ऑर्गेनिक (जैविक) खाद्य पदार्थों के झूठे दावे करने वालों के खिलाफ भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई ) अब कड़ा रुख अपना रही है। एफएसएसएआई ने अपने सभी फूड टेस्टिंग प्रयोगशालाओं को निर्देश दे दिए हैं कि फूड टेस्टिंग में सुधार लाया जाये और ऑर्गेनिक फूड को शुद्ध बनाए जाने पर ध्यान रखा जाये।
क्योंकि ऐसी कई कंपनियां हैं जो अपने सामान को ऑर्गेनिक बताती हैं और अपने ग्राहक को धोखा देते हुए उन्हें नकली सामान बेच देती हैं। गौरतलब है कि आधुनिकीकरण और नई तकनीकों के आने के बाद पारम्परिक खेती के तरीकों में कई बदलाव आए। इस प्रकार जो खेती पहले बिना किसी रासायनिक प्रक्रिया को अपनाये की जाती थी , उत्पादकता को बढ़ाने आदि के लिए उसमें रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाने लगा जो आज मानव व पशु आदि जीवन के लिए खतरा बनता जा रहा है। जिसके कारण ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों की मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है।
खाद्य विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले वर्षों में देश में ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों का बाजार तेजी से बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। इसकी वजह लोगों में सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ना है। एफएसएसएआई ने नकली ऑर्गेनिक उत्पादों की बिक्री पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मसौदा खाद्य और मानक विनियम, 2017 की घोषणा की। इस विनियमन के लिए बाजार में ऑर्गेनिक के रूप में बेचे जाने वाले उत्पादों को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के राष्ट्रीय ऑर्गेनिक उत्पादन कार्यक्रम या कृषि मंत्रालय की भागीदारी गारंटी योजना द्वारा प्रमाणित करने की आवश्यकता होगी। एफएसएसएआई के पास भोजन की गलत ब्रांडिंग और भ्रामक विज्ञापनों के लिए एक परिभाषा और दंड है। गलत ब्रांडिंग के लिए तीन लाख रुपये तक और भ्रामक विज्ञापन के लिए 10 लाख रुपये तक का जुर्माना है।
क्या है ऑर्गेनिक फूड?
ऑर्गेनिक खेती की एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बिना किसी कृत्रिम कीटनाशक दवाओं व उर्वरक आदि का प्रयोग किये बिना खाद्य पदार्थों को तैयार किया जाता है। जो लोग ऑर्गैनिक खेती करते हैं वो फसलों में लगने या फसलों को खाने वाले कीट-पतंगों से फसल को बचाने के लिए जाल का उपयोग करते हैं। फसलों को में पोषकता बनाये रखने के लिए खेत में गोबर व अन्य प्राकृतिक खादों का प्रयोग किया जाता है। वहीं नॉन-ऑर्गैनिक खेती में हानिकारक केमिकल्स, कीटनाशक और खाद अदि का प्रयोग किया जाता है। इस तरह के खाद्य पदार्थों से सेहत को बहुत नुकसान हो रहा है।
ऑर्गेनिक कृषि कृषकों की दृष्टि से लाभकारी है जो भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि करती है। साथ ही रासायनिक खाद पर निर्भरता के कम होने से लागत में भी कमी के साथ-साथ फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है। फसलों में किसी भी प्रकार का रासायनिक पदार्थ न होने के बाज़ार में ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ़ने से किसानों की आय में भी वृद्धि होती है |

