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हौसलों की ऊंची उड़ान: पौड़ी में पढ़ वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर बने अभिषेक

हौसलों की ऊंची उड़ान: पौड़ी में पढ़ वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर बने अभिषेक

पौड़ी में पढ़कर वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर बने अभिषेक ने पहाड़ के तमाम युवाओं को संदेश दिया है कि यदि हौसला और लगन हो तो देहरादून में कोचिंग लिए बिना भी ऊंची उड़ान भरी जा सकती है।

‘कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो शिद्दत से उछालो यारो।’ यह कहावत पौड़ी शहर के एक युवा अभिषेक पंवार पर चरितार्थ होती है जो अपने सीमित संसाधनों में पढ़ाई करके वायुसेना में ऑफिसर बने हैं। अभिषेक के पिताजी वीरेंद्र पंवार एक हंसमुख और खुशमिजाज इंसान हैं।

वीरेंद्र जिला चिकित्सालय पौड़ी में सीनियर फार्मासिस्ट के पद पर कार्यरत हैं और एक गढ़वाली जनकवि के रूप में भी विख्यात हैं। इनकी पत्नी श्रीमती विजयलक्ष्मी पंवार भी स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं। पंवार दम्पति के दो पुत्र हैं अभिषेक और अविजित।

बड़ा पुत्र अविजित बीएसएफ में बेस्ट कैडेट के रूप में चयनित हुआ और बाद में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अब बैंक ऑफ बड़ौदा में मैनेजर के पद पर तैनात हैं। छोटे पुत्र अभिषेक ने पौड़ी के सेंट थॉमस स्कूल ही पढ़ाई की और बारहवीं के बाद पौड़ी के घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज से चार वर्षीय बीटेक की डिग्री हासिल की।

उसके उपरांत दिसंबर 2017 में उनका चयन एयर फोर्स कम्बाइंड एडमिशन टेस्ट के माध्यम से एयर फोर्स के लिए हुआ। हैदराबाद के एयर फोर्स कॉलेज में डेढ़ साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद अभिषेक को पासिंग आउट परेड में भारत के वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया द्वारा वायु सेना के विंग्स पहनाए जाने पर वे वायु सेना में बतौर फ्लाइंग ऑफिसर शामिल हो गए हैं।

माता-पिता के साथ अभिषेक पंवार

यह एक छोटे शहर पौड़ी में ही पढ़े-लिखे और बिना संसाधन के एयर फोर्स के क्वालीफाइंग टेस्ट के लिए तैयारी करने वाले मजबूत हौसले वाले बालक की यह ऊंची उड़ान है, जिसने पौड़ी से पढ़ाई करके बिना किसी कोचिंग और ट्रेनिंग के इतनी बड़ी सफलता हासिल की है। दरअसल, यह पौड़ी और पहाड़ के तमाम बच्चों के लिए नजीर भी है जो यह सोचकर हतोत्साहित होते हैं कि वह देहरादून में नहीं पढ़ पा रहे हैं या उन्हें किसी बड़े पद पर चयन के लिए आवश्यक कोचिंग या ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही है।

परेड के दौरान अधिकारी संग अभिषेक

अगर आप ईमानदारी और मेहनत से कोशिश करें तो अपनी लगन और मेहनत से समाज में एक ऊंचा मुकाम हासिल कर सकते हैं। यही अभिषेक की कहानी है। अभिषेक के लिए प्रेरणा स्रोत उनके पिताजी वीरेंद्र पंवार, माताजी विजयलक्ष्मी पंवार और बड़ा भाई अविजित हैं।

साथ ही वीरेंद्र पंवार जी के छोटे भाई मनु पंवार दिल्ली में एक नामवर पत्रकार और जाने पहचाने कवि भी हैं, जबकि दूसरे भाई बलवंत पंवार शिक्षा विभाग में नौकरी के साथ-साथ एक उच्च स्तरीय उद्घोषक और कमेंटेटर के रूप में विख्यात है। पंवार परिवार का सबसे छोटा भाई अंकित पंवार भी आरसीएम बिजनेस में ऊंचा मुकाम हासिल कर रहा है।

वीरेंद्र पंवार जी के ने बड़ी तंगहाली में अपनी मेहनत और जीवट के दम पर सभी बच्चों को पढ़ाया-लिखाया जिसकी वजह से आज इस परिवार के सभी सदस्य अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर समाज में एक स्थान बना चुके हैं। दरअसल, प्रोत्साहन हमें घर से मिलता है और घर में अगर हमारे बड़े मेहनत लगन से समाज में अग्रणी स्थान बना रहे हैं, तो यह बच्चों के लिए भी प्रेरणा स्रोत होता है।

यही सब कुछ हुआ वीरेंद्र पंवार जी के परिवार में। हम सभी लोगों को वीरेंद्र पंवार जी और उनके परिवार से प्रेरणा लेनी चाहिए कि हम अल्प संसाधनों में भी पहाड़ की ऊंचाइयों को छू सकते हैं। हमें केवल एक ही चीज की जरूरत है मेहनत, लगन और विपरीत हालात में भी न डिगने वाला हिमालयी हौसला।

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