गोरखा समुदाय के लोगों को केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण दिए जाने की मांग लगातार जारी है। इस समुदाय के अंतर्गत आने वाली पांच उपजातियों चंद, शाही, मल, बम एवं खनका के लोगों का कहना है कि एक केंद्रीय अधिसूचना को आधार बनाकर जनपद पिथौरागढ़ की एक बड़ी आबादी को अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रमाण पत्र जारी न कर उन्हें केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण के लाभ से वंचित किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ इसी समुदाय की कुछ जातियां केंद्रीय सेवाओं का लाभ उठा रही हैं। यानी एक अधिसूचना के चलते एक ही समुदाय के कुछ जातियां केंद्र की सेवाओं के लाभ से वंचित हो रही हैं। राज्य में इन उपजातियों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है। सवाल यह है कि जब गोरखा समुदाय की इन उपजातियों को राज्य सरकार की सेवाओं में आरक्षण मिल रहा है तो फिर केंद्रीय सेवाओं से इन्हें वंचित करने का क्या आधार है? ऐसे में इन उपजातियों से जुड़े लोगों का कहना है कि उन्हें केंद्रीय सेवाओं में भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में गोरखा समुदाय की आर्थिक व सामाजिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2003 में उत्तराखण्ड की तत्कालीन सरकार ने कैबिनेट में एक प्रस्ताव पास किया जिसमें अनुच्छेद 82 के तहत उत्तराखण्ड में निवास करने वाले गोरखा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया जिसमें पिथौरागढ़ तहसील में निवास करने वाली गोरखा समुदाय की 09 जातियों चंद, शाही, मल, बम, खनका, राना, थापा, गुरंग एवं बूड़ाथोकी को इसमें शामिल किया गया। इसके बाद से उनके अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रमाण पत्र भी जारी होने लगे और प्रदेश की सेवाओं में आरक्षण का लाभ भी उन्हें मिलने लगा लेकिन केंद्रीय सेवाओं में प्रदेश के अन्य जनपदों में प्रमाण पत्र तो जारी किए गए लेकिन तहसील पिथौरागढ़ द्वारा 16 जून 2011 में केंद्र के उस आदेश को आधार मानकर जिसमें ब्राह्माण व क्षत्रिय को इससे वंचित रखा गया था, गोरखा समुदाय की उन पांच उपजातियों चंद, शाही, मल, बम एवं खनका को प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगा दी। राज्य स्तर पर तो प्रमाण पत्र जारी हो रहे हैं लेकिन वर्ष 2018 से केंद्रीय सेवाओं के लिए यह प्रमाण पत्र जारी नहीं हो पा रहे हैं। केंद्र सरकार की अधिसूचना के तहत तहसील पिथौरागढ़ द्वारा इन जातियों को क्षत्रिय मानकर इन्हें प्रमाण पत्र देने से इंकार किया जा रहा है जबकि जिलाधिकारी स्तर पर भी कई बार तहसील प्रशासन को प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश दिए जा चुके हैं।
पूर्व जिलाधिकारी पिथौरागढ़ एच.सी. सेमवाल ने सभी तहसीलदारों को निर्देश दिए थे कि गोरखा समुदाय में शामिल चंद, शाही, मल्ल, बम, खनका जाति के लोगों को अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। हैरानी की बात यह है कि यह रोक सिर्फ पिथौरागढ़ तहसील में ही जारी है। ऐसे में गोरखा समुदाय की इन उपजातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रमाण पत्र निर्गत नहीं हो पा रहा है जिससे विरोधाभास की स्थिति बनी हुई है। हालांकि तहसील पिथौरागढ़ के इस निर्णय के खिलाफ गोरखा समुदाय के सदस्यों द्वारा उच्च न्यायालय, नैनीताल में याचिका दायर की थी। 08 जनवरी 2015 को माननीय उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में इन वंचित उपजातियों को ओबीसी प्रमाण पत्र जारी करने का फैसला सुनाया, लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो पा रहा है। इससे गोरखा समुदाय के सदस्यों में गहरी नाराजगी व अंसतोष व्याप्त है। जबकि पिथौरागढ़ में काफी संख्या में इन उपजातियों के लोग निवास करते हैं।
पिथौरागढ़ में निवासरत चंद, मल, शाही, थापा, गुरंग को राज्य सरकार की सेवाओं में आरक्षण जारी है। लेकिन वहीं केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण के लिए गोरखा समुदाय को 11 समूहों में बांटा गया। इसमें से ब्राह्माण व क्षत्रिय को छोड़कर केंद्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण का प्रावधान रखा गया है। अब पिथौरागढ़ में रहने वाली उपजातियां केंद्र की नजर में क्षत्रिय तो राज्य की नजर में अन्य पिछड़े वर्ग में आते हैं जिससे केंद्रीय सेवाओं का लाभ इन्हें नहीं मिल पा रहा है, वहीं इस समुदाय के लोगों का कहना है कि चम्पावत, ऊधमसिंह नगर व देहरादून में केंद्रीय सेवाओं में गोरखा समुदाय के लोग आरक्षण का लाभ ले रहे हैं उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रमाण पत्र भी जारी हो रहे हैं तो वहीं पिथौरागढ़ इनसे छूटा हुआ है। जबकि इसी जनपद में पूर्व में गोरखा समुदाय के 28 सदस्यों को जिलाधिकारी कार्यालय से केंद्रीय सेवाओं के लिए ओबीसी प्रमाण पत्र जारी हुए लेकिन बाद में तहसील प्रशासन ने इन पर रोक लगा दी। अब मांग है कि यह प्रमाण पत्र शीघ्र जारी किए जाएं।
गोरखा समुदाय सुधार सभा : इस सभा का काम गोरखा समुदाय में आने वाली जातियों (चंद, मल, बम, खनका, राना, गुरंग, बूढ़ाथोकी, थापा) के लोगां को जागृत करना है। उन्हें सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करना है। इसके अलावा केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण की मांग के साथ ही इस समिति ने कई सुधारवादी कदम भी उठाए हैं, जिसमें तय किया गया है कि राज्य सेवाओं में ओबीसी कोटे से नौकरी पाने वाले युवा इस सभा को वेतन का एक हिस्सा देंगे। इस धनराशि से समुदाय के कल्याण के कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे। इसके अलावा इस सुधार सभा ने तय किया है कि वह तमाम सामाजिक कार्यो में भी हिस्सेदारी करेंगे।
अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रमाण पत्र जारी न करना, गोरखा समुदाय की इन उपजातियों को आरक्षण से वंचित करने का प्रयास है, इससे इन उपजातियों के लोगों में असंतोष व्याप्त है। ये केंद्र सरकार द्वारा अनुमन्य सुविधाओं से वंचित हो रही हैं। गोरखा समुदाय की इन उपजातियों को अन्य पिछड़ा जाति प्रमाण पत्र निर्गत होने चाहिए। बार-बार अनुरोध करने के बाद भी यह प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किए जा रहे हैं। जिला पिथौरागढ़ को छोड़कर प्रदेश के सभी जिलों में केंद्रीय सेवाओं हेतु अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। हमारी मांग है कि उत्तराखण्ड राज्य की तरह ही केंद्र में भी गोरखा समुदाय को पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाए। हमारी लड़ाई लगातार जारी रहेगी।
नरेंद्र चंद, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, गोरखा समुदाय सुधार सभा

