कब्रिस्तान का नाम जेहन में आते ही एक डरावनी जगह की तस्वीर आंखों के सामने तैरने लगती है। हरिद्वार जनपद के ज्वालापुर स्थित सुभाषनगर का मुस्लिम कब्रिस्तान इससे इतर है। यह कब्रिस्तान डराता नहीं, बल्कि लोगों को लुभाता है। इस कब्रिस्तान को एक खूबसूरत रूप दिया जा रहा है जहां चहारदीवारी से लेकर पेयजल और प्रकाश की व्यवस्था की गई है। जिसका श्रेय जाता है पत्रकार अहसान अंसारी को। इस कब्रिस्तान पर दशकों तक कब्जाधारियों ने न केवल अवैध कब्जा किया हुआ था, बल्कि यहां आम लोगों के शव तक दफन नहीं किए जाते थे। अंसारी ने कब्रिस्तान को कब्जा मुक्त कराने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट से लेकर वक्फ बोर्ड तक लंबी लड़ाई लड़ी। बहरहाल धर्मनगरी में अधर्म का अंत हुआ जिसका नतीजा है कि अब यहां शवों का दफन सुलभ हो चला है। फिलहाल, धर्मनगरी में अंतिम यात्रा का यह पड़ाव चर्चा का केंद्र बन चुका है
‘मजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।’
वास्तव में यदि किसी लक्ष्य को सामने रखकर काम किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। धर्मनगरी हरिद्वार में एक कलम के सिपाही ने कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है जिसकी उक्त उक्ति चरितार्थ होती है। जहां एक ओर मौत के बाद दफनाने के लिए भी वसूली का खेल चल रहा था तो वहीं दूसरी तरफ गरीबों को उनका हक दिलाने के लिए वर्षों तक लड़ाई लड़ी गई जिसका अंत बड़ा सुखद रहा है। कहानी पूरी फिल्मी लगती है परंतु अक्षरस सत्य है। यह विडम्बना ही है कि एक इंसान रोजी-रोटी के लिए ताउम्र संघर्ष करता है लेकिन दुर्भाग्य यह है कि मौत के बाद भी उसके परिजन बिना पैसे दिए उसके शव को दफना नहीं पाते। अंतिम यात्रा के इस दुस्साहसिक कृत्य से अब निजात दिलाई जा चुकी है। इसके लिए बधाई के पात्र हैं हरिद्वार के पत्रकार अहसान अंसारी।
मामले की शुरुआत तब होती है जब सत्तारूढ़ दल से सांठ-गांठ कर कुछ लोग 43 वर्षों तक कब्रिस्तान पर कब्जा किए रहते हैं। लाशों पर गंदी राजनीति का आलम यह था कि सार्वजनिक सम्पत्ति के तौर पर स्थित मुस्लिम कब्रिस्तान में बिना पैसे दिए शवों को दफनाने नहीं दिया जाता था। कब्जाधारियों का मामला यह भी था कि पैसे लेकर शव दफनवा दिया तो ठीक वरना सीधे-सीधे मना भी कर दिया जाता था जिसके चलते बाहरी प्रदेशों के रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपने परिजनों के शव हरिद्वार में दफन किए जाने के बजाय मजबूरी में लंबी दूरी तय कर अपने गृह नगर ले जाने पड़ते थे। स्थानीय स्तर पर विकराल हो चुकी इस सामाजिक समस्या को देखते हुए वर्ष 2009 में कब्रिस्तान को कब्जा मुक्त कराने की कवायद शुरू हुई। लेकिन अवैध कब्जाधारी के सत्तारूढ़ दल से जुड़े होने के चलते स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके चलते 2012 में हाईकोर्ट की शरण में जाने का निर्णय लिया गया। इस कब्रिस्तान को कब्जा मुक्त करने के उद्देश्य से जनहित याचिका दायर की गई। जिस पर 6 वर्षों तक चली लंबी सुनवाई के बाद जून 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने कब्रिस्तान को मुक्त कराने का आदेश पारित किया। साथ ही हरिद्वार के जिला प्रशासन को एक सप्ताह में अवैध कब्जा हटाने तथा कब्रिस्तान के बाहर एक साइन बोर्ड लगाने का आदेश भी जारी किया, जिस पर प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए अवैध कब्जा हटाया।
