यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात के अबूधाबी में पहले हिन्दू मंदिर का भव्य निर्माण बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा किया गया है। यह वहीं संस्था है जिसने गुजरात और दिल्ली के अक्षर धाम मंदिर का भी निर्माण किया है। अबूधाबी के इस हिन्दू मंदिर का उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी को किया है। इसके बाद से मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं।
सात सौ करोड़ रूपये की लागत से बने इस हिन्दू मंदिर के उद्घाटन को संयुक्त अरब अमीरात में हिन्दू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में देखा जा रहा है। मंदिर भले ही हिन्दू धर्म का है लेकिन इसकी कल्पना से लेकर इसके निर्माण तक में हर धर्म की भूमिका रही है, फिर चाहे वो मुस्लिम धर्म हो या जैन -बौद्ध धर्म हो। दरअसल यह मंदिर सह अस्तित्व के विचार का प्रतिनिधित्व करते दिखाई देता है। इस मंदिर के लिए लिए जमीन यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने तोहफे स्वरूप दी । इस मंदिर का मुखयवास्तुकार एक कैथोलिक ईसाई रहा है। वहीं प्रोजेक्ट मैनेजर एक सिख है। इसके अलावा एक बौद्ध इसका फाउंडेशनल डिजाइनर है। जिस संस्था ने इस मंदिर का निर्माण करवाया वह कंस्ट्रक्शन कंपनी एक पारसी समूह का है और इस मंदिर का डायरेक्टर जैन धर्म से ताल्लुकात रखता है।

अबू धाबी का यह बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण हिन्दू मंदिर यानी बीएपीएस हिन्दू मंदिर 27 एकड़ जमीन में फैला। यह मंदिर दुबई-अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल राहबा के पास बनाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार मंदिर अधिकारीयों के मुताबिक शिल्प और स्थापत्य शस्त्रों और हिन्दू ग्रंथों में उल्लेखित निर्माण की प्राचीन शैली अनुसार इस मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर में नक्काशी के जरिए प्राचीन कला और वास्तु कला को पुनर्जीवित किया गया है। मंदिर प्रबंधन के एक प्रवक्ता अशोक कोटेचा के अनुसार मंदिर के मास्टर प्लान के डिजाइन को साल 2020 की शुरुआत में पूरा किया गया था। इस भव्य और ऐतिहासिक मंदिर का काम समुदाय के समर्थन भारत और यूएई के नेतृत्व से पूरा हुआ।
भक्तों के ख्याल का ध्यान रखते हुए मंदिर में ऐसी टाइल्स लगाई है कि अत्यधिक तापमान के बावजूद श्रद्धालुओं को इन टाइल्स पर चलने में कोई दिक्कत नहीं होगी। दरअसल यूएई में अत्यधिक तापमान को देखते हुए ये टाइल्स दर्शनार्थियों के पैदल चलने में सुविधाजनक होंगी। इसके अतिरिक्त मंदिर में अलौह सामग्री का भी प्रयोग किया गया है। जिससे ये हजारों सालों तक जस का तस बना रहेगा। सिर्फ चूना पत्थर और संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर निर्माण के लिए 20,000 टन से अधिक पत्थर और संगमरमर 700 कंटेनरों में भरकर भारत से अबू धाबी लाया गया था। वहीं बीएपीएस के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहारीदास के कहने अनुसार मंदिर की वास्तुशिल्प पद्धतियों को वैज्ञानिक तकनीकों के साथ जोड़ा गया है। तापमान, दबाव और भूकंपीय गतिविधि को मापने के लिए मंदिर के हर स्तर पर 300 से अधिक उच्च तकनीक वाले सेंसर लगाए गए हैं। सेंसर अनुसंधान के लिए लाइव डेटा प्रदान करेंगे। यदि क्षेत्र में कोई भूकंप आता है तो मंदिर इसका पता लगा लेगा और हम अध्ययन कर सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने उद्घाटन के अवसर मंदिर के भव्य निर्माण के लिए यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद जायद अल नाहयान को धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्होंने खाड़ी देश में रहने वाले भारतियों के साथ -साथ करोड़ो भारतियों का भी दिल जीता है। गौतरलब है कि प्रधानमंत्री दो दिन के लिए यूएइ दौरे पर गए थे। जिस दौरान उन्होंने मंदिर का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी जी का यह यूएई का सातवा दौरा रहा है।
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