ग्रेटर नोएडा के दादरी से गाजियाबाद इलाके के बीच जीटी रोड पर बिस्नूली गांव के सामने स्थित है केआरबीएल (खुशीराम बिहारी लाल) कंपनी लिमिटेड। जिसे चावल मिल के नाम से भी जाना जाता है। यह कंपनी अपने ही कर्मचारियों के लिए कोरोना संकट बनकर सामने आई है। इस कंपनी में 1 सप्ताह पूर्व एक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। लेकिन बावजूद इसके कंपनी ने उस कर्मचारी की कोरोना पॉजिटिव पाए जाने की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया। यही नहीं बल्कि कंपनी ने प्रशासन को भी इसकी जानकारी देना मुनासिब नहीं समझा।
केआरबीएल कंपनी ने गुपचुप तरीके से कोरोना पॉजिटिव कर्मचारी को एक निजी हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया। इसी के साथ ही उससे प्रभावित हुए संदिग्ध कर्मचारियों को अपने ही क्वार्टर में क्वॉरेंटाइन करा दिया। लेकिन इस कंपनी ने अपने फायदे की खातिर सैकड़ों कर्मचारियों की जान को संकट में डाल दिया। कारण यह है कि कहीं कंपनी बंद ना हो जाए।
इसके चलते ही कंपनी के प्रबंधको ने प्रशासन से यह जानकारी छुपा कर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट का उल्लंघन कर डाला। धारा 260 और 270 के तहत यह बड़ा अपराध माना जाता है। जिसमें 6 महीने तक की सजा का कानून है। फिलहाल केआरबीएल कंपनी पूरी तरह से चालू है और यहां के करीब 500 कर्मचारीगण खौफजदा है। कर्मचारियों को क्वॉरेंटाइन कराना तो दूर कंपनी ने ना तो उनके टेस्ट कराएं है और ना ही कंपनी को सेनेटाइजर कराया गया है।
याद रहे कि केआरबीएल कंपनी जैसा अपराध पूर्व में नोएडा की सीजफायर कंपनी कर चुकी है। जहां के प्रबंधकों ने 5 अप्रैल तक प्रशासन को यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई थी कि उसके यहां कई लोग कोरोना पॉजिटिव है। बाद में जब उसके दो दर्जन के करीब कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए तो प्रशासन के पसीने छूट गए। इसका पता जैसे ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चला तो उन्होंने सीधा नोएडा को रुख किया।

यहां आकर सीएम योगी ने अफसरों के साथ मीटिंग की। जिसमें सीजफायर कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई ना करने के चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा एक्शन लिया। उन्होंने तत्काल प्रभाव से तत्कालीन जिलाधिकारी बीएन सिंह को तुरंत गौतम बुद्ध नगर जिले से हटा दिया। यही नहीं बल्कि सीज फायर कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई और उसे सील कर दिया गया।
इसके बाद 18 मई को गेटर नोएडा की चीनी कंपनी ओप्पो में 6 कोरोना पॉजिटिव कर्मचारी पाए गए थे। जिसकी सूचना तत्काल कंपनी प्रबंधकों ने प्रशासन को दी थी। इसके बाद कंपनी ने अपने यहां कार्यरत 3000 कर्मचारियों की कोविड-19 टेस्ट कराया और बकायदा उन्हें 14 दिन का क्वॉरेंटाइन कराया। यही नहीं बल्कि पूरी कंपनी को सैनिटाइजर किया गया । उसके बाद कंपनी को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया।
उपरोक्त दोनों कंपनियों में कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की। जिसके फल स्वरूप हजारों कर्मचारियों की जान बचाई जा सकी। लेकिन दूसरी तरफ केआरबीएल कंपनी (चावल मिल) है जो अपने सैकड़ों कर्मचारियों को जानबूझकर मौत के कगार पर खड़ा कर रही है। दरअसल, इसके पीछे कंपनी अपना प्रॉफिट देख रही है। कंपनी अगर बंद होती है तो उसका विदेशों में चल रहा कारोबार भी ठप हो जाएगा।
गौरतलब है कि यह कंपनी किसानों का धान खरीदती हैं और उससे चावल निर्मित करके उसे विदेशों में एक्सपोर्ट करती है। ‘इडिया गेट’ नामक ब्रांड के नाम से मशहूर चावल बाजार में उतार रही यह कंपनी अब अपने कारनामे के चलते घिर चुकी है। फिलहाल सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि कंपनी में जो कोरोना पॉजिटिव कर्मचारी पाया जा चुका है तो इस मामले को छुपाया क्यों जा रहा है।

