ताधारी लोगों के ही नेताओं के नाम सामने आए हैं। सत्ता अपने लोगों को बचाने का काम करती है जिससे अपराधियों में भय खत्म हो जाता है, एक बात और मैं इसमें जोड़ती हूं जो साम्प्रदायिक हिंसा और लव जेहाद का है, जाने क्या-क्या बोला जाता है। आखिर इसमें प्रभावित महिलाएं ही होती हैं। अभी पुरोला, देहरादून में भी ऐसे मामलों को हिंदू मुसलमान बनाकर साम्प्रदायिक माहौल बनाने का प्रयास किया गया था। इसमें बदनामी महिलाओं की ही होती है। प्रदेश में महिलाओं पर हो रहे अपराध पर रोक लगाने के लिए कठोरतम उपाय करने की जरूरत है। ये मामले राजनीतिक भी हो गए हैं, इसके लिए राजनीतिक दलों और समाज को ही आगे बढ़कर प्रयास करने होंगे।
कमला पंत, अध्यक्ष, महिला मंच उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड प्रदेश में विगत तीन वर्षों से पुलिस विभाग के आंकड़ों अनुसार अपराधों में कमी बताई जा रही है। अच्छी बात है, आंकड़े तो यही कह रहे हैं। लेकिन अपराध हो रहे हैं और हर वर्ष हो रहे हैं। ये कम हो रहे हैं तो इसका मतलब हमें खुश होना चाहिए। अब आप दहेज और दहेज हत्या के मामलों को ही देख लीजिए। 2021 से 2023 तक प्रदेश में दहेज हत्या के मामले 190 पुलिस ने दर्ज किए हैं। अब आते हैं प्रदेश में अपराध क्यों बढ़ रहे हैं? मेरे अधिवक्ता होने के लम्बे अनुभव से मैं यह कह सकता हूं कि अपराध के पीछे खास तौर पर महिला अपराधों की बात करूं तो इसका एक बड़ा कारण यह है कि अब हमारा समाज पश्चिमीकरण की ओर जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण सोशल मीडिया है जिससे लोगों में अपराध करने और उससे प्रभावित होने की प्रवृत्ति ज्यादा जाग रही है। नाबालिक बालिकाओं को भगा कर ले जाना, बलात्कार की घटनाएं होना और महिला उत्पीड़न के अन्य मामले सभी में समाज का नैतिक स्तर गिरने से ऐसे अपराध बढ़ रहे हैं। दूसरी बात यह है कि अब लोग अपने ऊपर हो रहे अपराधों पर खुलकर पुलिस के पास जा रहे हैं। यह भी एक बड़ा कारण हैे कि अपराधों की संख्या बढ़ रही है।
नईम उद्दीन सिद्दकी, अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता, काशीपुर

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