सीमांत की भागीरथी बिष्ट को संघर्ष और अभाव विरासत में मिला। महज तीन वर्ष की आयु में भागीरथी के पिता की असमय मृत्यु हो गई थी। जिस कारण भागीरथी के पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। जैसे-तैसे परिस्थियों से लड़कर होश संभाला और कभी भी हार नहीं मानी। भागीरथी आने वाले समय में अपनी रफ्तार से दुनिया को हतप्रभ करने की तैयारी कर रही हैं। महज 22 साल की इस बालिका को स्थानीय लोग फ्लाइंग गर्ल के नाम से पुकारते हैं। भागीरथी जम्मू- कश्मीर, चंडीगढ़, अमृतसर, दिल्ली, नोएडा, ऋषिकेश में मैराथन जीत चुकी हैं। हैदराबाद मैराथन जीतने के बाद भागीरथी ने कहा कि उनका सपना देश के लिए ओलम्पिक में सोने का तमगा जीतना है

  •     संजय चौहान

आज बात पहाड़ की एक होनहार प्रतिभाशाली बिटिया की। उत्तराखण्ड के सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लॉक के वाण गांव की भागीरथी आने वाले समय में अपनी रफ्तार से दुनिया को हतप्रभ करने की तैयारी कर रही हैं। महज 22 साल की इस बालिका को स्थानीय लोग फ्लाइंग गर्ल के नाम से पुकारते हैं। 25 अगस्त को तेलंगाना के हैदराबाद शहर में 42 किलोमीटर की ओपन मैराथन को भागीरथी विष्ट ने 3 घंटे 15 मिनट 15 सेकेंड में पूरा करके तृतीय स्थान प्राप्त कर ट्रॉफी और 2 लाख रुपए की नगद धनराशि पुरस्कार में जीती। इससे पहले भागीरथी जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़, अमृतसर, दिल्ली, नोएडा, ऋषिकेश में मैराथन जीत चुकी हैं। हैदराबाद मैराथन जीतने के बाद भागीरथी ने कहा कि उनका सपना देश के लिए ओलम्पिक में सोने का तमगा जीतना है।

बेहद संघर्ष और अभावों में बीता जीवन

हिमालय के अंतिम वाण गांव की रहने वाली भागीरथी बिष्ट को संघर्ष और अभाव विरासत में मिला। महज तीन वर्ष की छोटी आयु में भागीरथी के पिता की असमय मृत्यु हो गई थी। जिस कारण भागीरथी के पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। जैसे-तैसे परिस्थियों से लड़कर होश सम्भाला और कभी भी हार नहीं मानी। भागीरथी पढ़ाई के साथ-साथ घर का सारा काम खुद करती थी। यहां तक कि अपने खेतों में हल भी लगाया करती थी। मन में बस एक ही सपना है कि ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना और अपने गांव, राज्य, देश, कोच का नाम रोशन करना है। चाहे इसके लिए कोई भी कठिन प्रशिक्षण क्यों न करना पडे़।

सर्वप्रथम स्कूल ने पहचानी थी प्रतिभा

फ्लाइंग गर्ल भागीरथी की प्रतिभा को सर्वप्रथम राजकीय इंटर कॉलेज वाण के शिक्षकों ने पहचाना। स्कूल के सभी शिक्षकों ने भागीरथी को
प्रोत्साहित किया और हौंसला बढाया। स्कूल में भागीरथी हर खेल कब्बड्डी से लेकर खो-खो, बॉलीबाल, एथलेटिक्स में हमेशा अव्वल आती थी। जिस कारण स्कूली खेलों में जिले में वह प्रथम स्थान पर आती थी और राज्य स्तर पर किन्हीं कारणों से पिछड़ जाती थी पर भागीरथी ने कभी भी अपना हौंसला नहीं खोया और न हार मानी। राजकीय इंटर कॉलेज वाण के प्रधानाचार्य गजेंद्र अग्निहोत्री कहते हैं कि ‘भागीरथी में ओलंपिक खेलों में पदक जीतने का हौंसला और जज्बा है। स्कूल की खेलकूद प्रतियोगिता में वो लड़कों को भी पटकनी दे देती थी। मुझे पूरा विश्वास है कि एक दिन वो स्कूल ही नहीं गांव, जनपद, राज्य और देश का नाम ऊंचा करेगी। पहाड़ों में अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए सुविधाएं नहीं के बराबर हैं इसलिए यहां की प्रतिभाएं आगे नहीं बढ़ पाती हैं। हमें अपनी प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर देना है तो उन्हें समुचित सुविधाएं देनी होंगी।’ इसी साल भागीरथी ने राजकीय इंटर कॉलेज वाण से 12वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। कोरोना की वजह से आगे की पढ़ाई के लिए उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कहां पढ़ाई करना है क्योंकि घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी की वो बडे़ स्कूल में एडमिशन ले सके।

