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क्या गांधी परिवार के बिना कांग्रेस का कोई वजूद नहीं ?

शनिवार को सीडब्ल्यूसी बैठक में आखिरकार पांच समितियों ने मिलकर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सोनिया गांधी के नाम पर मोहर लगा दिया है।
इन सबमे एक सवाल जो निकल कर सामने आता है वह यह कि क्या कांग्रेस को गांधी परिवार के अलावा कोई और नहीं सम्भाल सकता? बैठक में अध्यक्ष पद के लिए मुकुल वासनिक, सुशील कुमार शिंदे, मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट के नामों की खासी चर्चा रही।
पांच मुख्यमंत्री हैं- कमलनाथ, कैप्टन अमरिंदर सिंह, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और वी नारायणसामी। पार्टी में ग़ुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, पी चिदंबरम, अहमद पटेल, मुकुल वासनिक, पृथ्वीराज चव्हाण, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंह, मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, शशि थरूर, मनीष तिवारी, शिवकुमार, अजय माकन जैसे अनुभवी नेता भी हैं।
इनमें से कुछ भले ही हाल में हुए लोकसभा चुनावों में हार गए हों लेकिन उनके पास सार्वजनिक पदों पर रहने का बड़ा अनुभव है।
खड़गे, केंद्रीय मंत्री रहने के अलावा पिछली लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता भी थे। वहीं 59 वर्षीय वासनिक केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं और उनका अच्छा खासा प्रशासनिक अनुभव भी रहा है। वासनिक इस समय कांग्रेस महासचिव हैं और गांधी परिवार के काफ़ी क़रीबी समझे जाते हैं।
पार्टी में ऐसे नेताओं की कमी नहीं है जो कांग्रेस की सेवा कर सकें। ख़ासकर तब जब सोनिया गांधी रायबरेली और राहुल गांधी वायनाड से सांसद हों और प्रियंका गांधी एआईसीसी की महासचिव हों।
लेकिन गांधी परिवार के प्रति निष्ठा की वजह से कांग्रेस की कार्यसमिति ने अंतरिम अध्यक्ष के पद पर सोनिया गांधी का नाम घोषित किया। वहीं राहुल गांधी किसी का नाम लेकर ये नहीं दिखाना चाहते कि उन्होंने ‘अपना आदमी’ ही अध्यक्ष बनाया है।
फिलहाल पार्टी के नए प्रमुख को कांग्रेस संसदीय बोर्ड का गठन करना चाहिए जिसका गठन 1991 से नहीं हुआ है।

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