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हिंडनबर्ग ने फिर गरमाई सियासत

देश में इन दिनों एक ओर जहां हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति गरमाई हुई है, वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की एक और रिपोर्ट ने एक बार फिर देश की सियासत सुलगा दी है। आलम यह है कि विपक्ष इस मामले पर जेपीसी का गठन और पीएम मोदी के इस्तीफे तक की मांग करने लगा है तो वहीं अडानी के शेयरों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। राहुल गांधी ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आधार पर सेबी पर सवाल उठाए हैं और केंद्र सरकार को घेरा है। राहुल ने कहा कि छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले सेबी की ईमानदारी को उसके अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों ने गंभीर रूप से ठेस पहुंचाई है। पिछले साल अडानी ग्रुप पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाकर चर्चा में आई हिंडनबर्ग ने अब सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की चेयरपर्सन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कम्पनी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडानी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है जिसका इस्तेमाल विनोद अडानी ने किया था

देश में इन दिनों एक ओर जहां हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू -कश्मीर के विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति गरमाई हुई है, वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की एक और रिपोर्ट ने एक बार फिर देश की सियासत सुलगा दी है। आलम यह है कि विपक्ष इस मामले पर जेपीसी का गठन और पीएम मोदी के इस्तीफे तक की मांग करने लगा है तो वहीं अडानी के शेयरों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर हिंडनबर्ग क्या है? उसकी हालिया रिपोर्ट में क्या है? अडानी को इससे कितना नुकसान हुआ? इस पर भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड ने क्या कहा।

हिंडनबर्ग रिसर्च एक अमेरिकी रिसर्च कंपनी है। इसकी शुरुआत नेट एंडरसन नाम के अमेरिकी नागरिक ने की थी। ये कंपनी फॉरेंसिक फाइनेंस रिसर्च, वित्तीय अनियमितताओं की जांच और विश्लेषण, अनैतिक कारोबारी तरीकों और गुप्त वित्तीय मामलों के लेन-देन से संबंधित जांच करती है। ये कंपनियों पर अपनी रिपोर्ट के जरिए उनकी पोजीशन बताती है, जिसके जरिए ये भी पता चलता है कि कंपनियों की पोजीशन में क्या कुछ गिरावट आने वाली है। ये कंपनी साल 2017 से काम कर रही है।

क्या है हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट?
पिछले हफ्ते 10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रमुख माधबी पुरी बुच, उनके पति धवल बुच और विनोद अदाणी ग्रुप के संबंध में 46 पन्नों की एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेबी की चेयरपर्सन माधवी, उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। फर्म ने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अडानी ने धन की हेराफेरी करने और समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। विनोद अडानी गौतम अडानी के बड़े भाई हैं।

रिपोर्ट का दावा है कि बुच दंपती ने मॉरीशस की उसी ऑफशोर कंपनी में निवेश किया है, जिसके जरिए भारत में अडानी ग्रुप की कंपनियों में
निवेश करवाकर अडानी ने लाभ उठाया था। संस्था ने कहा कि इसे व्यापार का गलत तरीका माना जाता है। अमेरिकी कंपनी ने आगे कहा कि सेबी को अडानी मामले से संबंधित फंडों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमें बुच द्वारा भी निवेश किया गया था। यही पूरी जानकारी हमारी रिपोर्ट में उजागर की गई है। यह स्पष्ट है कि सेबी प्रमुख और अडानी ग्रुप के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। यह हितों का एक बड़ा टकराव है।

क्या सुप्रीम कोर्ट फिर करेगा जांच

राहुल गांधी ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आधार पर सेबी पर सवाल उठाए हैं और केंद्र सरकार को घेरा है। राहुल गांधी ने कहा कि छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले सेबी की ईमानदारी को उसके अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों ने गंभीर रूप से ठेस पहुंचाई है। देशभर के ईमानदार निवेशक सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया? अगर निवेशक अपनी मेहनत की कमाई खो देते हैं, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। प्रधानमंत्री मोदी, सेबी अध्यक्ष या गौतम अडानी। प्रश्न उठने लगे हैं कि सामने आए नए और बेहद गंभीर आरोपों के मद्देनजर क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले की फिर से स्वतः संज्ञान लेकर जांच करेगा।