जबकि नियम यह है कि अगर किसी कर्मचारी में कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया जाता है तो प्रशासन को सूचना दी जाती है और उसके बाद कंपनी के सभी कर्मचारियों को टेस्ट कराए जाते हैं। यही नहीं बल्कि पूरी कंपनी को करके कम से कम 14 दिन के लिए बंद किया जाता है इस दौरान कंपनी के सभी कर्मचारी क्वॉरेंटाइन होने जरूरी होते हैं।
फिलहाल ‘दि संडे पोस्ट’ के पास इस बात के पुख्ता सबूत है कि कंपनी में एक परचेजर को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। 1 सप्ताह पूर्व परचेज़र को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। सूत्रों के अनुसार, अस्पताल से पहले ही सेटिंग की गई कि वह कर्मचारी के कोरोना पॉजिटिव पाई जाने की सूचना का खुलासा ना करें। इसके बाद कई कर्मचारियों को कंपनी ने अपने क्वार्टरों में ही क्वॉरेंटाइन कर दिया । फिलहाल जब ‘दि संडे पोस्ट’ ने क्वॉरेंटाइन कर्मचारियों से बात की तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की।
सुनने में अब यह आ रहा है कि क्वॉरेंटाइन कर्मचारियों को फिर से कंपनी ने काम पर लगा दिया है । सिर्फ 7 दिन का क्वॉरेंटाइन करने के बाद कंपनी में काम कर रहे कर्मचारी अभी भी भय के साए में रह रहे हैं। क्योंकि नियमों के अनुसार कम से कम 14 दिन और क्वॉरेंटाइन रहना जरूरी था।
दूसरी तरफ कई कर्मचारियों ने कंपनी प्रबंधकों से कहा कि उनकी जांच कराई जाए। लेकिन कंपनी ने जांच करना मुनासिब नहीं समझा। बताया यह भी जा रहा है कि प्रशासन के नियमों के विपरीत यह कंपनी 100 प्रतिशत कर्मचारियों को अपने यहां काम पर बुला रही है। जबकि सरकार के नियम यह है कि कंपनियों में सिर्फ 33 प्रतिशत कर्मचारी ही काम करेंगे।

फिलहाल केआरबीएल कंपनी डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 269 और 270 का खुलेआम उल्लंघन कर रही है। आईपीसी की धारा 269 और 270 तब लगती है जब कोई लापरवाही का ऐसा काम करे, जिससे जीवन को ख़तरे में डालने वाली बीमारी का इंफेक्शन फैल सकता हो।
इसके तहत छह महीने तक की सज़ा हो सकती है या जुर्माना लग सकता है, या दोनों से दंडित किया जा सकता है। इसी के साथ कंपनी को अनिश्चित के लिए सील भी किया जा सकता है। इस बाबत जब कंपनी के जरनल मैनेजर मनोज सक्सेना से बात की गई तो उन्होंने कहा ऐसे फोन पर बात नही होती बात करनी है तो कंपनी आना पडेगा।
गौतम बुध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि अगर कंपनी ऐसा कर रही है तो वह कानूनन अपराध है। इसकी जांच कराई जाएगी। अगर जांच में यह मामला सही पाया गया तो कंपनी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। इसी के साथ ही जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने ‘दि संडे पोस्ट’ से कोरोना पॉजिटिव पाए गए कर्मचारी की पूरी डिटेल भी ली।
विदित हो कि केआरबीएल दो भाइयों खुशी राम व बिहारी लाल द्वारा 1889 में ल्यानपुर (अब फैसलाबाद, पाकिस्तान) में बनाई गई कंपनी है। इंडिया गेट बासमती चावल आपने दुकानों में देखा होगा। वो इसी का ब्रांड है। कंपनी खुद को दुनिया का सबसे बड़ी राइस मिलर और बासमती चावल की सबसे बड़ी निर्यातक बताती है।

