लोकसभाचुनाव अपने चरम पर है। सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने -अपने चुनाव प्रचार की रफ़्तार तेज कर दी है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश के भोपाल लोकसभा सीट से मालेगांव विस्फोट मामलों की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। जिसे लेकर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक बयानबाजी तेज हो गई है। लोकसभा चुनाव के लिहाज से भोपाल सीट हमेशा से ही अहम रही है। इस बार यहां से कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह को मैदान में उतरा है तो वहीं भाजपा ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर दांव लगाया है। माना जा रहा है कि प्रज्ञा के चुनाव लड़ने से टक्कर का होने वाला है। भोपाल की इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी केएन प्रधान 1984 में आंखरी बार चुनाव जीते थे। जिसके बाद से अब तक कांग्रेस का कोई भी उम्मीदवार इस सीट से चुनाव नहीं जीत पाया है।

अपने भड़काऊ भाषणो और मालेगांव ब्लास्ट की वजह से सुर्खियों में रहने वाली साध्वी प्रज्ञा सिहं ठाकुर की सियासी पारी खेलने से पहले उनकी जिंदगी में कई उतार -चढ़ाव पल आते -जाते रहे हैं। उनके लिए सबसे बड़ी मुश्किल की घड़ी मालेगांव ब्लास्ट में उनका नाम आना रहा है। साध्वी भले ही बीजेपी का दामन थामकर चुनाव लड़ रही हैं। लेकिन उन पर अभी भी मालेगांव ब्लास्ट से जुड़ा एक मामला अभी भी चल रहा है। इसके अलावा साध्वी प्रज्ञा का नाम आरएसएस नेता सुनील जोशी हत्याकांड में भी आ चुका है।
इस विस्फोट मामले के लिए प्रज्ञा के खिलाफ यूएपीए के तहत आरोप पत्र सौंपा गया है. इस मामले में अब तक 109 गवाहों को अदालत में पेश किया जा चुका है. जिनमें से ज्यादातर गवाह मालेगांव विस्फोट के पीड़ित और डॉक्टर हैं। इससे पहले साध्वी ने अस्पताल में भर्ती होने के बाद अपने स्वास्थ्य का हवाला देकर अदालत में पेश होने से छूट मांगी थी, क्योंकि वो अस्पताल में भर्ती थी।
यह भयानक विस्फोट महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितम्बर 2008 को खौफनाक बम ब्लास्ट से हुआ था ।उस धमाके में सात बेगुनाह लोगों की जान चली गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे, ये धमाका रमजान के माह में उस वक्त किया गया था, जब मुस्लिम समुदाय के बहुत सारे लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे,इस धमाके के पीछे कट्टरपंथी हिंदू संगठनों का हाथ होने की बात सामने आई थी. इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, स्वामी असीमानंद और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को मुख्य आरोपी बनाया गया था. एनआईए की विशेष अदालत ने पिछले जून 2016 में आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
उस वक्त एनआईए ने जांच के बाद दावा किया था कि इस विस्फोट को दक्षिणपंथी संगठन अभिनव भारत ने अंजाम दिया था. इस मामले में पुरोहित ने साजिश रचने वाली बैठकों में सक्रियता से हिस्सा लिया है. वह विस्फोट में इस्तेमाल करने के लिए विस्फोट का इंतजाम करने के लिए राजी हो गए थे. हालांकि, पुरोहित ने इंकार किया था।
15 अप्रैल, 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटकर मकोका को हटा दिया.25 अप्रैल, 2017 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को सशर्त जमानत दे दी है। और अब 18 अप्रैल, 2019 को प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बीजेपी ने भोपाल से लोकसभा प्रत्याशी बना दिया।
साध्वी प्रज्ञा मध्य प्रदेश के चंबल इलाके के भिंड में पली बढ़ींं. उनके पिता आरएसएस के स्वयंसेवक और पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर थे. आरएसएस से उनका झुकाव बचपन से ही रहा है। साध्वी आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सक्रिय सदस्य भी रहीं,विश्व हिन्दू परिषद की वह महिला विंग दुर्गा वाहिनी से भी जुड़ीं रही।
