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कैसे हुई 900 करोड की संपत्ति पाकिस्तानी के नाम ? 

ऐसे में जब प्रदेश में योगी राज है और सभी काम सख्ताई से किए जा रहे है तो सवाल यह है कि गाजियाबाद जैसे विकसित जिले में 900 करोड की संपत्ति एक पाकिस्तानी के नाम कैसे दर्ज हुई ?  कही इसके पीछे कोई भूमाफिया सरगना तो काम नही कर रहा है जो अधिकारियों से साठगाठ करके विवादित संपत्तियों को पहले खुर्द बुर्द कराता हो और बाद मे अपने नाम दर्ज करा लेता हो ? चौकाने वाली बात यह है कि जब जांच कमेटी भी गठित हो जाए और उसके बाद भी संपत्ति सरकार में निहित करने की बजाय एक ऐसे पाकिस्तानी के नाम कर दी जाए जो देश छोडकर कब का जा चुके है। सवाल नौकरशाही पर है कि यह उसकी लापरवाही है या एक सोची समझी साजिश  ?
बहरहाल, गाजियाबाद जनपद में 900 करोड़ की संपत्ति मामला सामने आते ही अधिकारियों की भी नींद उड़ गई है। इतना ही नहीं, इस मामले में कई अधिकारियों पर गाज भी गिर सकती है। कारण, मामला किसी आम संपत्ति का नहीं है, बल्कि विभाजन के समय भारत छोड़कर पाकिस्तान के लाहौर जा चुके शख्स की शत्रु संपत्ति का है।
यह मामला मोदीनगर के सिकरी इलाके का है। जहां इस शख्स की 500 एकड़ जमीन है, जिसकी कीमत करीब 900 करोड़ बताई जा रही है। जो आज तक भी तहसीलदार के कारण सरकार में निहित नहीं हो सकी है। इतना ही नहीं अब इस जमीन पर स्थानीय लोगों का कब्जा है। वहीं मामला सामने आने के बाद गाजियाबाद जिलाधिकारी ने इस जमीन को सरकार में निहित करने के लिए मुंबई स्थित कस्टोडियन को पत्र लिख दिया है। इसके साथ ही तहसीलदार के खिलाफ भी शासन से विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
यहा यह बताना जरुरी है कि पिछले वर्ष जिलाधिकारी को एक शिकायत प्राप्त हुई थी। जिसमें कहा गया था कि सिकरी में रोड किनारे कई सौ करोड़ रुपये की जमीन पर स्थानीय लोगों ने कब्जा किया हुआ है। यह जमीन विभाजन के वक्त पाकिस्तान जा चुके एक व्यक्ति के नाम पर थी। नियमानुसार इस पर सरकार का अधिकार होना चाहिए। इस शिकायत पर जिलाधिकारी ने अगस्त 2018 में तत्कालीन एसडीएम से मामले की जांच कराई। जिसमें यह सामने आया कि आजादी से पहले संपत्ति एक मुस्लिम के नाम पर दर्ज थी। इसके बाद इस मामले में जांच बैठा दी गई। जिसके बाद तहसीलदार ने जनवरी 2019 में इस जमीन को उसी व्यक्ति के नाम पर दर्ज कर दिया जो पाकिस्तान जा चुका था
मामले की जाँच कराई जा रही है। जो भी अधिकारी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी
– डी पी सिंह उपजिलाधिकारी मोदीनगर

 

जिसके बाद जिलाधिकारी ने मामले में घालमेल देखते हुए दो एडीएम की एक कमेटी गठित की। जिसने पूरे मामले की विस्तृत जांच की तो यह संपत्ति भारत छोड़कर जा चुके शख्स के नाम पर दर्ज पाई गई। जबकि यह संपत्ति शत्रु संपत्ति है, जिस पर अब सिर्फ सरकार का अधिकार है। इस जांच में तहसीलदार की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया है। कमेटी द्वारा जिलाधिकारी को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि तहसीलदार जानते थे कि यह जमीन शत्रु संपत्ति है, लेकिन उन्होंने किसी वर्ग विशेष को फायदा पहुंचने के लिए मामले को मोड़ने की कोशिश की है और दोबारा से देश छोड़कर जा चुके व्यक्ति के नाम इस संपत्ति को दर्ज कर दिया गया है। यह अपने आपमे चौकाने वाला मामला है।

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