सुनील शर्मा ने पहचानी काबिलियत
अंतरराष्ट्रीय एथलीट और ग्रेट इंडिया रन फेम सुनील शर्मा जिन्हें सिरमौरी चीता भी कहा जाता है 5 साल पहले उत्तराखण्ड में ऊंची पर्वतमाला पर प्रैक्टिस करने के उद्देश्य से वाण गांव आये थे। यहीं उनकी मुलाकात फ्लाइंग गर्ल भागीरथी से हुई। वाण गांव से उन्होंने महज 36 घंटे में सबसे कठिन रोंटी रूट को बिना रूके और बिना संसाधनों के नाप कर एक रिकॉर्ड बनाया। जहां लोगों की सांसें जवाब देने लग जाती हैं वहां सुनील शर्मा और भागीरथी ने इतनी ऊंचाई को आसानी से पार एक अदभुत मिसाल पेश की है। सिरमौरी चीता भागीरथी की क्षमता और प्रतिभा के कायल हो गए और अपने साथ नाहन चलने का प्रस्ताव रखा तो भागीरथी को सहसा विश्वास ही नहीं हुआ। उसकी तो बिना मांगे ही मुराद पूरी हो चुकी थी। उसने वहां जाने की हामी भरी। फिर अपने भाइयों के संग वो अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स के साथ नाहन पहुंची और कॉलेज में दाखिला ले वहां से स्नातक की पढ़ाई के साथ एथलेटिक्स की तैयारी भी जारी रखी। इस दौरान भागीरथी ने हिमाचल में कई प्रतियोगिताओं में सफलता के नए कीर्तिमान हासिल किए।

पौड़ी में कर रही हैं तैयारी
हिमाचल में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद भागीरथी इन दिनों खेल विभाग के तत्वाधान में पौड़ी में एथलेटिक्स की तैयारी कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स सुनील शर्मा कहते हैं कि भागीरथी में प्रतिभा कूट-कूटग्रकर भरी है। उन्हंे उम्मीद है कि भागीरथी एक दिन ओलम्पिक में प्रतिभाग करंेगी और पदक जीतने में सफल होंगी।

इन प्रतियोगिताओं में लहरा चुकी हैं जीत का परचम
1. 2024 तेलंगाना के हैदराबाद शहर में 42 किलोमीटर की ओपन मैराथन को भागीरथी बिष्ट ने 3 घंटे 15 मिनट 15 सेकेंड में पूरा करके तृतीय स्थान प्राप्त कर ट्रॉफी और 2 लाख रुपए की नगद धनराशि पुरस्कार स्वरूप जीती।

2. अमृतसर में 42 किमी बोर्डरमेन मैराथन में प्रथम स्थान, पुरस्कार में 50 हजार की धनराशी प्राप्त की।

3. जवाहरलाल नेहरू माउंटिनेटिंग इंस्टीट्यूट-विंटर स्कूल और कश्मीर टूरिज्म की ओर से आयोजित 11 किलोमीटर की लिडरवेट ट्रेल
मैराथन में प्रथम स्थान हासिल किया।

4. 2023 ऋषिकेश 50 किमी में प्रथम स्थान और 50 हजार की धनराशि अर्जित की।

5. चंडीगढ़ हॉफ और फुल मैराथन में प्रथम स्थान और 11-11 हजार की धनराशि अपने नाम की।

6. दिल्ली गुड़गांव मैराथान में प्रथम स्थान और 11 हजार की धनराशि जीती।

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