नरेंद्र मोदी सरकार ने एअर इंडिया की 100 फीसदी का हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव पेश किया है। ये पहले से चल रहा था कि सरकार विमानन कंपनी को बेचेगी और इसका विपक्षी दलों की ओर से विरोध किया जा रहा था। बावजूद इसके सरकार ने सोमवार को इसे बेचने के लिए प्रारंभिक जानकारी वाला ज्ञापन जारी कर दिया।
बोली लगाने वाले लोगों की जानकारी सरकार 31 मार्च को जारी करेगी। सरकार की ओर से जारी बिड डॉक्यूमेंट के मुताबिक, कंपनी की सौ फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए बोली लगाई जाएगी। इसके अलावा एअर इंडिया और सीएटीएस की जॉइंट वेंचर कंपनी एआईएटीएस में मौजूद एअर इंडिया का 50 फीसदी शेयर भी बेचा जाएगा।
सरकार ने एअर इंडिया के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट यानी दिलचस्पी दिखाने वालों के लिए 17 मार्च तक का डेडलाइन जारी किया है। एअर इंडिया के लिए संभावित बिडर्स में टाटा समूह, हिंदुजा, इंडिगो, स्पाइसजेट और कई निजी इक्विटी कंपनियां शामिल हैं। इस नीलामी में शामिल होने के लिए विदेशी कंपनियां भारतीय कंपनियों से साझेदारी कर सकती हैं।
एयरपोर्ट पर विश्व स्तरीय सुविधाएं देने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत की गई थी। वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया को 8,556 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। अभी कंपनी पर 80,000 करोड़ रुपये का बकाया है। इसके अलावा उसका घाटा भी हजारों करोड़ रुपये का है।
हाल के दिनों में सरकार विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए बहुत सारे फैसले लिए हैं। घरेलू बाजार में एयर इंडिया का 12.7 फीसदी हिस्सा है। 2019 में 18.36 मिलियन पैसेंजर्स ने एयर इंडिया से उड़ान भरी थी।
बिडिंग प्रोसेस शुरू होने की इस प्रक्रिया से पहले कुछ दिन पहले स्वामी ने एअर इंडिया को बेचने की योजना पर सरकार को आगाह किया था। उनका कहना है कि इस मसले पर अभी संसदीय समिति द्वारा विचार विमर्श किया जा रहा है।
Air India disinvestment process restarts today https://t.co/72eklh9C3g: THIS DEAL IS WHOLLY ANTI NATIONAL and IWILL FORCED TO GO TO COURT. WE CANNOT SELL OUR FAMILY SILVER
— Subramanian Swamy (@Swamy39) January 27, 2020
सुब्रमण्यम स्वामी ने बिडिंग प्रोसेस शुरू होने के कुछ दिन पहले एअर इंडिया को बेचने की योजना पर सरकार को आगाह किया था। उनका कहना था कि इस मसले पर अभी संसदीय समिति में विचार विमर्श किया जा रहा है। इस समय एअर इंडिया के विनिवेश पर सलाहकार समिति के समक्ष विचार किया जा रहा है। स्मामी भी इस समिति के सदस्य हैं। स्वामी ने चेताते हुए यहां तक कहा कि अगर सरकार आगे बढ़ती है तो वो अदालत का रूख करेंगे
पिछले दो साल में एयर इंडिया को बेचने की यह दूसरी कोशिश है। इससे पहले 2018 में हुई प्रोसेस में खरीदार को कुल 33,392 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी थी। और सरकार मैनेजमेंट कंट्रोल भी अपने पास रखना चाहती थी।
साल 2018 में सरकार ने 76% शेयर बेचने के लिए बोली लगाने को कहा था, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिला। तब एयरलाइन पर कुल 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज था। एयर इंडिया को बेचने की सरकार की योजना पर चर्चा के लिए कर्मगार बैठक करेंगे।
एयर इंडिया के कुल 13,629 कर्मचारी हैं। इन कर्मचारियों के करीब 12 संगठन हैं।1932 में यह सर्विस टाटा एयरलाइन्स ने शुरू की थी। 15 अक्टूबर 1932 को जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई की फ्लाइट खुद उड़ाई थी। वे देश के पहले लाइसेंसी पायलट थे। 1946 में इसका नाम बदलकर एअर इंडिया रख दिया था।