कांग्रेस: अडानी को कब तक बचा पाएंगे मोदी
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों में सेबी चीफ माधबी पुरी बुच की हिस्सेदारी के खुलासे के बाद राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस ने कहा है कि नरेंद्र मोदी ने जांच के नाम पर अडानी को बचाने की साजिश रची है। कांग्रेस ने एक्स पर लिखा कि अडानी महाघोटाले की जांच सेबी को दी गई। अब खबर है कि सेबी की चीफ माधवी बुच भी अडानी महाघोटाले में शामिल हैं। मतलब घोटाले की जांच करने वाला ही घोटाले में शामिल है। है न कमाल की बात। इस महाघोटाले की सही जांच सिर्फ ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) से हो सकती है। हालांकि मोदी सरकार जेपीसी बनाने को तैयार नहीं है। पीएम मोदी कब तक अडानी को बचा पाएंगे, एक न एक दिन तो पकड़े जाएंगे।

संजय सिंह: इस्तीफा दें पीएम मोदी

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने हिंडनबर्ग की नई रिसर्च सामने आने के बाद केंद्र सरकार, सेबी अध्यक्ष, पीएम मोदी और अडानी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों का हजारों करोड़ रुपए डूब गए। इसके लिए सिर्फ केंद्र सरकार जिम्मेदार है। जब तक पीएम नरेंद्र मोदी अपने पद पर बने रहेंगे, तब तक इसकी निष्पक्ष जांच संभव नहीं है, इसलिए पीएम मोदी अपने पद से इस्तीफा दें।

आरोपों का बुच दंपती ने किया खंडन
बुच दम्पति ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। बुच दम्पति ने एक बयान में कहा कि ‘इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब है। अगर अथॉरिटी किसी डॉक्यूमेंट की मांग करती है तो हम उसे पूरा करेंगे।’ उन्होंने आगे कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिसके खिलाफ सेबी ने एक्शन लिया और कारण बताओ नोटिस भेजा वो इसके जवाब में गलत आरोप लगा रहा है। बुच दम्पति ने कहा कि ये निवेश 2015 में किए गए थे, जो 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति और मार्च 2022 में चेयरपर्सन के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले का समय है। ये निवेश सिंगापुर में रहने के दौरान निजी तौर पर आम नागरिक की हैसियत से किए गए थे। सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद ये कोष ‘निष्क्रिय’ हो गए। इसके अलावा बाजार नियामक सेबी ने भी आरोपों पर जवाब दिया है। सेबी ने कहा है कि उसने अडानी समूह के खिलाफ लगे सभी आरोपों की जांच की है। वहीं चेयरपर्सन ने संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग कर लिया था।

अडानी ग्रुप: निराधार हैं हिंडनबर्ग के आरोप

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का अडानी ग्रुप ने खंडन किया है। ग्रुप ने कहा कि हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। अडानी ग्रुप पर लगाए आरोप पहले ही निराधार साबित हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट बाद निवेशकों के डूबे करोड़ों रुपए
हिंडनबर्ग रिसर्च की ताजा रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार की कमजोर शुरुआत हुई। बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स 425 अंकों की गिरावट के बाद 79,330 के लेवल पर खुला, जबकि एनएसई निफ्टी 47 अंक गिरकर 24,320 के लेवल पर। अडानी बनाम हिंडनबर्ग मामले में सेबी प्रमुख माधबी बुच की इंट्री होने बाद निवेशकों ने सुरक्षित होना पसंद किया, जिसके चलते अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में 7 फीसदी तक की गिरावट के साथ निवेशकों को लगभग 53 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और अडानी के 10 शेयरों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 16.7 लाख करोड़ रुपए तक गिर गया।

अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयरों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ क्योंकि बीएसई पर यह 7 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,656 रुपए पर इंट्राडे लो लेवल पर पहुंच गया, हालांकि बाद में कुछ नुकसान की भरपाई हो गई। इसके बाद अडानी टोटल गैस के 5 और अडानी पावर के शेयर में 4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसके अलावा अडानी विल्मर, अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस और अडानी एंटरप्राइजेज करीब 3 प्रतिशत नीचे कारोबार कर रहे थे। निफ्टी स्टॉक अडानी पोर्ट्स के शेयर करीब 2 फीसदी नीचे थे और ब्लूचिप इंडेक्स पर समूह की प्रमुख इकाई अडानी एंटरप्राइजेज के बाद दूसरे सबसे बड़े नुकसान में थी।

