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 जनरल रावत बनेंगे चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ !

 

2015 में नौसेना के विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर सवार होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कंबाइंड कमांडर्स कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि  “संयुक्त रूप से शीर्ष अधिकारी की ज़रूरत लंबे समय से बनी हुई है। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को तीनों सेनाओं के कमांड का अनुभव होना चाहिए। हमें वरिष्ठ सैन्य प्रबंधन में सुधार की भी ज़रूरत है। अतीत में दिए गए कई सैन्य सुधार के प्रस्तावों को लागू नहीं किया जा सका है। यह दुखद है। मेरे लिए यह प्राथमिकता का विषय है। ”

इसके तीन साल बाद गत 15 अगस्त को लालक़िले से प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सैन्य ढांचे के सर्वोच्च पद के लिए चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टॉफ़ (सीडीएस) की नियुक्ति की घोषणा कर दी हैं। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के 39 सेकेंड में इस मसले पर सरकार के संशय को ख़त्म कर दिया । हालांकि सीडीएस कैसे नियुक्त होगा, कैसे काम करेगा और उसकी ज़िम्मेदारी क्या होगी, इसको लेकर अभी स्पष्टता नहीं है। विश्लेषकों का मानना है कि यह पद थल सेना, नौ सेना और वायु सेना के किसी वरिष्ठ अधिकारी को मिल सकता है। जिसके लिए तीन अधिकारियो के नाम चर्चा में है। जिनमे पहले नंबर पर जनरल विपिन रावत का नाम सामने आ रहा है।

जबकि एडमिरल करमवीर सिंह और एयर मार्शल बीएस धनोआ का नाम भी इस मह्त्वपूर्ण पद के लिए चर्चा में है। इस पद पर पहली नियुक्ति के लिए थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का नाम सबसे आगे है। लेकिन देखा जाए तो  वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ तीनों सेना प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ  हैं। इस हैसियत से वह तीनों सैन्य प्रमुखों की समिति के अध्यक्ष भी हैं। जबकि धनाेआ सितंबर में रिटायर हाेंगे। इसके बाद जनरल रावत सबसे सीनियर हो जाएंगे। याद रहे कि जनरल रावत का कार्यकाल दिसंबर 2019 तक है। गौरतलब है कि सीडीएस की नियुक्ति की सिफारिश रक्षा मंत्रालय की समिति करेगी।

फ़िलहाल प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कैबिनेट की नियुक्ति समिति इस पर अंतिम मुहर लगाएगी। सीडीएस की व्यवस्था बनते ही चेयरमैन चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का पद समाप्त हो जाएगा। अभी तीनों सेना प्रमुखाें में से सबसे सीनियर काे यह पद मिलता है। सीडीएस की रिपाेर्टिंग रक्षा मंत्री व पीएम के नेतृत्व वाली रक्षा मामलाें की कैबिनेट कमेटी काे हाेगी। सूत्रों के अनुसार सीडीएस का पद बनाने पर पीएमओ, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटरिएट व रक्षा मंत्रालय के बीच दो महीने से विचार विमर्श चल रहा था।

 

उल्लेखनीय है कि जनरल बिपिन रावत दिसंबर 1978 में कमीशन अधिकारी (11 गोरखा राइफल्स) बने थे ।  वह 31 दिसंबर 2016 से थलसेना प्रमुख हैं। करीब साढ़े चार महीने बाद रिटायर हों जायेंगे। उन्हें पूर्वी सेक्टर में असली नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी व पूर्वोत्तर में कामकाज का खासा अनुभव रहा है। 

 

एडमिरल करमबीर सिंह जुलाई 1980 में कमीशन अधिकारी बने थे। वह 31 मई 2019 से नौसेना प्रमुख हैं। वह नवंबर 2021 में रिटायर होंगे। तीनों सेना प्रमुखों में सबसे कम उम्र के हैं। यहां यह भी बताना जरुरी है की सेना प्रमुखों का कार्यकाल तीन वर्ष या 62 वर्ष की आयु (जो भी पहले आए) तक होता है।

जबकि एयर मार्शल बीएस धनोआ जून 1978 में कमीशन अधिकारी बने थे। वह 1 जनवरी 2017 से वायुसेना प्रमुख हैं और अगले महीने रिटायर होंगे। एयर मार्शल धनोआ 1 जून 2019 से तीनों सेना प्रमुखों की समिति (सीओएससी) के चेयरमैन भी हैं।

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