दागदार हुआ आंचल/भाग-3
‘दि संडे पोस्ट’ द्वारा प्रकाशित किए जा रहे दुग्ध एवं डेयरी विभाग के घपले-घोटालों की हकीकत सामने आने लगी है। खुद शासन ने भ्रष्टाचार में आरोपित अधिकारियों पर कार्रवाई करके इसकी पुष्टि की है। विभाग की भ्रष्टाचार पर शह को इससे समझा जा सकता है कि 4 जनवरी 2023 को आंचल दूध के सैंपल की जांच की गई और उसमें सेहत के लिए हानिकारक मेलामाइन पाया गया। आरोपित अधिकारियों पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाती तो दूध में मिलावटखोरी के इस धंधे पर रोक लगाई जा सकती थी। लेकिन विभाग इस पर रहस्मय चुप्पी साधे रहा। जिसका खामियाजा लोगों को दूध में मेलामाइन की मिलावट के रूप में भुगतना पड़ा है। मेलामाइन की मिलावट से कई गंभीर रोगों की उत्पत्ति होती है। 2008 में मेलामाइन की मिलावट से लाखों बच्चे और जानवर बीमारी की चपेट में आ गए थे। इस घटना को ‘चाइनीज मिल्क स्कैंडल’ के नाम से जाना जाता है
भारत में श्वेत-क्रांति का जनजागरण अभियान वर्षों से चलाया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारें दूध का उत्पादन बढ़ाने को लेकर सार्थक दिशा में आगे बढ़ रही हैं। उत्तराखण्ड सरकार भी इस तरफ आगे बढ़ने का सार्थक प्रयास कर रही है। सरकारी अधिपत्य वाली आंचल डेयरी के उत्पाद उपभोक्ताओं को गुणवत्ता मुक्त मिले इसके लिए दुग्ध संघ से लेकर डेयरी फेडरेशन की स्थापना की गई है। मगर प्रदेश में दूध की उपलब्धता, मांग और बिक्री में बहुत अंतर है। ऐसे में मांग को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर मिलावट होने की बात सामने आ रही है। गत दिनों दो अधिकारियों पर हुई कार्रवाई इसकी तस्दीक करती है कि प्रदेश में मिलावट खोरी का धंधा बेधड़क जारी है।
मिलावटखोरी पर उम्र कैद की सजा
मिलावट दूध में हो या शहद में, खाद्यान में हो या दवाइयों में सेहत के साथ खिलवाड़ का अक्षम्य अपराध तो है ही साथ ही ऐसे अपराधों में संलिप्त लोगों के लिए कठोर कार्यवाही का भी प्रावधान है। मिलावटखोरी करने वालों को कानून के तहत अधिकतम छह साल की सजा हो सकती है। इस कानून को नाकाफी बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय की केएस राधाकृष्णन और एके सीकरी की पीठ ने राज्य सरकारों को सलाह दी है कि जिन राज्यों ने मिलावट के अपराध के लिए अधिकतम उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया हुआ है, वे इसे सख्ती से लागू करें।
देश में 69 प्रतिशत दूध मिलावटी
मिलावट के खिलाफ अनेक कठोर कानून होने के बावजूद मिलावट करने वालों को कोई डर नहीं रहता। आमतौर पर निजी कंपनियों वाले मिलावट करते रहते हैं, लेकिन उत्तराखण्ड दुग्ध सहकारी संघ द्वारा भी मिलावट करने का समाचार मिलना आश्चर्यचकित कर देने वाला है। एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक देश का लगभग उनहत्तर प्रतिशत दूध मिलावटी है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुताबिक देश में कृत्रिम और मिलावटी दूध का कारोबार बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। प्रदेश में इस मामले में लचीलापन सामने आया है। गत वर्ष दूध में मेलामाइन और एल्कोहल का मिलना और कार्यवाई के नाम पर सिर्फ लीपापोती करना प्रदेश के दुग्ध एवं डेयरी विभाग को कठघरे में खड़ा कर रहा है।
दो अधिकारियों पर हुई कार्रवाई