गौरतलब है कि ज्वालापुर ग्राम सभा स्थित सुभाष नगर में कब्रिस्तान की भूमि पर सत्तारूढ़ पार्टी से सांठ-गांठ कर कुछ लोगों ने वर्षों से कब्जा किया हुआ था। मामले को जनहित का देखते हुए इसकी शिकायत सामाजिक सरोकारों से जुड़े पत्रकार अहसान अंसारी ने जिला प्रशासन से की। इस पूरे प्रकरण पर पक्ष रखा गया। हालांकि इससे पूर्व उपजिलाधिकारी हरिद्वार ने 10 अक्टूबर 2011 एवं 09 जुलाई 2012 को आदेश भी पारित किए लेकिन लेखपाल की लापरवाही एवं सत्ता की हनक के चलते आरोपी शफी खान एवं अन्य लोगों ने कब्रिस्तान से कब्जा नहीं हटाया।
अधिवक्ता प्रदीप कुमार चौहान ने उच्च न्यायालय के सामने पक्ष रखा। जिस पर न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह एवं राजीव शर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया कि उपजिलाधिकारी का आदेश का अनुपालन न होना लापरवाही है तथा एक सप्ताह के भीतर कब्रिस्तान को कब्जा मुक्त कराने के आदेश दिए गए। 2018 में आदेश पारित होने के बाद से एक बार फिर पत्रकार अहसान अंसारी ने कब्रिस्तान की दिशा और दशा सुधारने के लिए बीड़ा उठाया जिसके अंतर्गत उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड में कब्रिस्तान को दर्ज करने का प्रार्थना पत्र देते हुए स्थानीय नागरिकों की ओर से गठित कमेटी के पंजीकरण का प्रस्ताव प्रेषित किया गया। लेकिन यहां भी अवैध कब्जाधारी ने अड़चन लगाते हुए 2019 से लेकर 30 नवंबर 2023 तक उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड में कब्रिस्तान की प्रबंध समिति का पंजीकरण नहीं होने दिया, साथ ही स्वयं एक कमेटी गठित कर पंजीकरण हेतु वक्फ बोर्ड को प्रेषित कर दी। उस दौरान उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड में अध्यक्ष की कुर्सी पर कांग्रेस नेता मोहम्मद अकरम काबिज थे। वहां भी एक बार फिर खेला हुआ और वक्फ बोर्ड की बैठक में कब्जाधारियों द्वारा गठित कमेटी को ही पंजीकरण किए जाने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। लेकिन तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड मोहम्मद अलीम अंसारी ने वस्तु स्थिति जानने के पश्चात कमेटी के पंजीकरण पर रोक लगा दी तथा मामले को आगामी बोर्ड बैठक के लिए प्रस्तावित कर दिया।
तब से यह मामला 4 वर्षों तक लटक रहा। बहरहाल, उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष शादाब शम्स और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद सिराज उस्मान ने इस मामले को उस समय गंभीरता से लिया जब लक्सर विधायक हाजी मोहम्मद शहजाद ने इस पूरे प्रकरण को एक बार फिर बोर्ड के समक्ष रखा। बोर्ड में प्रबंध समिति के गठन का प्रस्ताव पारित हुआ। तत्पश्चात अहसान अंसारी की अध्यक्षता में प्रबंध समिति का गठन किए जाने का आदेश जारी किया गया। 