इससे पहले पिछले साल जब हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट आई थी तो अडानी समूह की कंपनियों को 150 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। उस समय रिपोर्ट आने के एक ही महीने के भीतर अडानी की नेटवर्थ में 80 बिलियन डॉलर यानी 6.63 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की गिरावट आई थी। वहीं हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के दस दिनों के अंदर अडानी कई अमीरों की टॉप 20 सूची से भी बाहर हो गए थे। इस रिपोर्ट ने भारत में तब राजनीतिक हलचल ला दी थी। कंपनी की कथित वित्तीय अनियमितता को लेकर संसद में सवाल पूछे गए थे। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। इसके अलावा गौतम अडानी को 20 हजार करोड़ के एफपीओ को भी रद्द करना पड़ा था। जिससे उस समय अडानी की कंपनी को काफी घाटा हुआ था।

हिंडनबर्ग की विश्वसनीयता पर सवाल?

हिंडनबर्ग की खुद की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल खड़े होते रहे हैं। फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक अमेरिकी न्याय विभाग ने दर्जनों बड़े शॉर्ट सेलिंग निवेश और शोध फर्मों की जांच शुरू की थी। इनमें मेल्विन कैपिटल और संस्थापक गेबे प्लॉटकिन, रिसर्चर नैट एंडरसन और हिंडनबर्ग रिसर्च सोफोस कैपिटल मैनेजमेंट और जिम कारुथर्स भी शामिल हैं। विभाग ने 2021 के अंत में लगभग 30 शॉर्ट-सेलिंग फर्मों के साथ-साथ उनसे जुड़े तीन दर्जन व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाई थी। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक संघीय अभियोजक ने इस बात की जांच शुरू की थी कि क्या शॉर्ट-सेलर्स ने समय से पहले नुकसान पहुंचाने वाली शोध रिपोर्ट साझा करके और अवैध व्यापार रणनीति में शामिल होकर शेयर की कीमतों को कम करने की साजिश रची थी।

गौरतलब है कि पिछले साल अडानी ग्रुप पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाकर चर्चा में आई हिंडनबर्ग रिसर्च ने अब सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की चेयरपर्सन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कम्पनी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडानी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है जिसका इस्तेमाल विनोद अडानी ने किया था। कम्पनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड-1 के साथ अपना अकाउंट खोला था। निवेश का सोर्स सैलरी है और कपल की नेटवर्थ 10 मिलियन डॉलर आंकी गई थी। माधबी बुच को अप्रैल 2017 में सेबी का होलटाइम मेंबर नियुक्त किया गया था।

इस नियुक्ति से कुछ हफ्ते पहले माधबी के पति धवल बुच ने मॉरीशस फंड एडमिनिस्ट्रेटर ट्राइडेंट ट्रस्ट ग्लोबल डायनेमिक अपॉर्च्युनिटी फंड में निवेश के संबंध में ईमेल लिखा था। ईमेल में धवल बुच ने खातों को संचालित करने के लिए अधिकृत एकमात्र व्यक्ति होने का अनुरोध किया था। राजनीतिक रूप से संवेदनशील नियुक्ति से पहले संपत्ति को अपनी पत्नी के नाम से हटा दिया गया है। 26 फरवरी 2018 को माधबी बुच के निजी ईमेल को संबोधित एक बाद के अकाउंट स्टेटमेंट में स्ट्रक्चर की पूरी डिटेल्स सामने आई है। डीजीओएफ सेल 90 (आईप प्लस फंड-1)। उस समय बुच की हिस्सेदारी की वैल्यू 8.72 लाख डॉलर थी। अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक माधबी का एगोरा पार्टनर्स नाम की सिंगापुर ऑफशोर कंसल्टिंग फर्म अगोरा पार्टनर्स में 100 फीसदी इंटरेस्ट था। 16 मार्च, 2022 को सेबी चेयरपर्सन के रूप में नियुक्ति के बाद उन्होंने चुपचाप शेयर अपने पति को ट्रांसफर कर दिए।

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