पहली कार्रवाही दुग्ध संघ शिकारपुर (हरिद्वार) के डेयरी इंचार्ज राजेंद्र सिंह की शिकायत के आधार पर हुई है। उत्तराखण्ड के अपर सचिव सुरेश चंद्र जोशी द्वारा इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए विकास विभाग हल्द्वानी (नैनीताल) को दिए गए आदेशों में एफटीआई मशीन के आंकड़ों के विपरीत दुग्ध समितियों की टैªक सीट में फैट एवं एसएनएफ की मात्रा बढ़ाकर दुग्ध समितियों को अवैध लाभ पहुंचाए जाने की पुष्टि की है। जिसके आधार पर अपर सचिव सुरेश चंद्र जोशी ने डेयरी विकास निदेशालय में उपनिदेशक डीपी सिंह को 12 जनवरी 2024 को उनके दायित्वों से तत्काल प्रभाव से मुक्त कर दिया है।
इसके अलावा दूसरा मामला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड देहरादून के प्रधान प्रबंधक नरेंद्र सिंह डंुगरियाल का है। डंुगरियाल पर ऋषिकेश दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड का भी अतिरिक्त प्रभार था। डुगरियाल पर डेयरी फेडरेशन के निदेशक संजय कुमार द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया है। जबकि 9 जनवरी 2024 को डुगरियाल पर कार्यवाही करते हुए देहरादून के मुख्य विकास अधिकारी झरना कमठान द्वारा उन्हें सहायक निदेशक डेयरी विकास विभाग पिथौरागढ़ में योगदान करना सुनिश्चित किया है। इसी के साथ ही आंचल दुग्ध फैक्टरी रायपुर (देहरादून) पर भी 50 हजार का जुर्माना लगाया गया है।
डुंगरियाल के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई 4 जनवरी 2023 को लिए गए दूध के नमूने के आधार पर की गई है। यह नमूना आंचल गोल्ड के फुलक्रीम दूध का था जिसे रूद्रपुर की खाद्य विश्लेषण प्रयोगशाला में जांचा गया। दूध के इस नमूने में हानिकारक पदार्थ मेलामाइन मानको से अधिक पाया गया था।
क्या होता है मेलामाइन
मेलामाइन एक कार्बन आधारित रसायन होता है जो आमतौर पर नाइट्रोजन से समृद्ध सफेद क्रिस्टल के रूप में पाया जाता है। व्यापक तौर पर मेलामाइन का प्रयोग प्लास्टिक, गोंद, काउंटरटॉप्स और व्हाइट बोर्ड आदि बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन बाद में इसे दूध और डेयरी उत्पादों में मिलावट करने के लिए प्रयोग किया जाने लगा। कई बार दूध की मात्रा को बढ़ाने के उद्देश्य से उसमें पानी मिला देते हैं। जिससे दूध में प्रोटीन की मात्रा काफी कम हो जाती है। इस प्रोटीन की मात्रा को संतुलित करने के लिए दूध में मेलामाइन मिलाया जाता है। कुछ जानवरों पर इस चारे को टेस्ट करने पर पता चला कि ये जानवरों को बीमार कर रहा था और कुछ जानवरों की मृत्यु का कारण भी बना।
चाइनीज मिल्क स्कैंडल
एक जानकारी के अनुसार चाईना के अलावा अमेरिका और साउथ अफ्रीका से भी जानवरों के किडनी फेलियर और मृत्यु की खबरें आई और इन सबका संबंध चाइना के मेलामाइन वाले ग्लूटीन से पाया गया। मार्च 2007 तक सैंकड़ों पालतू जानवरों की मृत्यु की खबरें आ चुकी थीं। कई अपुष्ट खबरों ने तो ये संख्या हजारों में बताई थी। कई देशों में उन उत्पादकों को वापस मंगाया गया जिनमें मेलामाइन की मिलावट पाई गई थी। यहां तक कि कनेडियन फूड कंपनी ‘मेनू फूड’ ने भी अपने प्रोडक्ट बाजार से वापस मंगा लिए थे। बताया जाता है कि चीन में तीन लाख से अधिक बच्चे इस दूध को पीकर बीमार पड़े थे जिसके चलते 2008 में चीन सरकार ने इस मिलावटखोरी को पकड़ लिया। इतिहास में इस घटना को 2008 ‘चाइनीज मिल्क स्कैंडल’ के नाम से जाना जाता है।
कितने मेलामाइन की है परमिशन
