मालदीव में हुए राष्ट्रपति के चुनाव बाद ही नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ू ने वहां कार्यरत भारतीय सेना को हटाने की घोषणा कर दी थी। जिसके कारण भारत और मालदीव के बीच सम्बन्ध बिगड़ने की आशंका जताई जा रही थी। हालांकि रविवार यानि 3 दिसंबर को मुइज्जु ने घोषणा करते हुए कहा है कि भारत सरकार देश (मालदीव ) से अपने सैनिकों को हटाने पर सहमत हो गई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात में COP29 जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान मुइज्जु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच इस विषय पर चर्चा हुई थी। गौरतलब है कि हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मुइजू ने भारतीय सैनिकों के खिलाफ ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था। उनका कहना है कि भारतीय सैनिक देश की संप्रभुता के लिए खतरा हैं। जिसके बाद चुनाव में जीत हासिल करने के बाद ही उन्होंने भारतीय सैनिको को वापस भेजने का ऐलान किया था।
मालदीव में क्यों तैनात हैं भारतीय सैनिक
मालदीव और भारत के बीच पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के कार्यकाल के दौरान नज़दीकियां बढ़ी थी। जो अब कम होती नज़र आ रही हैं। भारत और चीन दोनों के लिए मालदीव सामरिक और रणनीतिक दोनों ही दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। जिसके लिए भारत न सिर्फ मालदीव में अच्छा निवेश करता है बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर तमाम चीजें डेवलप करने में मदद करता है। चीन भी लगातार मालदीव में अपने पांव ज़माने का प्रयास करता रहा है। भारत ने मालदीव को 2 हेलीकॉप्टर और एक डोनियर एयरक्राफ्ट भी डोनेट किये जो इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेज, रेस्क्यू और समुद्र की निगरानी और पैट्रोलिंग के काम आते हैं।

इन विमानों के देखरेख के लिए कई भारतीय टेक्नीशियन और पायलट मालदीव में रहते हैं। एक रिपोर्ट्स के अनुसार यहाँ के लामू और अद्दू द्वीप पर साल 2013 से ही भारतीय सैनिक तैनात हैं। साथ ही भारतीय नौसैनिक भी मालदीव में तैनात हैं। पूरे मालदीव में भारतीय नौसेना ने 10 एकीकृत तटीय निगरानी प्रणाली का प्रबंधन कर रखा है।
मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स के प्रमुख जनरल अब्दुल्लाह शमाल और रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी का कहना है कि मालदीव में 75 भारतीय सैनिक तैनात हैं। भारतीय सेना ने पहली बार वर्ष 1988 में मालदीव में प्रवेश किया जब मालदीव में हुए सत्ता पलट के विरोध में तात्कालिक राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम ने भारत से सैन्य मदद मांगी। मालदीव भारत के लिए बहुत अहम है जिसके कारण भारत किसी भी स्थिति में इस देश से संबंध खराब नहीं करना चाहता। इसलिए भारत सरकार बेझिझक उनकी मदद के लिए आगे आई । यह पहली बार था जब भारतीय सेना ने मालदीव में प्रवेश किया।

