अंततराष्ट्रीय मीडिया ने शुरुआत से कश्मीर से जुड़ी ख़बरों को प्रमुखता से प्रकाशित किया और विस्तृत संपादकीय लेख भी छापे।
इकोनॉमिस्ट ने कश्मीर की स्थिति पर अपने एक लेख में भारतीय न्यायपालिका को केंद्र में रखते हुए लगभग 940 शब्दों का एक लेख छापा है।
इसमें लिखा है कि भारत के न्यायाधीश कश्मीर में हो रहे उत्पीड़न को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।

इसमें लिखा है कि भारत के न्यायाधीश कश्मीर में हो रहे उत्पीड़न को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।
अख़बार ने पांच अक्टूबर के अंक में ‘एशिया’ सेक्शन में यह लेख प्रकाशित किया है।पांच अक्टूबर को भारत प्रशासित कश्मीर में लगी पाबंदियों और संचार माध्यमों पर लगी रोक के दो महीने पूरे हो गए।
भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने से पहले पांच अगस्त 2019 से ही राज्य में कड़ी पाबंदियां लगा दी थीं।
मोबाइल-फ़ोन-इंटरनेट पर नियंत्रण के साथ ही वहाँ बड़ी संख्या में नेताओं और अन्य लोगों को गिरफ़्तार या हिरासत में लिया गया या फिर नज़रबंद कर दिया गया।
इकोनॉमिस्ट ने कश्मीर की स्थिति पर अपने एक लेख में भारतीय न्यायपालिका को केंद्र में रखते हुए लगभग 940 शब्दों का एक लेख छापा है।