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने 2016 में एक कानून बनाकर भारत में बिकने वाले दूध में मेलामाइन को कानूनी मान्यता दी थी। इसके अंतर्गत इंफेंट फॉर्मूला बनाने वाली कोई भी कंपनी अपने मिल्क पाउडर में 1 मिलीग्राम मेलामाइन मिला सकती है। लिक्विड मिल्क में ये लिमिट 15 मिलग्राम/लीटर की है। बाकी सभी खाद्य पदार्थ में ये 2.5 मिलीग्राम/किलो के हिसाब से मिलाया जा सकता है। जिसे गलत नहीं माना गया है। लेकिन इससे ऊपर एक माइक्रोग्राम की मात्रा में भी मेलामाइन का पाया जाना सेहत पर बहुत ही खतरनाक असर डालता है। ‘दि संडे पोस्ट’ ने अपने अंक 30 में ‘दागदार हुआ आंचल’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था जिसमें रूद्रपुर स्थित प्रयोगशाला का वह सबूत भी उजागर किया था जिसमें दूध का नमूना फेल हो गया था। इस नमूने में दूध में मेलामाइन की मात्रा 2 ़8 पाई गई थी। मतलब यह कि जो मेलामाइन 2.5 होना था वह 2.8 तक पाया गया था।
सेहत पर मेलामाइन का हमला
वैज्ञानिक प्रयोगों में भी सिद्ध हो चुका है कि मेलामाइन एक बहुत खतरनाक किस्म का जहर है। इसकी माइक्रोग्राम मात्रा भी किडनी की कोशिकाओं को डैमेज कर नष्ट कर देती है। इससे किडनी फेल हो जाती है और तमाम तरह की अन्य बीमारियां लग जाती हैं। मेलामाइन के कण गुर्दों में जमा हो जाते हैं और सफेद टाइल्स के जैसी पथरी बनाते हैं। इसके संपर्क में आने वाली कोशिकाएं आरओएस नामक केमिकल बनाती है जो कैंसर पैदा करती है। दूध में मेलामाइन मिले होने की पहचान यह है कि धूप में रखने पर दूध का पैकेट फूलकर गुब्बारा हो जाता है।
मिलावटखोरी पर पुलिस में शिकायत
दुग्ध एवं डेयरी विभाग के भ्रष्टाचार पर मुखर होने वाले याचिकाकर्ता और समाजसेवी भुवन चंद्र पोखरिया ने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार को एक शिकायती पत्र सौंपा है। जिसमें उन्होंने आंचल दुग्ध फैक्ट्री पर दुग्ध में मेलामाइन एवं एल्कोहल मिलाने और जनता के जीवन से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। इसकेे लिए उन्होंने डेयरी विकास विभाग के वर्तमान मंत्री सौरभ बहुगुणा सहित यूसीडीएफ के प्रशासक और दुग्ध संघ नैनीताल के निर्वतमान अध्यक्ष मुकेश बोरा, विभाग के सचिव डॉ ़वीबीआर पुरुषोत्तम एवं आईएएस अधिकारी मीनाक्षी सुदंरम तथा नैनीताल दुग्ध संघ लालकुआं में सामन्य प्रबंधक निर्भय नारायण सिंह को सीधे तौर पर दूध में मिलावट कर मानव जीवन से स्वास्थ्य संबंधी खिलावाड़ करने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए सभी के खिलाफ आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
गुमराह कर रहे मुकेश बोरा

नीताल दुग्ध सहकारी संघ के निवर्तमान अध्यक्ष और डेयरी फेडरेशन के प्रशासक मुकेश बोरा को दूध में मेलामाइन पाए जाने के प्रकरण पर या तो पूरी जानकारी नहीं है या वह जानबूझकर गुमराह कर रहे है। उनका कहना है कि मेलामाइन मामले में रूद्रपुर वाली लेब की जांच रिपोर्ट से वह संतुष्ट नहीं है इसके चलते ही दूध के सैंपल की एक ओर जांच हो रही है। लेकिन सच्चाई यह है कि दूध के सैंपल में मेलामाइन की दूसरी जांच रिपोर्ट भी कराई जा चुकी है। चौंकाने वाली बात यह है कि दूसरी जांच रिपोर्ट में दूध में मेलामाइन की उपस्थिति पहली जांच रिपोर्ट से अधिक आई है।
देहरादून के अपर जिलाधिकारी राम जी शरण शर्मा ने। शर्मा द्वारा 18 अक्टूबर 2023 को दिए गए एक आदेश में इस कृत्य के लिए दुग्ध

मेलामाइन की दोनों जांच रिपोर्ट में अपर जिलाधिकारी देहरादून के आदेश
