Country

जमींदोज हुई आकाश की उड़ान

बसपा प्रमुख मायावती ने अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी आकाश आनंद को बीच चुनाव पार्टी के सभी पदों से मुक्त करने का हैरतनाक कदम उठाया है। चर्चा है कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह आकाश द्वारा भाजपा को आतंक की सरकार और सीधे प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लिए जाने से खफा थीं। कहा यह भी जा रहा है कि बहनजी को ईडी और सीबीआई का भय सताने लगा था

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती कड़े फैसले लेने के लिए जानी जाती हैं। पिछले साल के अंत में उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक और अपना उत्तराधिकारी घोषित कर यह कहा था कि वह आनंद के सहारे पार्टी को आगे बढ़ाएंगी। लेकिन अब आम चुनाव के बीच बसपा की कुंद हो चुकी राजनीति को तेज धार के साथ आगे बढ़ा रहे आकाश को इन दोनों पदों से हटा दिया है। यहां तक कि उनकी चुनावी सभाओं पर भी रोक लगाकर मायावती ने आकाश की उड़ान पर फिलहाल ब्रेक लगा दिए हैं।

चुनावी सभा को संबोधित करते आकाश आनंद

इस कदम से हर कोई हतप्रभ है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे नाराज मायावती ने इतना बड़ा फैसला ले लिया। सवाल उठ रहे हैं कि चुनाव के बीच बसपा में इस बड़े फेरबदल के क्या कारण हैं। आकाश आनंद को जब लॉन्च किया गया, खासकर उत्तर प्रदेश में तो उन्हें काफी लोकप्रियता मिल रही थी। लोग उन्हें सुनने के लिए उनकी सभाओं में आ रहे थे। सभी को लग रहा था कि बसपा अपने खोए हुए जनाधार को वापस हासिल कर रही है। लेकिन अचानक इस कदम की जरूरत क्यों पड़ी? मायावती का कहना है कि आकाश अभी परिपक्व नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यही इकलौती वजह है कि जो अपने घोषित उत्तराधिकारी से हाथ खींच लिए? जबकि आनंद को उत्तराधिकारी बनाए जाने और उनके तेवरों को लेकर देश की राजनीति में काफी चर्चा हो रही थी।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आकाश के जरिए बसपा अपनी पुरानी लोकप्रियता पर वापस आते दिखने लगी थी। लेकिन उनके विवादित बयानों से ऐसी हलचल मची कि पार्टी प्रमुख को पार्टी का नुकसान नजर आने लगा। पार्टी पिछले दो दशक से जिस सोशल इंजीनियरिंग पर काम कर रही थी इन बयानों से वो कमजोर होती दिखी तो मायावती नाराज हो गईं। उन्हें लगा कि आकाश की भाषा शैली पार्टी लाइन से मेल नहीं खा रही है। यही नहीं कुछ जानकारों का कहना है कि पार्टी भीतर भी आनंद के बयानों को लेकर सहजता नहीं थी और इस फैसले के जरिए यह राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है कि बसपा कीचड़ उछाल की राजनीति नहीं करती है। हालांकि यह पहला मामला नहीं है जब मायावती ने ऐसा फैसला लिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी परिवारवाद का आरोप लगने के बाद अपने भाई आनंद कुमार को पद मुक्त कर यह संदेश देने का काम किया था कि उनके लिए परिवार से ज्यादा पार्टी जरूरी है।

आतंक की सरकार ने मचाई खलबली

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले आकाश आनंद ने एक चुनावी सभा में भाजपा सरकार को ‘आतंक की सरकार’ करार दिया था, जिसके बाद उन पर एफआईआर भी दर्ज हो गई है। इसके अलावा दो-तीन जगहों पर बयान देते समय वे इतने जोश में आ गए कि उनके मुंह से गाली जैसे शब्द निकल पड़े। आवेश में दिए उनके बयानों की भी काफी आलोचना हो रही थी जिसमें ‘जूते मारने का मन करता है’ जैसे बयान शामिल हैं।

माना जा रहा है कि आकाश आनंद के इन बयानों ने मायावती को नाराज कर डाला। जिस तरह की राजनीति मायावती करती रही हैं और जिस तरह के बयान वह देती आई हैं उसमें आकाश

पद से इस्तीफे के बाद आकाश

की भाषा-शैली फिट नहीं हो रही थी। यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी के भीतर एक बड़ा धड़ा आकाश के इन बयानों से नाराज था। आकाश आनंद बीएसपी में एक सौम्य चेहरा लेकर आए थे। एक विदेश से पढ़कर आया हुआ युवा चेहरा जो पार्टी को बदल सकता था। शुरुआत में वह काफी सौम्यता से बातें कर रहे थे लेकिन जब वह भीड़ के सामने आए तो कई बार आपा खोते नजर आए जो उन्हें उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाने के फैसले को वापस लेने के पीछे की अहम वजह हो सकती है। कहा जाए तो एक तरह से आकाश अपने जिन आक्रामक तेवरों की वजह से लोकप्रिय हो रहे थे, वही उनको भारी पड़ गए। खुद मायावती ने उनको आगे बढ़ाया। कई साल तैयारी के बाद लोकसभा चुनाव में उनको बड़े नेता के तौर पर प्रमोट किया। पहली बार चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने उतरे आकाश विरोधियों पर काफी हमलावर दिखे। यूपी में वे ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे थे और बड़े ही आक्रामक अंदाज में शिक्षा, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे उठाकर युवाओं का दिल जीतने की कोशिश में भरसक प्रयास में जुटे थे। लखनऊ के अंबेडकर विश्वविद्यालय से लेकर पेपर लीक का मुद्दा भी उन्होंने उठाया। आकाश का यह अंदाज युवाओं को आकर्षित कर रहा था। लेकिन सीतापुर में हुई रैली के बाद से मायावती ने उनकी इस उड़ान पर ब्रेक लगा दिया।

बीते 28 अप्रैल को सीतापुर में रैली में आकाश के तेवर कुछ ज्यादा ही आक्रामक नजर आए। उन्होंने मंच से चुनाव प्रचार करते हुए भाजपा को आतंकियों की पार्टी कह दिया। इसके साथ ही उन्होंने सत्ताधारी पार्टी से सवाल पूछने और काम ना होने पर चप्पल, जूता और लाठी तैयार रखने जैसी टिप्पणी भी कर डाली। चुनाव आयोग तक को नहीं बख्शा।

आकाश आनंद ने क्या बोला?