30 नवंबर 2023 को जारी प्रबंध समिति गठन के आदेश के उपरांत समिति के अध्यक्ष अहसान अंसारी ने कब्रिस्तान को पुनर्जीवित करने की ठानी। फलस्वरूप चार माह के अल्प समय में ही कब्रिस्तान की रूह और रंगत ही पूरी तरह से बदल गई। स्थानीय लोगों की मानें तो ऐसा लगा जैसे रूहों को किसी कैद से आजादी मिल गई हो। लोगों का यह भी कहना है कि अहसान अंसारी ने रात-दिन एक कर कब्रिस्तान को सर्वसुलभ बनाया तथा मूलभूत सुविधाओं को भी प्राथमिकता के साथ पूरा किया। अब कब्रिस्तान में चारों ओर चहारदिवारी है तथा रात में भी शव को दफनाने में कोई दिक्कत न हो उसके लिए बिजली की व्यवस्था है। बरसात आदि में शव को रखकर नमाज-ए-जनाजा कैसे अदा की जाए यह बड़ी समस्या थी जिसके लिए पर्याप्त टीन शेड की व्यवस्था की गई। यही नहीं बल्कि वजू के लिए पानी की व्यवस्था एवं प्रवेश द्वार को आकर्षक बनाया गया है।
अहसान अंसारी बताते हैं कि प्रबंध समिति का गठन किए जाने को लेकर उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड चेयरमैन शादाब शम्स तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद सिराज उस्मान सहित वक्फ बोर्ड सदस्य लक्सर के विधायक हाजी मोहम्मद शहजाद से संपर्क किया गया जिन्होंने समिति का गठन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब कमेटी की देखरेख में ही सम्पूर्ण कार्य हो रहे हैं। यही नहीं कब्रिस्तान के बाहर का वह मार्ग भी पक्का कर दिया गया है जो पिछले 60 वर्षों में पक्का नहीं हो पाया था जिसको लेकर स्थानीय निवासी जहां एक ओर संतोष जाहिर कर रहे हैं, वही कब्रिस्तान की बदली हुई सूरत को देखकर लोगों में हर्ष का माहौल है।
बात अपनी-अपनी
सामाजिक कार्यकर्ता और वरिष्ठ पत्रकार अहसान अंसारी जनसरोकार से जुड़े मामलों में अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं। कब्रिस्तान में कराए गए दर्जनों विकास कार्य उनके इसी मुहिम का हिस्सा हैं। वक्फ बोर्ड द्वारा भी कब्रिस्तान हित में गठित प्रबंध समिति के लिए वक्फ बोर्ड भी बधाई का पात्र है।
फुरकान अली एडवोकेट, पूर्व दर्जा राज्य मंत्री, उत्तराखण्ड सरकार
नई प्रबंध समिति ने कब्रिस्तान के विकास कार्यों में एक लंबी लकीर खींच दी है। जिस तरह के कार्य सुभाष नगर कब्रिस्तान में हुए हैं उससे पहले किसी कब्रिस्तान में इस स्तर पर विकास कार्य नहीं कराए गए।
इसरार अहमद सलमानी, निवर्तमान पार्षद, नगर निगम हरिद्वार
महज 3 से 4 महीने के अल्प समय में अहसान अंसारी की अध्यक्षता वाली प्रबंध समिति द्वारा कराए गए विकास कार्य की एक लंबी फेहरिस्त है। शहर के अन्य कब्रिस्तान में भी इसी प्रकार के कार्य कराए जाने चाहिए।
शाहबुद्दीन अंसारी, पार्षद प्रतिनिधि, नगर निगम हरिद्वार
कब्रिस्तान में नई प्रबंध समिति द्वारा अभूतपूर्व विकास कार्य कराए गए हैं। ज्वालापुर का ही नहीं, बल्कि यह कहिए कि यह कब्रिस्तान क्षेत्र का सबसे खूबसूरत कब्रिस्तान बन गया है। प्रबंध समिति का गठन किए जाने पर मैं उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स का भी शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि उनके द्वारा पहल करते हुए प्रबंध समिति गठित की गई जिससे यह विकास कार्य संभव हो सके।
इरफान अंसारी, सदर ईदगाह कमेटी, ज्वालापुर हरिद्वार

