महाराष्ट्र में भाजपा को लग रहा है कि गठबंधन में शामिल पार्टियों के मतभेद राज्य सरकार को ज्यादा दिन नहीं चलने देंगे और देर-सवेर वह राज्य में सरकार बना लेगी। पार्टी यहां तक संदेश देने लगी है कि राज्य सरकार गिरी तो भाजपा को सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आज जो दल गठबंधन का अंग हैं उन्हीं में से कोई उसके साथ आ सकता है।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष देवेन्द्र फडणवीस ने दावा किया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) दो साल पहले भाजपा से हाथ मिलना चाहती थी। आखिर उन्हें दो साल बाद इसका जिक्र करने की क्या जरूरत पड़ी है।
राजनीतिक नज़रिए से देखा जाए तो उनके इस दावे में कहीं न कहीं राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए एक धमकी भरा संदेश है कि राकांपा को भाजपा से कोई परहेज नहीं है। जो पार्टी कल भाजपा से हाथ मिलाने को तैयार थी वह आज भी मिला सकती है।
लिहाजा आज वे जिन पार्टियों के बूते सरकार चलाते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ हमलावर हैं वे कभी भी उनका साथ छोड़ सकती हैं। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि यह समय महाराष्ट्र में सरकार गिराने या बदलने का नहीं है क्योंकि राज्य कोरोना वायरस की महामारी से लड़ रहा है, फिर भी भाजपा राज्य में सरकार बनाने को लेकर जिस प्रकार लालायित रही है उसे देखते हुए फडणवीस के ताजा बयान के गंभीर मायने निकाले जाने स्वाभाविक हैं।
फडणवीस की इस बात पर यकीन भी कर लिया जाए कि भाजपा की प्राथमिकता इस वक्त कोरोना से लड़ने की है और वह सरकार गिराने के मूड में नहीं है, लेकिन सवाल उठ सकता है कि आखिर इसी कोरोना काल में पार्टी के रणनीतिकार राज्यसभा सीटों में इज़ाफा करने के उद्देश्य से राज्यों में सक्रिय रहे।
कांग्रेस और दूसरी पार्टियों के विधायकों को अपने पाले में लाकर उन्होंने ज्यादा सीटें जीतने के लक्ष्य पर फोकस रखा और इसमें कामयाब भी हुए। ऐसे में कोई कैसे यकीन कर लेगा कि वह महाराष्ट्र में अवसर की ताक में नहीं है।
-दातारम चमोली

