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क्या केजरीवाल दिल्ली में मान रहे हार?

“मुस्लिमों का सारा वोट कांग्रेस को गया” । इस तरह 23 मई को ईवीएम बाॅक्स खुलने से पहले यह बात कह कर आखिर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कहना क्या चाहते हैं ? राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा आम है । इस बात के मायने राजनीतिक तरीके से निकाले जा रहे हैं । कहा जा रहा है कि केजरीवाल दिल्ली में लोकसभा चुनाव हार रहे हैं । इसका उन्हें अंदाजा हो गया है और इससे पहले ही वह ऐसा बोलकर अपनी हार का ठीकरा अल्पसंख्यक समुदाय के सर फोडना चाहते हैं । हालांकि आम आदमी पार्टी के मुखिया और मुख्यमंत्री केजरीवाल के इस बयान पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित कहती है कि वह नहीं जानती कि इस बात के जरिए केजरीवाल क्या कहने की कोशिश कर रहे हैं । हर किसी को अधिकार है कि वह जिस पार्टी को चाहे उसे सपोर्ट करें ।शीला दीक्षित ने केजरीवाल को ताना देते हुए कहा कि दिल्ली के लोग इस सरकार के मॉडल को नहीं समझ पा रहे हैं । गौरतलब है कि दिल्ली में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 12 से 13% तक है ।कई लोकसभा क्षेत्र में तो वह 30% से ऊपर है । ऐसी ही एक लोकसभा सीट पूर्वी दिल्ली है। जिसमें 32% मुस्लिम है । आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में कोई भी ऐसी लोकसभा सीट नहीं है ,जहां पर अल्पसंख्यक वोटर ना हो । केजरीवाल की मुस्लिम समाज के वोटरों को लेकर की गई इस टिप्पणी से दिल्ली में एक नई बहस शुरू हो गई है। इसमें दिल्ली सरकार के ही एक मंत्री राजेंद्र पाल गौतम यह कहकर मामले को और विवादास्पद करा देते हैं कि मुस्लिम वोटर ने कन्फ्यूजन में वोट डाला है ।जिसके चलते मुस्लिम वोट ज्यादातर कांग्रेस की तरफ हो गई है । वह यह भी कहते हैं कि वोटिंग से 48 घंटे पहले रात को गरीबों के पैसे बांटे गए । जिसके चलते भी वो ट्रांसफर हो गये । याद रहे कि राजेंद्र पाल गौतम उत्तर पूर्वी दिल्ली की सीमापुरी विधानसभा से विधायक है । इस क्षेत्र में निम्न वर्ग के लोग बहुत संख्या में रहते हैं । यहां मुस्लिम संप्रदाय के लोग भी बहुतायत में रहते है । यहां यह भी उल्लेखनीय है कि चुनाव प्रचार में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इस बात पर ज्यादा फोकस रहा की वोट किसी भी सूरत पर बटने ना पाए । यानी कि मुस्लिम मतदाता जहां जाए सिर्फ एक तरफ ही जाए । पहले उन्हें मुस्लिम मतदाताओं की आम आदमी पार्टी के पाले में आने की उम्मीद लग रही थी लेकिन अब उन्हें लगने लगा की अल्पसंख्यको का वोट आम आदमी पार्टी की बजाय कांग्रेस को गया । इस तरह देखा जाए तो दिल्ली में भाजपा की मुख्य टक्कर आम आदमी पार्टी से नहीं बल्कि कांग्रेस से हो रही है । हालांकि वोटिंग के दौरान ही यह चर्चा रही थी कि मुस्लिम समाज का वोट कांग्रेस के खाते में गया । मुस्लिम वोट ज्यादातर जाते भी उधर है जहा भाजपा को टक्कर दी जाती है । यानि की दिल्ली में फाईट कांग्रेस और भाजपा के बीच रही ।

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