वर्ष 2002 में साध्वी प्रज्ञा ने ‘जय वंदे मातरम जन कल्याण समिति’ बनाई. वहीं, स्वामी अवधेशानंद से प्रभावित होकर उन्होंने संन्यास ले लिया. स्वामी अवधेशानंद का राजनीति में काफी नाम था, इनसे जुड़ने के बाद साध्वी प्रज्ञा भी राजनीति में आई।
हालांकि बाद में कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा के ऊपर से मकोका हटा लिया, लेकिन उन पर गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यूएपीए (UAPA) के तहत मामला चला। वर्ष 2017 में मध्य प्रदेश की देवास कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा को आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड से बरी कर दिया था। 29 दिसंबर 2007 को सुनील जोशी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड में साध्वी प्रज्ञा के अलावा सात अन्य लोगों के नाम सामने आए थे। प्रज्ञा 9 सालों तक जेल में रहीं और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं,बाहर आने के बाद उन्होंने ब्लास्ट के बाद लगातार 23 दिनों तक हुई यातना के के बाद साध्वी प्रज्ञा ने आरोप लगाया कि तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने उन्हें झूठे केस में फंसाया।
प्रज्ञा भोपाल के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. उनके सत्संग सुनने के लिए हजारों लोगों की भीड़ जुटती है। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को इस साल आयोजित हुए प्रयागराज कुंभ के दौरान ‘भारत भक्ति अखाड़े’ की आचार्य महामंडलेश्वर भी बनाया गया, प्रज्ञा ठाकुर अब आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी पूर्णचेतनानंद गिरी के नाम से जानी जाती है।
मालेगांव ब्लास्ट में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित का नाम आने के बाद तत्काली यूपीए सरकार ने इसे ‘भगवा आतंकवाद’ की संज्ञा दी. ‘भगवा आतंकवाद’ की पुरजोर आलोचना करने वालों में दिग्विजय सिंह काफी मुखर थे।
साध्वी प्रज्ञा इस बार भोपाल से चुनाव लड़ेंगी. वहीं, कांग्रेस ने इस सीट से अनुभवी दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा है। मुस्लिम वोटरों की भारी तादाद के बावजूद 1989 से बीजेपी कभी भी भोपाल सीट नहीं हारी है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलाथ ने दिग्विजय से भोपाल या इंदौर जैसी मुश्किल सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा था, और दिग्विजय सिंह ने इस चुनौती को स्वीकार कर भोपाल लोक सभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया। विश्लेषकों का अनुमान है कि मजबूत कांग्रेस दावेदार के खिलाफ साध्वी प्रज्ञा को उतारकर बीजेपी ध्रुवीकरण की उम्मीद कर रही है।
बयान पर बबाल
प्रज्ञा ठाकुर को भारतीय जनता पार्टी ने जब से मध्य प्रदेश के भोपाल संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है, तब से ही देश में हंगामा मचा हुआ है. आए दिन प्रज्ञा ठाकुर के बयान इस आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने मुंबई हमले के शहीद हेमंत करकरे के बारे में विवादित बयान दिया था, जिसपर राजनीतिक गलियारों में हल -चल मचा हुआ है।
हेमंत करकरे अब इस दुनियां में नहीं हैं ,वर्ष 2008 में हुए चरमपंथी हमलों में उनकी मौत हो गई थी।
हेमंत करकरे के शौर्य और पराक्रम के लिए भारत सरकार ने उन्हें साल 2009 में मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया था। अशोक चक्र शांति काल में दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है।
हाल ही में प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि हेमंत करकरे ने उन्हें प्रताड़ित किया था ,और उन्होंने करकरे को सर्वनास का श्राप दिया था। इसलिए आतंकियों ने उन्हें मार दिया।
प्रज्ञा ठाकुर के इस विवादित बयान की चौतरफा आलोचना हो रही है ,हालांकि बाद में बीजेपी ने प्रज्ञा के इस बयान से किनारा कर लिया है। और ऐसे उनकी व्यक्तिगत बयान बताया।