उत्पादक सहकारी समिति लिमिटेड रायपुर (देहरादून) में महाप्रबंधक नरेंद्र सिंह डुंगरियाल को अधिनियम की धारा 26 एवं 27 का उल्लंघन में दोषी मानते हुए धारा 51 के तहत दंडनीय अपराध माना है। इसी के साथ 50 हजार रूपये का अर्थदंड दुग्ध सहकारी समिति आंचल दुग्ध फैक्टरी रायपुर (देहरादून) से वसूल करने के आदेश दिए है। अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) राम जी शरण शर्मा ने आपने आदेश में लिखा है कि ‘‘मैने खाद्य सुरक्षा अधिकारी के तर्को को सुना। खाद्य सुरक्षा अधिकारी नगर निगम देहरादून का तर्क है कि कारोबारकर्ता उक्त उत्पादक फुलक्रीम मिल्क (आंचल गोल्ड) को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम-2006 एवं विनियम 2011 के अनुरूप न होने के संदेह पर नियमानुसार नमूना खाद्य विश्लेषक रुद्रपुर भेजा गया। खाद्य विश्लेषक की रिपोर्ट के अनुसार उपरोक्त खाद्य पदार्थ आंचल गोल्ड मिल्क में मेलामाइन पदार्थ अधिकत 2.5 के पीपीएम स्थान पर 2.58 पीपीएम पाया गया।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी नगर निगम के तर्को को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा खाद्य पदार्थ का नमूना नियमानुसार लिया गयां उक्त नमूना की नियमानुसार जांच खाद्य विश्लेषक, राजकीय खाद्य एवं औषधि विश्लेषण प्रयोगशाला, रुद्रपुर जिला ऊधमसिंहनगर से करायी गई। खाद्य विश्लेषक, राजकीय खाद्य एवं औषधि विश्लेषण प्रयोगशाला, रूद्रपुर जिला ऊधमसिंह नगर उत्तराखण्ड की रिपोर्ट के द्वारा उक्त नमूना जांच में अधोमानक पाया गया। दूसरी ओर प्रतिवादी द्वारा प्रार्थना पत्र दिनांक 16/08/2023 में दोषमुक्त किए जाने के आधार पर वाद को समाप्त करने की प्रार्थना की है।
इस प्रकार वादी और विपक्षी के लिखित तर्क तथा बहस सुनने के उपरांत पत्रावली का परिशीलन एवं मनन किया गया। चूंकि वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा नमूने को विहित प्रक्रिया से लिया गया है। रैफरल लेब की रिपोर्ट दिनांक 20/04/2023 के अनुसार डमसंउपदम की मात्रा निर्धारित 2 ़5 एमजी/किलो ग्राम सापेक्ष 2 ़987 एमजी किलोग्राम पाई गई। चूंकि रैफरल खाद्य प्रयोगशाला गाजियाबाद की रिपोर्ट प्रमाणित एवं अकाट्य रिपोर्ट है, जो कि साक्ष्य में ग्रहय है तथा इस रिपोर्ट न तो कोई आपत्ति उठायी गयी है और न ही इस रिपोर्ट में कोइ्र संदेहास्पद अंतर्वस्तु है। अतः सिद्ध है कि प्रतिवादी द्वारा अधिनियम की धारा 26 व 27 का उल्लंघन किया है जो धारा 51 के अंतर्गत दंडनीय है।’’
बात अपनी-अपनी
मेरा दुग्ध संघ और डेयरी विभाग से कोई नाता नहीं है। मैं नहीं जानता कि मेरे खिलाफ क्यों शिकायत की गई है।
आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव मुख्यमंत्री
हमारे यहां शिकायत प्रकोष्ठ है जिसमें शिकायतों का निपटारा किया जाता है। शिकातय की जांच कराने के बाद नियमानुसार उस पर कार्रवाई होती है। पोखरिया की शिकायत पर भी न्याय संगत कार्रवाई की जाएगी।
अभिनव कुमार, पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड
दूध में मेलामाइन नहीं मिलाई जाती है। दूध में प्राकृतिक रूप से मेलामाइन होती है। वह 2 ़5 तक होती है। रिपोर्ट में जो आई है वह 2 ़58 है। लैब में कभी-कभी ऊपर-नीचे हो जाता है। इतना बड़ा मामला नहीं है यह। रूद्रपुर लैब की रिपोर्ट से हम संतुष्ट नहीं है। डुंगरियाल पर क्यों एक्शन हुआ यह आप संबंधित अधिकारी से पूछिए। अभी दूसरी जांच आनी बाकी है। पोखरिया द्वारा की गई शिकायत मेरी जानकारी में नहीं है। बीसी पोखरिया भ्रष्टाचारी है, वह बलात्कार के केस में जेल के अंदर जा चुका है। निकालनी है तो उनकी खबर लगाएं। मैं आज भी कह रहा हूं वह ब्लेैकमेलर है। उसका तो धंधा है फर्जी आरोप लगाकर पैसा ऐंठने का।
मुकेश बोरा, निवर्तमान अध्यक्ष दुग्ध संघ नैनीताल एवं प्रशासक डेयरी फेडरेशन
पढ़िए अगले अंक में नैनीताल दुग्ध संघ लालकुआं में दूध के टैंकरों में चोरी और घटतोली की कहानी।

