मिशन 2024 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ एक राजनीतिक विकल्प खड़ा करने की कोशिशों में बनाए गए विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (नेशनल डेवलपमेंट इनक्लूसिव अलायंस), शुरू से ही हिचकोले खाता नजर आया है। कांग्रेस और कई दलों द्वारा इस गठबंधन को बचाने और विवादों को सुलझाने के लिए लगातार बैठकें भी की जाती रही हैं। यह गठबंधन कांग्रेस के नेतृत्व में 28 राजनीतिक दलों के द्वारा मिलकर 18 जुलाई 2023 को बनाया गया। इस गठबंधन का उद्देश्य, लोकसभा चुनाव 2024 में एक साथ मिलकर लड़ना और एनडीए सरकार को जीत की हैट्रिक हासिल करने से रोकना है। यह गठबंधन तो बना लेकिन इसके बनने के कुछ समय बाद से ही इसमें शामिल कुछ दलों के बीच टकराव शुरू हो गया, जो आज तक कायम है। इन टकरावों के चलते कई बार इंडिया गठबंधन टूटने की बातें भी राजनीतिक गलियारे में उठती रही हैं, क्योंकि लगातार हो रही बैठकों में भी इन मामलों को सुलझाया नहीं जा सका है। जिससे इस गठबंधन के बिगड़ते हालातों पर काफी बहस भी चल रही हैं लोगों का कहना है कि ‘इस गठबंधन में दल तो मिल गए लेकिन दिल नहीं मिल पाए हैं।’
इस दौरान 19 दिसंबर को हुई विपक्षी दलों की बैठक में अन्य मुद्दों के साथ पीएम चेहरे को लेकर भी चर्चा हुई। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव दिया। जिसके बाद लालू यादव और नीतीश कुमार ने इस पर असहमति जताई, और गठबंधन की बैठक से जल्दी चले गए और बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए। दूसरे दल और नितीश कुमार को प्रधानमंत्री के चेहरे में देखना चाहते हैं। खड़गे को प्रधानमंत्री के चहरे के रूप में नाम की बात सुनकर नितीश और उनके साथी बैठक को बीचमे ही छोड़ कर आ गए और बहार आकर अपनी नाराजगी जाहिर की। नितीश कुमार के साथियों का कहना है कि ‘इस गठबंधन की शुरुआत नितीश जी के द्वारा की गई है, वह अकेले व्यक्ति हैं जिन्होंने सभी दलों के पास जा-जाकर इस दल में शामिल होने के लिए मनाया था। यह दल यदि बन पाया है तो इसमें नितीश जी का बड़ा योगदान है जिसके लिए उन्ही को प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप देखा जाना चाहिए न की किसी और को। यह बेहद गलत फैसला है जिसका हम समर्थन नहीं करते हैं।’ दूसरी ओर अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि सबसे पहले जीतना अहम है बाकी चीजों पर बाद में फैसला किया जा सकता है। मैं वंचितों के लिए काम करता हूं। पहले जीतें, फिर देखेंगे। जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि विपक्षी गठबंधन चुनावों से पहले ही टूट सकता है।
इसी वजह से बैठक को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है। वहीं इस बैठक में संयोजक को लेकर भी कोई चर्चा नहीं हुई, जबकि नीतीश कुमार इसके प्रबल दावेदार बताए जाते रहे हैं। इसकी बड़ी वजह ये थी कि नीतीश कुमार ने ही सबसे पहले इंडिया गठबंधन की नींव डाली थी और तभी से उनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती रही है ,लेकिन बावजूद इसके चौथी बैठक के बाद भी नीतीश कुमार की भूमिका को लेकर कोई चर्चा तक नहीं की गई। नीतीश कुमार की नाराजगी की एक और बड़ी वजह ये भी बतायी जा रही है कि नीतीश कुमार और डीएमके के नेताओं के बीच हिन्दी और अंग्रेजी भाषा को लेकर भी तकरार हुआ, जिसकी वजह से भी नीतीश कुमार नाराज बताये जा रहे हैं।
जेडीयू ने बुलाई बैठक
इस बैठक के बाद जेडीयू की ओर से दिल्ली में 29 दिसंबर को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई गई है। इसक बाद यह अटकले लगने लगी है कि क्या नीतीश कुमार फिर कोई चौंकाने वाला फैसला करने वाले हैं? माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन की कल हुई बैठक के बाद जेडीयू किसी बड़े फैसले की तरफ बढ़ सकती है। बता दें कि जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा लिए गए किसी बड़े फैसले पर राष्ट्रीय परिषद की मुहर आवश्यक होती है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लगभग 99 सदस्य और राष्ट्रीय परिषद में लगभग 200 सदस्य है। जेडीयू ने 29 दिसंबर की बैठक में अपने सभी राष्ट्रीय पदाधिकारियों, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों, दोनों सदनों के सासदों, जिलाध्यक्षों और समिति के सदस्यों को शामिल होने के लिए कहा है।
इस मीटिंग में सभी दलों के नेताओं ने अपने विचार रखे जिसमे दलों के नेताओं की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इंडिया गठबंधन को कैसे आगे बढ़ाना चाहिए इस मुद्दे पर भी काफी बातें की गई। मीटिंग के बाद सभी राजनयिकों ने अपने-अपने विचार भी मीडिया के सामने रखे जिनमे अखिलेश यादव कहते हैं कि ‘चाहे तमिलनाडु हो, केरल, तेलंगाना, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली या पंजाब, सीट बंटवारे संबंधी मुद्दों को सुलझा लिया जाएगा। सभी दल बहुत जल्द टिकट बांटकर मैदान में जाने के लिए तैयार हैं, बहुत जल्दी सीटें बांटी जाएंगी और हम सब लोग जनता के बीच में दिखाई देंगे। हम बीजेपी को हराएंगे। यूपी में हराएंगे और बीजेपी देश से हट जाएगी।’
अखिलेश यादव ने दिया बयान
दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक बेशक खत्म हो गई हो, लेकिन अभी भी कई ऐसे सवाल है जिन्हें चार बैठकों के बाद भी सुलझाया नहीं जा सका है। इन्हीं सवालों में से एक है कि इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार की भूमिका क्या होगी? जदयू के नेता भी लगातार दावा कर रहे थे कि नीतीश कुमार की भूमिका इंडिया गठबंधन में बड़ी होनी चाहिए। लेकिन जब बैठक खत्म हुई तो जदयू को सबसे ज़्यादा निराशा हाथ लगी क्योंकि नीतीश कुमार की भूमिका को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार कई मुद्दों पर इंडिया गठबंधन के फैसले से नाराज है और उनकी नाराजगी के बीच 29 दिसंबर को होने जा रही जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक पर सबकी नजरें हैं। संभावना जताई जा रही है कि इस बैठक में नीतीश कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
मंत्री विजय चौधरी कहते हैं कि जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ राष्ट्रीय परिषद की बैठक भी हो रही है तो कुछ महत्वपूर्ण फैसले भी लिए जा सकते हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के साथ राष्ट्रीय परिषद की बैठक का होना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी कोई फैसला लेता है तो उसका अनुमोदन राष्ट्रीय परिषद से लेना होता है।
बैठक में ये नेता रहे शामिल
दिल्ली के अशोका होटल में हुई इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी नेता राहुल गांधी और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, जनता दल (यू) से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, तृणमूल कांग्रेस से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी, राष्ट्रीय जनता दल से लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार तथा शिवसेना (यूबीटी) से उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे बैठक में शामिल थे।

