सुशासन बाबू के नाम से विख्यात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी छवि पर लग रहे ग्रहण के चलते खासे परेशान बताए जा रहे हैं। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर चुनाव जीत लगातार तीसरी बार बिहार के सीएम बने कुमार की ईमेज पर पहला संकट उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता के प्रश्न पर तब लगा जब यकायक ही उन्होंने लालू यादव की पार्टी संग संबंध विच्छेद कर भाजपा का दामन थाम लिया। उनके इस निर्णय ने विपक्षी एकता पर बड़ा प्रश्नचिÐ तो लगाया ही, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को निजी तौर पर धक्का पहुंचाया। तब राहुल ने नीतीश कुमार पर धोखेबाजी का आरोप लगा डाला था। पिछले दिनों मुजफ्फरपुर के एक नारी संरक्षण गृह में चल रहे यौन शोषण के खुलासे के बाद से ही नीतीश कुमार लगातार विपक्ष और मीडिया के निशाने पर हैं। दिल्ली में इस प्रकरण के विरोध में आयोजित विपक्षी दलों के कैंडल मार्च में राहुल गांधी की उपस्थिति से सुशासन बाबू खासे असहज बताए जा रहे हैं। खबरें आ रही हैं कि भाजपा संग उनकी पटरी बैठ नहीं पा रही, लेकिन अब उनके पास विकल्प सीमित रह गए हैं। या तो भाजपा संग गठजोड़ को बनाए रखें अथवा एकला चलो की राह पकड़ लें। यह तय है कि विपक्षी दल उन्हें अब अपने कुनबे में लेने वाले नहीं।

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