‘साथियो, भाजपा की सरकार बुलडोजर की नहीं, बल्कि आतंकवादियों की सरकार है। अपनी आवाम को गुलाम बनाकर रखा है। ऐसी सरकार का समय आ गया है खत्म होने का। और चुनाव में बसपा की सरकार बनाकर बहनजी को प्रधानमंत्री बनाइए। ऐसी सरकार जो शिक्षा और रोजगार नहीं दे सकती, ऐसी सरकार को कोई भी हक नहीं है आपके बीच में आने का। अगर ऐसे लोग आपके पास आएं तो जूता निकालकर रेडी कर दीजिएगा।’ वोट की जगह जूता मारिएगा। वो यहीं नहीं रुके। इसके बाद उन्होंने आगे कहा कि ‘अगर चुनाव आयोग को हमारी बात बुरी लग गई हो और अगर ऐसा लग रहा हो कि हमें तालिबान और आतंकी जैसे शब्द नहीं कहना चाहिए था तो दरख्वास्त है कि यहां आकर गांवों में बहन-बेटियों की स्थिति देख लें तो वो खुद समझ जाएंगे कि जो हमने कहा वो सत्य है।’ प्रधानमंत्री जी ने रोजगार पर बात कहते हुए कहा था कि ‘नौकरी नहीं है तो क्या हुआ, पकौड़ा तलो। आप ही बताइए बच्चों को इतनी पढ़ाई-लिखाई करवाकर क्या आप पकौड़ा तलवाएंगे? बहुजन समाज पकौड़े तलने के लिए नहीं पैदा हुआ है। वह पढ़-लिखकर भारत के संविधान को आगे बढ़ाएगा।’

अंतिम सांस तक लड़ता रहूंगा

बहुजन समाज पार्टी के नेता आकाश आनंद ने गाज गिरने के बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हुए मायावती को बहुजन समाज का आदर्श करार देते हुए आदेश को सिर माथे पर रखा है। इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि समाज के लिए अंतिम सांस तक लड़ता रहूंगा। ‘आदरणीय बहन मायावती जी, आप पूरे बहुजन समाज के लिए एक आदर्श हैं। करोड़ों देशवासी आपको पूजते हैं। आपके संघर्षों की वजह से ही आज हमारे समाज को एक ऐसी राजनीतिक ताकत मिली है जिसके बूते बहुजन समाज आज सम्मान से जीना सीख पाया है।’ भीम मिशन और अपने समाज के लिए मैं अपनी अंतिम सांस तक लड़ता रहूंगा। जय भीम, जय भारत।

…तो मायावती ने इसलिए लिया ये फैसला

आकाश आनंद पार्टी में एक नए ध्रुव के तौर पर उभर रहे थे, जिससे कई बड़े नेता असहज थे जिस तरीके से आकाश की जनसभाओं की मांगें बढ़ने लगी थी उससे कई बड़े नेताओं में सुरक्षा की भावना भी घर कर रही थी। चर्चा यह भी है कि आकाश की रैलियां मायावती की रैलियों से ज्यादा डिमांड में थे जिससे मायावती के करीबी नेताओं का एक वर्ग नाराज था और लगातार मायावती से शिकायत कर रहा था। लेकिन अंदर खाने एक चर्चा यह भी है कि मायावती किसी भी सूरत में अपने भविष्य को मुकदमों में फंसा नहीं देखना चाहती थीं। इस लिहाज से मायावती ने फिलहाल आकाश को दूर करने का फैसला लिया है। मायावती ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से हटाते हुए यह लिखा है कि फिलहाल उनकी अपरिपक्वता को देखते हुए फैसला लिया जा रहा है। यानी मायावती ने आगे के रास्ते आकाश के लिए बंद नहीं किए हैं, बल्कि कुछ वक्त के लिए उन्हें बीएसपी की मुख्य धारा की सियासत से अलग किया है ताकि भविष्य के अपने इस चेहरे को बचाया जा सके।

क्या मायावती ने दबाव में लिया फैसला?
अपने भतीजे आकाश आनंद को पद मुक्त किए जाने पर विपक्ष ने बसपा के इस कदम को लेकर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता सुरेंद्र सिंह राजपूत ने कहा, ‘बसपा प्रमुख ने जिस तरह से आकाश को पार्टी समन्वयक पद से हटाया है, वह बेहद चौंकाने वाला है। क्या आपने ये कदम बीजेपी के किसी दबाव में उठाया? हालांकि यह आपकी पार्टी का आंतरिक मामला है, आपको इस बारे में स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए। वहीं समाजवादी पार्टी के नेता फखरुल हसन चांद ने आरोप लगाया कि बसपा और भाजपा एक ‘अघोषित गठबंधन’ में हैं। जिस तरह से आकाश को उनके पद से हटाया गया उससे यह साबित हो गया है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD